हनुमान जी की कृपा दृष्टि एवं आशीर्वाद प्राप्त करें सुंदरकांड पाठ के माध्यम से

रामायण के मुख्य पात्रों में से एक महावीर हनुमान जो ज्ञानशील, बलशाली, पराक्रमी हैं, जिन्हे श्रीराम का परम भक्त माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी और उनकी सेना आज भी धरती पर मौजूद हैं। हनुमान जी को अमरता का वरदान प्राप्त है, इनके साथ -साथ अश्वत्थामा, ऋषि मार्कंडेय, भगवान परशुराम, कृपाचार्य, विभीषण, वेद व्यास और राजा बलि अमर हैं। किवंदितियों के अनुसार बुरहानपुर में, अश्वत्थामा को तो कई बार देखा गया हैं। इसलिए लोगों का भी मानना है कि वानर रूप में घूमने वाले जीव, हनुमान जी की सेना है। हनुमान जी ने विशाल समुद्र पार करके माता सीता का पता लगाया था। इसी पांचवें भाग को सुन्दर काण्ड के रूप में जाना जाता है। इस पाठ में हनुमान जी की वीरता का वर्णन बहुत ही प्रभावी ढंग से किया गया है। अगर आप इसका पाठ करते हैं तो आपकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है। इसलिए इसे मनोकामना पूर्ण करने वाला पाठ माना जाता है।

जैसा कि सभी भक्त जानते हैं, हनुमान जी को खुश करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के दो तरीके है: पहला हनुमान चालीसा का पाठ और दूसरा है सुंदरकांड का पाठ। यह दो ऐसे तरीके हैं जिन पर भक्तों को बहुत ज्यादा विश्वास है। 

श्री रामचरितमानस जिसे प्रभु श्री राम के भक्त कवि गोस्वामी तुलसीदास जी (1532-1623 ईस्वीं) ने लिखा था। सुंदरकांड पाठ रामायण का एक छोटा सा संकलित संस्करण है। इस पाठ में हनुमान की उपलब्धियों और उनके द्वारा किए गए किसी भी कार्य में प्राप्त विजय का वर्णन किया गया है। 

सुंदरकांड पाठ को पढ़ने से पाठक के मन में आत्मविश्वास पैदा होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सुंदरकांड पाठ का पाठ पढ़ने वाले को हनुमान जी और भगवान श्री राम दोनों का ही आशीर्वाद प्राप्त होता है।

रामायण के केंद्र के रूप में, सुंदरकांड पाठ हमें बताता है कि कैसे हनुमानजी ने माता सीता को खोजने के लिए सभी कठिनाइयों को पार किया और कैसे उन्होंने सोने की लंका को जलाकर राख कर दिया। घर में सुंदरकांड का पाठ कई कारणों से किया जाता है- इसमें नकारात्मक लोगों पर काबू पाने के लिए, विरोधियों या शत्रुओं पर काबू पाने के लिए, या फिर भगवान श्री राम के मधुर कीर्तन को सुनने के लिए किया जाता है।

रामायण सुंदरकांड पाठ की शुरुआत श्री गणेश और गौरी कलश पूजा के अनुष्ठान से की जाती है। मुख्य पंडित द्वारा किए जाने वाले अनुष्ठानों के साथ पंडितों और भक्तों की एक टीम ढोलक, मंजीरा और अन्य संगीत वाद्ययंत्र बजाती है एवं साथ में भगवान श्री राम और भक्त हनुमान की स्तुति करती है।

हिंदू महाकाव्य रामायण की पांचवीं पुस्तक को सुंदर कांड या सुंदर कांडा के नाम से जाना जाता है। यह संस्कृत में रामायण लिखने वाले पहले व्यक्ति महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित है। आम तौर पर मंगलवार या शनिवार को रामचरितमानस सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। क्योंकि यह दिन भगवान् महावीर बजरंगबली का है, जिससे अधिक लाभ प्राप्त होता है। 

सुंदरकांड पाठ: कब करना चाहिए?

सुंदरकांड पाठ और सुंदरकांड पूजा मंगलवार और शनिवार सहित किसी भी शुभ दिन पर कर सकते हैं।


सुंदर कांड: इसे कैसे पढ़ें?


श्री राम चरित मानस-सुंदरकांड


सुंदरकांड पाठ: पढ़ने का कारण


सुंदरकांड पढ़ने के लाभ?



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