छठे भाव में बैठा शनि होता है जातक का मित्र
जन्मकुंडली में शनि किसी भी खाने में बैठा हो, वह अपना फल तभी देता है जब आप अपने हिस्से की मेहनत ईमानदारी से करें। यदि आप अपना कर्म नहीं करते हैं तो यकीन मानिए कि शनि आपके लिए कुछ नहीं करने वाला है। यदि आप जरूरत से ज्यादा मेहनत करेंगे तो निश्चित तौर पर आप दूसरों से ज्यादा कामयाब भी होंगे। शनि का एक ही नियम है कि बिना मेहनत के किसी को कुछ नहीं देना है और यह नियम आप पर भी लागू होता है भले ही आपकी कुंडली में शनि छठे भाव (Saturn in 6th House) में बैठा हो। यदि आप आज मेहनत नहीं करेंगे तो बाद में करनी पड़ेगी परन्तु कामयाबी आपको मेहनत के बाद ही मिलेगी।
बहुत संभव है कि आपने अपने जीवन के लिए कॅरियर और रिलेशनशिप्स के लक्ष्य निर्धारित कर लिए हों और आप उन तक पहुंचने में सफल भी हो जाएं। कुंडली के छठे भाव में बैठा शनि एक तरह से मित्र का कार्य करता है, इसी वजह से आपको अपने जीवन में कभी भी कोई बड़ा नुकसान नहीं हो पाता। यहां हम शनि ग्रह से जुड़े कुछ ऐसे ही तथ्यों के बारे में जानेंगे और उन्हें समझेंगे कि शनि यदि छठे भाव या शत्रु भाव में होता है तो उसका जातक के जीवन पर क्या शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ता है।
छठे भाव का शनि किसका कारक है? (What Does Saturn in the 6th house Mean?)
छठे भाव के शनि का प्रभाव (Influence of Saturn In The 6th House)
- प्रोफेशनल लाइफ
- कॅरियर एवं शिक्षा
- स्वास्थ्य तथा बीमारियां