जानिए 2022 को लेकर क्या कहता है चीनी ज्योतिष
चीनी ज्योतिष का भी काफी लंबा इतिहास रहा है। बताया जाता है कि करीब 5000 साल पहले झोउ राजवंश (1046-256 ईसा पूर्व) के दौरान यह अस्तित्व में आया था। इसके बाद हान राजवंश (दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी ईस्वी) के दौरान फला-फूला। इसका चीनी दर्शन से गहरा संबंध है। यह स्वर्ग, पृथ्वी और जल के तीन सामंजस्य के सिद्धांतों पर काम करता है।
चीनी ज्योतिष भारतीय ज्योतिष से अलग है। यह ज्योतिष 12 साल के गणितीय चक्र पर आधारित है, जिसमें हर साल को एक पशु के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है। अर्थात चीनी ज्योतिष वर्ष के अनुसार उस वर्ष में जन्म लेने वाले एक निश्चित राशि के जातक होते हैं। ऐसे यह 12 राशियों के हिसाब से 12 सालों तक चलता है। फिर से वहीं दोहराया जाता है। इनमें 12 पशु चिन्ह चीनी ज्योतिष की नींव हैं। इनमें निम्न पशु प्रतीकों में शामिल हैं:
चूहा (रैट)
बेल (ऑक्स)
बाघ (टाइगर)
खरगोश (रेबिट)
अजगर (ड्रेगन)
सांप (स्नेक)
घोड़ा (हॉर्स)
बकरी (गोट)
बंदर (मंकी)
मुर्गा (रुस्टर)
कुत्ता (डॉग)
सूअर (पिग)
आपके ध्यान में लाना चाहते हैं कि कई बार बकरी (गोट) की जगह पर भेड़ (भेड़) का इस्तेमाल किया जा सता है। जबकि सूंअर (पिग) को बोर कहकर भी संबोधित किया जा सकता है।
12 राशियों के प्रतीक इन जानवरों को अलग अलग वर्ष दिए गए हैं। जो जिस जानवर के वर्ष में जन्म लेता है, वही उसकी राशि होता है। इन्ही जानवरों से उसका राशि चिंह तय होता है। हालांकि, वर्षों के अलावा, महीनें, दिन और घंटों सहित अन्य कालानुक्रमिक तत्वों को भी इन 12 पशु प्रतीकों को सौंपा गया है।
इन सब के अलावा चीनी ज्योतिष के मध्य भाग में यिन-यांग का संतुलन सिद्धांत, वू सिंग शिक्षाएं, और पांच तत्व – धातु, लकड़ी, अग्नि, पृथ्वी और वायु शामिल हैं। चीनी ज्योतिष के सिद्धांतों के अनुसार ये सभी पहलू किसी व्यक्ति के अतीत, वर्तमान और भविष्य को परिभाषित कर सकते हैं। उनका उपयोग किसी व्यक्ति की विशेषताओं को जानने और उसके भविष्य से संबंधित एकदम सटीक भविष्यवाणी करने के लिए इनका उपयोग किया जाता है।
चलिए चीनी ज्योतिष के बारे में और अधिक जानते हैं-
चीनी ज्योतिष का इतिहास
चीनी लोगों के अनुसार चीनी ज्योतिष का इतिहास काफी पुराना है। ऐसा माना जाता है कि चीनी ज्योतिष लगभग 5,000 साल पहले सुमेरियन और बेबीलोनियन संस्कृतियों से अस्तित्व में आया था। शुरुआत में इस ज्योतिष का इस्तेमाल सम्राट या विशेष राज्य के राजा के लिए इस्तेमाल किया गया था, जो राज्य में शांति और सद्भाव के लिए जिम्मेदार होता था। उस समय चीन में मान्यता थी कि राज्य को अच्छी तरह से चलाने करने के लिए सम्राट को अपने ज्योतिषियों से सटीक जानकारी की आवश्यकता होती थी।
भारतीय ज्योतिष की तरह ही आज चीनी ज्योतिष भी हर व्यक्ति की भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में जानने के उपयोगी है। साथ ही यह संबंधित व्यक्ति की विशेषताओं को भी दर्शाता है।
चीनी ज्योतिष को शुरू में ‘फाइव हाउस’ या ‘पंच ग्रह’ ज्योतिष के रूप में जाना जाता था। यह हमारे सौर मंडल के पांच प्रमुख ग्रहों पर आधारित था, जिसमें बुध, शुक्र, बृहस्पति, शनि और मंगल शामिल है। बाद में सूर्य और चंद्रमा को भी इसमें जोड़ाकर ‘सेवन स्टार’ के रूप में शामिल किया गया। साथ ही अट्ठाईस चंद्र हवेली के रूप में जाना जाने वाला आधार प्रदान किया।
चीनी ज्योतिष की इस पद्धति ने समाज के लिए एक उल्लेखनीय सटीक कुंडली तैयार की। हालांकि यह लोगों के लिए अनुपयुक्त साबित होने लगा। जिसके बाद दो नई चीनी ज्योतिष प्रणालियों को विकसित किया गया। जिसमें एक एक सौर कैलेंडर पर आधारित जिसे ‘बा ज़ी’ (Ba Zi) या भाग्य के चार स्तंभ (Four Pillars Of Destiny) कहा जाता है। वहीं दूसरी चंद्र कैलेंडर के आधार पर विकसित की गई, जिसे ‘जी वेई डू शू’ (Zi Wei Dou Shu) कहा जाता है।