वैदिक ज्योतिष में सूर्य की विशेषताएं और महत्व

ज्योतिष के मुताबिक सूर्य ग्रह है और यह सभी ग्रहों का राजा भी है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सौरमंडल में जितने भी ग्रह मौजूद हैं, ये सभी सूर्य के प्रकाश से ही दीप्तमान हैं। यही वजह है कि ज्योतिष में भी सूर्य एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही ज्योतिष में यह सबसे शक्तिशाली और आधिकारिक ग्रह के रूप में भी माना जाता है।

आज हम ज्योतिष में सूर्य की भूमिकाओं और इसके महत्व के बारे में चर्चा करने वाले हैं। हम यह चर्चा करेंगे कि अलग-अलग घरों में सूर्य का प्रभाव कैसा रहता है। साथ ही यदि आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर या फिर पीड़ित हो जाता है, तो इसका क्या परिणाम होता है।

सभी को यह मालूम है कि ग्रहों की संख्या 9 है और 12 भाव हैं। साथ ही ये सभी ग्रह हमेशा गतिमान रहते हैं। इस तरह से आपकी जन्मकुंडली में सूर्य के साथ सभी ग्रह किसी एक भाव में स्थित होंगे। जैसा कि यहां हमें ज्योतिष में सूर्य के महत्व के बारे में बातें कर रहे हैं, ऐसे में हम यहां अन्य ग्रहों को छोड़कर आगे बढ़ेंगे।

अब सूर्य पर लौटते हुए, क्या आपको मालूम है कि ज्योतिष में सूर्य ग्रह आखिर दर्शाता क्या है? यदि आपको नहीं पता तो चिंता की कोई बात नहीं है। आइए, ज्योतिष में सूर्य की भूमिका और इसके महत्व के बारे में जानते हैं।


ज्योतिष में सूर्य ग्रह की विशेषताएं

  • आत्मा का संकेतक
  • जीवन दाता
  • पूर्वजों पर नियंत्रण करने वाला
  • पिता
  • आपका अहम
  • सम्मान
  • स्थिति
  • आपका ह्रदय
  • आपकी आंखें
  • ख्याति
  • आदर करना
  • सामान्य जीवन शक्ति
  • शक्ति

ज्योतिष में सूर्य की स्थिति का महत्व

आपकी कुंडली में सूर्य के उपस्थित रहने से जो नतीजे सामने आते हैं, वे बिल्कुल संजीवनी की तरह ही बहुमूल्य होते हैं। सभी तरह की बीमारियों को दूर करने में यह एक ही जड़ी-बूटी सक्षम है। वाकई क्या शक्ति है! यही कारण है कि ज्योतिष में सूर्य की महत्ता सबसे अधिक है। इसी वजह से जन्म कुंडली के विश्लेषण के दौरान भी सूर्य की स्थिति पर विचार करना आवश्यक हो जाता है।

वैदिक ज्योतिषी के मुताबिक सूर्य पंचम भाव का स्वामी है, जो कि सिंह है। अन्य शब्दों में कहें तो सूर्य पंचम भाव का स्वामी भी है, जबकि सूर्य मेष राशि में सबसे उच्च है। अब मान लीजिए कि गोचर सूर्य मेष राशि में 10 अंश पर मौजूद है। ऐसी स्थिति में सूर्य अनुकूल है। वह इसलिए कि अत्यधिक उच्च अवस्था में यह स्थित है। दूसरी तरफ तुला राशि में 10 अंश पर होने पर यह वश में आ जाता है।

हालांकि सूर्य नक्षत्र को भी नियंत्रित करने का काम करता है। क्या कोई अंदाजा है? मेष राशि में कृतिका नक्षत्र है।


अन्य ग्रहों के साथ सूर्य का संबंध

प्राकृतिक मित्र: चंद्रमा, मंगल और बृहस्पति
तटस्थ: बुध
प्राकृतिक शत्रु: शुक्र, शनि, राहु और केतु

अब हम सूर्य और अन्य ग्रहों के बीच के संबंध के बारे में जानते हैं। इन ग्रहों के साथ सूर्य के संयोजन के प्रभावों को समझना वाकई बड़ा ही मजेदार होगा।

