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भानु सप्तमी 2026: कब है, यह क्यों मनाई जाती है? आइए जानते हैं!

भानु सप्तमी 2022: कब है, यह क्यों मनाई जाती है? आइए जानते हैं!

हिंदू कैलेंडर के माघ महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन भानु सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है। अचला सप्तमी, माघी सप्तमी, सूर्य जयंती और रथ सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। साल 2026 में यह तिथि रविवार, 25 जनवरी, 2026 को मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन सूर्य देव ने अपना प्रकाश प्रकाशित किया था। यही कारण है कि इसे सूर्य जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए उपासक सूर्य देवता की उपासना करते हैं। आइए जानते हैं भानु सप्तमी का महत्व…


रथ सप्तमी तिथिरविवार, 25 जनवरी, 2026
रथ सप्तमी के दिन स्नान मूहूर्त05:26 AM to 07:13 AM
अवधि01 घण्टा 47 मिनट्स
रथ सप्तमी को अरुणोदयसुबह 06:48 बजे
रथ सप्तमी के दिन अवलोकनीय सूर्योदयसुबह 07:13
सप्तमी तिथि प्रारम्भ25 जनवरी 2026 को 12:39 पूर्वाह्न
सप्तमी तिथि समाप्त25 जनवरी 2026 को रात 11:10 बजे

भानु सप्तमी का महत्व

सप्तमी तिथि भगवान सूर्य को समर्पित है। माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी या माघ सप्तमी के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान सूर्य देव ने रथ सप्तमी के दिन ही पूरी दुनिया को प्रकाश देना शुरू किया था, इसीलिए इसे भगवान सूर्य का जन्म दिन माना जाता था। रथ सप्तमी अत्यधिक शुभ दिन है और इसे दान-पुण्य गतिविधियों के लिए सूर्य ग्रहण के रूप में शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा और व्रत करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से जाने-अनजाने, वचन से, शरीर से, मन से, वर्तमान जन्म में और पिछले जन्मों में किए गए सात प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। रथ सप्तमी को अरुणोदय में स्नान करना चाहिए। आपको बता दें कि रथ सप्तमी स्नान महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है, इसीलिए अरुणोदय के दौरान स्नान करना अति शुभ माना गया है। अरुणोदय के दौरान सूर्योदय से पहले स्नान करने से व्यक्ति स्वस्थ और सभी प्रकार की बीमारियों और रोगों से मुक्त रहता है। इसी मान्यता के कारण रथ सप्तमी को आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं, इस तिथि का शुभ मुहूर्त…


भानु सप्तमी की पूजा विधि

भानु सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर अरुणोदय के दौरान स्नान करना चाहिए। घर में स्नान करने से अच्छा है कि आप नदी, नहर जैसे जलस्रोतों में स्नान करेंगे, तो इसका ज्यादा लाभ मिलेगा। स्नान करने के बाद सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को अर्घ्यदान देकर उनकी पूजा करनी चाहिए। सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय ‘भगवान सूर्य से जुड़े मंत्रों’ का उच्चारण करना चाहिए। इसके बाद नमस्कार मुद्रा में हाथ जोड़कर छोटे कलश से धीरे-धीरे भगवान सूर्य को जल अर्पित करके अर्घ्यदान किया जाता है। इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं और कपूर, धूप और लाल फूलों से सूर्य देव की पूजा करें।


सूर्य मंत्र

किसी भी देवी या देवता की पूजा करने के दौरान पूजा का विशेष महत्व होता है। भगवान सूर्य की पूजा करते समय भी आपको मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए। पूजा के दौरान आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं-

ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:
ॐ सूर्याय नम:. ॐ भानवे नम:
ॐ खगाय नम:, ॐ पूष्णे नम:
ॐ हिरन्यायगर्भाय नम:, ॐ मरीचे नम:
ॐ सवित्रे नम:,ॐ आर्काया नम:,
ॐआदिनाथाय नम:, ॐ भास्कराय नम:
ॐ श्री सवितसूर्यनारायणा नम :..

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव को जल चढ़ाने से विशेष फल प्राप्त होता है। इससे एकाग्रता बढ़ती है, मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। अगर इस पवित्र दिन के अवसर पर आप दान पुण्य का कार्य करते हैं, तो आपके जीवन में आने वाले हर संकट दूर हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को पिता का प्रतीक माना गया है। अगर आप भगवान सूर्य की पूजा विधि-विधान से करते हैं, तो पिता और पुत्र के संबंधों में प्यार बढ़ता है।

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