मां कुष्मांडा का महत्व और उनकी गाथा

मां कुष्मांडा देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं। वह अपनी दिव्य मुस्कान के साथ ब्रह्मांड के निर्माण से जुड़ी हुई हैं। नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती । मां दुर्गा के इस अवतार को मुस्कुराती हुई देवी के रूप में भी जाना जाता है। उनका नाम ही दुनिया में उनकी भूमिका को दर्शाता है। क्योंकि ‘कू’ शब्द का अर्थ है छोटा, ऊष्मा शब्द का अर्थ ऊर्जा है,वहीं, ‘अंडा’ शब्द का अर्थ अंडा। कु+ उष्मा+ अंडा = छोटा + ऊर्जा + अंडा = कुष्मांडा। इन तीनों शब्दों को मिलाकर उसके नाम का वास्तविक अर्थ एक छोटा ब्रह्मांडीय अंडा। क्योंकि मां कुष्मांडा इस जगत में छोटे ब्रह्मांडीय अंडे को बनाने वाली मानी जाती है। आप कह सकते हैं की उन्होंने अपनी दिव्य मुस्कान से हमारे लिए रहने के लिए एक ब्रह्मांड का निर्माण किया।


मां कुष्मांडा का स्वरूप


मां कुष्मांडा की उत्पत्ति


चौथे दिन नवरात्रि 2023 के लिए समय और मुहूर्त


मां कुष्मांडा का पूजा मंत्र

कुष्मांडा देवी मंत्र

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदाऽस्तु मे ॥

इसका अर्थ है -अमृतकलश को धारण करने वाली और कमल पुष्प से युक्त तेज से भरी हुई मां कूष्मांडा हमें सब कार्यों में सफलता प्रदान करें।

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कुष्मांडा आरती

कूष्माण्डा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली। शाकम्भरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

देवी कूष्मांडा आने वाले समय में आप पर और आपके परिवार पर हमेशा अपना आशीर्वाद बनाए रखें। वे सुख शांति, समृद्धि और सेहत प्रदान करें।



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