सूर्य और चंद्रमा का संयोजन

एक भाव में सूर्य और चंद्रमा जिनके एक साथ आ जाते हैं, वैसे जातक दृढ़ निश्चयी होने के साथ किसी एक चीज पर ध्यान केंद्रित करने वाले और मजबूत इच्छाशक्ति वाले होते हैं। इस संयोजन से आप में उर्जा भर जाती है। जो कुछ भी आप चाहते हैं, अपने अथक प्रयासों से आप उसे पूरा कर भी लेते हैं।

सूर्य और बुध का संयोजन

सूर्य और बुध जब एक भाव में होते हैं, तो इससे एक शुभ बुधादित्य योग बनता है। यह संयोजन बड़ा ही लाभकारी होता है, क्योंकि इससे जातकों को ढेर सारी बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा सीखने और समझने की क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है, जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति के दौरान मदद करती है।

सूर्य और मंगल का संयोजन

सूर्य और मंगल का जब संयोजन होता है तो अंगारक दोष बनता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि अंगारक का अर्थ उग्र और गर्म होता है। यही वजह है कि ऐसे जातकों का स्वभाव थोड़ा उग्र प्रवृत्ति का होता है और आमतौर पर ये बहुत जल्द अपना आपा खो बैठते हैं। हालांकि, चिंता की इसमें कोई भी बात नहीं है, क्योंकि इनका ऐसा मिजाज थोड़े ही वक्त के लिए रहता है। फिर भी आवेग में और अचानक से जो फैसले लिए जाते हैं, किसी दिन वे बड़ी समस्या की वजह बन सकते हैं।

सूर्य और बृहस्पति का संयोजन

एक भाव में यदि सूर्य और बृहस्पति आ जाते हैं, तो ऐसे जातकों पर शक्तिशाली आध्यात्मिक प्रभाव पड़ता है। बिना कहे ही यह मालूम पड़ जाता है कि सूर्य आत्मा है। वहीं, इसके विपरीत वैदिक ज्योतिष के मुताबिक बृहस्पति हमारे आंतरिक स्व का प्रतिनिधित्व करता है। यही वजह है कि इस संयोग से जातकों में धार्मिक गतिविधियों के साथ आध्यात्मिकता के प्रति झुकाव पैदा हो जाता है। हालांकि, अपने आपको यदि सीमित रखते हुए बचा जाए, तो यह बहुत अच्छा होता है, क्योंकि इस संयोजन की वजह से जातक थोड़े कठोर बन सकते हैं।

सूर्य और शुक्र का संयोजन

सूर्य और शुक्र का संयोजन बड़ा ही शुभ होता है। अब आप पूछेंगे कैसे? तो बता दें कि शुक्र उत्साह प्रदान करने वाला होता है। सूर्य से अपार ऊर्जा बाहर निकलती है। एक परिष्कृत ग्रह के साथ राजा का संयोजन हो रहा है। ऐसे में शाही प्रवृत्ति तो आनी ही है। फिर भी सूर्य और शुक्र जब एक ही छत के नीचे होते हैं, तो थोड़ा-बहुत असंतोष तो हो ही सकता है।

सूर्य और शनि का संयोजन

इसमें बाप-बेटे एक ही भाव में रह रहे होते हैं। यह बताने की जरूरत नहीं कि शनि सूर्य का पुत्र है और इन दोनों के बीच का संबंध स्वस्थ नहीं है। ऐसे में जब इनका संयोजन होता है, तो यह श्रापित दोष बना देता है। यही वजह है कि इसके जो जातक होते हैं, उन्हें अपने लक्ष्य को पाने के लिए बड़ा ही कठिन संघर्ष करना पड़ता है। इतना ही नहीं, अपने पिता के साथ और पुत्र के साथ भी इन जातकों का संबंध मधुर नहीं रह पाता है।

सूर्य और राहु या केतु का संयोजन

सूर्य के साथ संयुक्त छाया ग्रह कभी भी शुभ नहीं माने जाते हैं। इससे ग्रहण दोष बनता है। जैसा कि आपको मालूम है कि आपके पूर्वजों का सूर्य प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में सूर्य के साथ राहु या केतु के संयोजन से पितृ दोष भी बनता है। ऐसे जातकों की सफलता या फिर उनकी प्रगति का मार्ग बाधाओं से भरा होता है। इतना ही नहीं, कभी न समाप्त होने वाली मुश्किलें और बाधाएं आपके आत्मविश्वास को घटा भी सकती हैं।

फिर भी संयोजन का परिणाम पूरी तरीके से सूर्य ग्रह के चिह्न एवं भावों पर ही निर्भर करता है। बिना किसी प्रकार की हलचल के अलग-अलग ग्रहों में सूर्य के प्रभाव और भूमिका को जानने के लिए हमसे जुड़ें।


विभिन्न भावों में सूर्य का प्रभाव

भाव की बात की जाए तो सूर्य पहले (आरोही) 10वें या 11वें भाव में ज्यादा ही शक्तिशाली हो सकता है। हालांकि, छठे, आठवें या बारहवें भाव में इसका प्रभाव ज्यादा नहीं होता है। फिर भी यह एक अनुकूल संकेत के रूप में माना जाता है।

पहले भाव में सूर्य

सूर्य से आपको पर्याप्त जीवन शक्ति की प्राप्ति होती है। साथ ही आपमें आशा भरने वाली ऊर्जा का भी संचार होता है। क्या यह कोई करिश्मा है? जी हां, पहले भाव में सूर्य के प्रभाव की वजह से आप प्रफुल्लित हो जाते हैं। हालांकि आप थोड़े लापरवाह और गर्म स्वभाव के भी हैं। साथ ही कई बार आप आलसी भी हो जाते हैं।

दूसरे भाव में सूर्य

सूर्य की इसी स्थिति की वजह से आपकी भावनाएं तो प्रभावित होती ही हैं, साथ ही अपने करीबी लोगों के साथ आपके संबंधों पर भी प्रभाव पड़ता है। अपनी नैतिकता के साथ अपनी नैतिक मूल्यों के प्रति आप अडिग रहते हैं। साथ ही जीवन के प्रति जो आपका दृष्टिकोण है, वह भी बड़ा ही तार्किक और व्यवहारिक होता है।

तीसरे भाव में सूर्य

सभी प्रकार की परिस्थितियों का आप बड़े ही विवेक से विश्लेषण करते हैं। आपके पास जो बुद्धिमता और जो ज्ञान है, वह सर्वोपरि है। जितना ज्यादा हो सके इसमें आप महारत हासिल कर पाते हैं। आपके जीवन का यही मंत्र है। अपने पास मौजूद ज्ञान और विचार यदि दुश्मनों के साथ आप साझा करते हैं, तो इसमें आपको किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं होती।

चौथे भाव में सूर्य

आप एक गृहस्थ व्यक्ति हैं। आपका परिवार भी भविष्य की ओर देख कर चलने वाला है। ऐसे में बिना कहे ही यह पता चल जाता है कि अपने करीबियों की आप अच्छी तरीके से देखभाल करेंगे। साथ ही आप यह भी सुनिश्चित करते हैं कि अपने परिवार की जिंदगी में सभी तरह के सुखों और विलासिता को लाने के लिए आप किसी भी चीज से लड़ जायेंगे।

पांचवें भाव में सूर्य

पांचवे भाव में सूर्य के होने से खेलकूद के साथ एथलेटिक्स के प्रति आपका झुकाव रहता है। इसके अलावा अलग-अलग टूर्नामेंट में आप अच्छा प्रदर्शन भी करते हैं। स्वयं के प्रति आपका प्रेम तब तक खतरनाक नहीं होता है, जब तक कि अहंकार में यह परिवर्तित न हो जाए।

छठे भाव में सूर्य

यहां जब सूर्य स्थित होता है, तो यह आपको ज्यादा सतर्क करता है। आपकी जिंदगी में जिन कौशलों की कमी की वजह से प्रगति ठीक से नहीं हो पा रही है, उन्हें विकसित करने के लिए आप कठिन मेहनत करते हैं। हालांकि, व्यक्तिगत स्तर पर भी आगे बढ़ने में इससे आपको मदद मिलती है। दूसरों का साथ आप बड़ी ही आसानी से पा लेते हैं।

सातवें भाव में सूर्य

चीजों को शेयर करने और किसी की देखभाल करने की आप में तीव्र इच्छा जग सकती है। एक बार जब आप अपने जीवनसाथी से मिल लेते हैं, तो इसके बाद आपकी व्यक्तिगत जिंदगी में और पेशेवर जिंदगी में भी विकास की संभावनाओं के द्वार खुल जाते हैं। वैसे तो रिश्ते में आप अपना सब कुछ दे देते हैं, मगर आपको अपने साथी से भी ऐसी ही उम्मीद करनी चाहिए।

आठवें भाव में सूर्य

संकट की जब स्थिति आपकी जिंदगी में आती है, तो आप शीघ्रता से प्रतिक्रिया देते हैं। चुनौतियों एवं अचानक आने वाली परेशानियों पर नियंत्रण पाने के लिए, जो आपके अंदर क्षमता मौजूद है, वह ध्यान देने के काबिल है। अनिश्चितताओं के वक्त में आप ऐसे पहले व्यक्ति हो सकते हैं, जिनसे संपर्क स्थापित किया जाना चाहिए।

नौवें भाव में सूर्य

विदेशी भाषा को सीखने में आपकी रुचि देखने के लिए मिल सकती है। साथ ही आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए भी आपके अंदर इच्छा जग सकती है। आपके अंदर इतनी जिज्ञासा होगी कि पूरी दुनिया के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए आप प्रेरित हो सकते हैं। यही वजह है कि आप अपने आसपास एवं दूर स्थित स्थानों की ज्यादा यात्रा करते हैं।

दसवें भाव में सूर्य

व्यवसाय के भाव में चूंकि सूर्य की उपस्थिति होती है, ऐसे में आपके अपने कॅरियर में सफल होने की उम्मीद बढ़ जाती है। साथ ही सूर्य की कृपा होने की वजह से आप शिखर तक पहुंच पाते हैं। अपने-अपने क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को हासिल करने के लिए आप अथक परिश्रम करते हैं।

ग्यारहवें भाव में सूर्य

आपकी जिंदगी का एकमात्र लक्ष्य दूसरों का दिल जीतना होता है। फिर भी नए दोस्त बनाना आपके लिए कोई मुश्किल काम नहीं होता। जब भी किसी तरह की संगठनात्मक गतिविधियों की बात आती है, तो आपको टक्कर दे पाना किसी के लिए भी मुश्किल है। दुनिया को आप हमेशा बदलने की चाहत रखते हैं और इसे रहने के लिए एक बेहतर जगह भी बनाना चाहते हैं।

बारहवें भाव में सूर्य

जाने-अनजाने अपने पिछले कर्मों को बदलने की कोशिश में आप लगातार लगे रहते हैं। पेशेवर मोर्चे पर भी अपने लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में आपके दृष्टिकोण में स्पष्टता की जरूरत होती है। साथ ही अच्छा प्रदर्शन करने के लिए एक उचित योजना आपको बनानी पड़ती है। बाकी आप एक महान कलाकार हैं।


सूर्य गोचर के नतीजे

जैसा कि आपको मालूम है कि एक राशि में सूर्य एक माह तक रहता है और राशि चक्र को एक वर्ष में पूरा करता है। मकर राशि से मिथुन राशि में अपने गोचर के दौरान राशि बदलने के लिए सूर्य उत्तर की ओर बढ़ता है और उत्तरायण बनाता है। वहीं, कर्क से धनु राशि में अपने गोचर के दौरान यह दक्षिण की ओर बढ़ते हुए दक्षिणायन का निर्माण करता है।

वैसे, मौसम का परिवर्तन भी सूर्य की गति की वजह से ही होता है। तो आइए एक अलग मौसम बनाते हुए 12 राशियों में सूर्य के गोचर को देखते हैं।


राशियों में सूर्य का गोचर - मौसम का निर्माण - प्रतिनिधित्व करने वाले ग्रह

  • मकर और कुंभ राशि में गोचर – सर्दी का मौसम – शनि
  • मीन और मेष राशि में गोचर – वसंत ऋतु – शुक्र
  • वृष और मिथुन राशि में गोचर – ग्रीष्म ऋतु – सूर्य और मंगल
  • कर्क और सिंह राशि में गोचर – मानसून ऋतु – चंद्रमा
  • कन्या और तुला राशि में गोचर – शरद ऋतु – बुध
  • वृश्चिक और धनु राशि में गोचर- पूर्व शीतकालीन मौसम – बृहस्पति

क्या होता है जब कुंडली में सूर्य अनुकूल होता है?

आपकी कुंडली में यदि शुभ सूर्य होता है, तो इससे आपके मान-सम्मान के साथ आपकी मान-प्रतिष्ठा और समाज में भी मान-सम्मान में बढ़ोतरी होती है। जब सूर्य मेष, वृश्चिक, धनु या मीन राशि में मंगल या बृहस्पति के साथ होता है, तो जातकों को अभूतपूर्व नतीजे प्राप्त होते हैं।

सूर्य ग्रह भी अपनी राशि और अपनी उच्च स्थिति में अच्छे परिणाम लेकर आता है। सूर्य ग्रह मंगल, बृहस्पति और चंद्रमा के अनुकूल होता है। आप यह मान लीजिए कि यह मंगल और बृहस्पति के भाव यानी कि मेष, वृश्चिक, धनु और मीन राशि में स्थित होता है। ऐसी स्थिति में यह अभूतपूर्व नतीजे लेकर आता है। फिर भी जिस भाव में यह संयोग हो रहा है, उसकी भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।


क्या होता है जब कुंडली में सूर्य कमजोर होता है?

आपकी जन्म कुंडली में यदि सूर्य अशुभ होता है, तो इसकी वजह से आपको बुखार, हृदय से जुड़ी समस्याएं, सिर में दर्द और आंखों में परेशानी हो सकती है। इतना ही नहीं, अशुभ सूर्य के कारण कॅरियर और पेशे में विशेष रूप से प्रशासन एवं प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में अच्छे परिणाम सामने नहीं आते। उसी तरह से राजनेताओं और चिकित्सा विज्ञान के पेशेवरों को कामयाबी, यश और ख्याति प्राप्त करने के लिए ज्यादा दूर तक जाने की आवश्यकता पड़ती है।

पीड़ित सूर्य आपकी जिंदगी में कभी न खत्म होने वाली परेशानियों और बाधाओं को लेकर आ सकता है। इसलिए यदि आपकी कुंडली में सूर्य पीड़ित है, तो आपको बिलकुल नरक जैसा अनुभव होता है। आप जो भी मेहनत करते है, वह बेकार जा सकती है। साथ ही आप जो भी काम कर रहे हैं, संभव है कि उसका श्रेय भी आपको न मिले। आपके सहकर्मी भी आपके लिए मुश्किलें लेकर आ सकते हैं।

आपके जो वरिष्ठ हैं और जो आपके अधिनस्थ काम कर रहे हैं, उनके साथ भी हो सकता है कि आपके संबंध सौहार्दपूर्ण नहीं रहें। सामान्यतः शनि, मंगल, राहु और केतु जैसे प्राकृतिक रूप से अशुभ ग्रहों के साथ सूर्य के संयोजन से सूर्य पीड़ित हो सकता है।


आप कुंडली में सूर्य की स्थिति को कैसे मजबूत बना सकते हैं?

यदि आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर, अशुभ और पीड़ित हो गया है, तब भी आप आराम से रह सकते हैं। जी हां, इसमें कोई हैरान होने वाली बात नहीं है। वैदिक ज्योतिष में हर तरह की समस्या के लिए कई तरह के समाधान मौजूद हैं। तो भला इससे सूर्य भी कैसे बच सकता है?

  • शुक्ल पक्ष के रविवार के दिन अनामिका उंगली में सोने की अंगूठी में जड़ा हुआ रूबी रत्न धारण करना।
  • एक मुखी रुद्राक्ष पहनने से सूर्य की स्थिति को सक्रिय करने में मदद मिलती है।
  • रोजाना सुबह 8 बजे से पहले गायत्री मंत्र के जाप के साथ भगवान सूर्य को जल अर्पित करना भी मददगार हो सकता है।
  • आदित्य हृदय स्तोत्रम का रोजाना बात करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • जिस तरह से सूर्य आपके पिता का प्रतिनिधित्व करता है, उसी तरीके से अपने पिता की सेवा करने और उनकी देखभाल करने से आप सूर्य के बुरे परिणामों से बच जाते हैं।
  • ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम: मंत्र का जाप करने से भी सूर्य से अनुकूल परिणाम प्राप्त होने की उम्मीद बढ़ जाती है।


Choose Your Package to Get 100% Cashback On First Consultation