भगवान गणेश के विभिन्न नाम तथा उनका महत्व

हिंदू धर्म के प्रमुख पंचदेवताओं में भगवान गणेश को भी एक माना गया है। सौभाग्य तथा बुद्धि के दाता गजानन गणपति भगवान शिव तथा मां पार्वती के पुत्र हैं। माना जाता है कि उनकी आराधना से जीवन में आने वाले सभी विघ्न दूर होते हैं, यही कारण है कि उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है और इसीलिए किसी भी शुभ कार्य या अनुष्ठान को आरंभ करने से पूर्व गणेश वंदना द्वारा उनकी पूजा की जाती है। पौराणिक शास्त्रों में गणपति के सहस्रनाम अर्थात् एक हजार नाम (Different Lord Ganesha Names) बताए गए हैं।

भगवान गणपति के नामों का स्मरण करने और उनकी आराधना करने से जीवन की सभी बाधाएं तथा समस्याएं दूर करने में सहायता मिलती है। उनके भक्तों के लिए समस्त कठिनाईयां भी अवसर में बदल जाती हैं और उनके काम स्वत: ही होते चले जाते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति को इस भूलोक (पृथ्वी) पर समस्त प्रकार के सुख, ऐश्वर्य तथा संपत्ति प्राप्त होती है। भगवान गणेश को यूं तो अधिकतर गणपति, गजानन और गणेश के नाम से जाना जाता है परन्तु उनके अन्य नाम भी समान रूप से प्रभावशाली है तथा भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण करते हैं। यहां हम उनके विभिन्न नामों को जानेंगे तथा नाम के पीछे छिपे अर्थ को भी जानेंगे।


भगवान गणेश के विभिन्न नाम (Different Lord Ganesha Names)

पौराणिक शास्त्रों में कहा गया है कि गणपति की पूजा करने के बाद ही कोई शुभ कार्य आरंभ करना चाहिए। ऐसा करने से उस कार्य में निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है। यहां पर गणेशजी के कुछ प्रमुख नामों के बारे में उनके अर्थ सहित बताया जा रहा है।

सुमुख (Sumukha)

भगवान गणेश का मुख अति सुंदर है, अत: उन्हें सुमुख के नाम से भी जाना जाता है। उनके मुख को ध्यान से देखें तो हम हर बार एक नया अर्थ, एक नई सुंदरता को पाते हैं। उनके विशाल कान चहुंओर से आते ज्ञान को समेटने का संदेश देते हैं, उनके बड़े नेत्र, उनकी सुंदर सूंड, बड़ा ललाट, बड़ा उदर सभी कुछ जीवन के अर्थ को बताते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान गणेश मां पार्वती के पुत्र हैं। गणेश ने द्वारपाल के रूप में मां पार्वती के भवन में भगवान शिव को अंदर आने से रोक दिया। इस पर क्रोधित होकर शिव ने गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में मां पार्वती के क्रोधित होने पर भगवान शिव ने एक हाथी के सिर को धड़ पर जोड़ कर उन्हें पुन: जीवनदान दिया। इसके साथ ही उन्होंने गणेश को प्रथम पूज्य होने का भी आशीर्वाद दिया।

एकदंत (Ekdanta)

एकदंत भगवान गणेश का दूसरा नाम है। इस नाम के पीछे भी एक कथा छिपी हुई है। कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव और मां पार्वती विचारमग्न थे। उन्होंने गणेश को कहा कि वह द्वार से किसी को अंदर न आने दें। गणेश द्वार पर खड़े होकर निगरानी कर ही रहे थे कि भगवान परशुराम वहां आ गए और जबरन अंदर जाने लगे। गणेश ने उन्हें रोका तो दोनों में युद्ध छिड़ गया। युद्ध के दौरान परशुराम के फरसे से गणेश का एक दांत टूट गया। इसी कारण उन्हें एकदंत भी कहा जाता है।

गोकर्ण (Gokarna)

भगवान गणेश को उनके बड़े कानों के कारण गोकर्ण कहा जाता है। उनके बड़े कान बताते हैं कि हमें चहुंओर से आने वाले ज्ञान को ग्रहण करना चाहिए और एक सूप (अनाज साफ करने की छलनी) की भांति बुरी चीजों को हटा देना चाहिए। इससे उनके कुशाग्र तथा बुद्धिमान होने का भी भाव जागृत होता है, इसलिए भक्तजन उन्हें गोकर्ण नाम से भी स्मरण करते हैं।

लम्बोदर (Lambodara)

गणपति का एक अन्य नाम लम्बोदर भी है। लम्बोदर अर्थात् बड़े पेट वाला। उनका बड़ा पेट इस पूरे ब्रह्माण्ड का परिचायक है यानि पूरा विश्व ही उनके उदर में समाया हुआ है। इसीलिए यह इतना बड़ा है। वह सभी में हैं और सभी कुछ उनमें हैं। पुराणों की इसी भावना को ध्यान रखते हुए गणपति भक्त उन्हें लम्बोदर के नाम से स्मरण करते हैं।

विकट (Vikat)

विकट के नाम से भी गणेश बहुत प्रसिद्ध हैं। विकट अर्थात् कठोर, गणपति सभी तरह की कठिनाईयों का नाश कर भक्तों को निर्भय करते हैं तथा उनके जीवन में आगे बढ़ने की राह को सुगम बनाते हैं। वे अपने भक्तों के लिए जितने सौम्य और दयालु हैं, दुष्टों के लिए उतने ही कठोर और भयंकर भी। यही कारण है कि उन्हें शास्त्रों में विकट कहा गया है।

विनायक (Vinayaka)

इस नाम का अर्थ है बुद्धिमान तथा समस्त बाधाओं को दूर करने वाला। भगवान गणेश अपने भक्तों की समस्त बाधाओं को दूर कर उन्हें बल तथा बुद्धि प्रदान करते हैं, अत: उन्हें विनायक भी कहा जाता है। गणपति के विनायक रूप का स्मरण करने से व्यक्ति समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है। भक्तिभाव से याद किए जाने पर वे तुरंत ही भक्त का कल्याण करते हैं।

धूम्रकेतु (Dhumraketu)

गणेश पुराण में गणपति का एक नाम धूम्रकेतु भी बताया गया है। वे अपने भक्तों की इच्छाओं को बिना कहे ही समझ जाते हैं और उन्हें पूर्ण होने का आशीर्वाद देते हैं। यही नहीं, वे स्वयं भी भक्त को सफलता की राह दिखाते हैं अत: धूम्रकेतु नाम से भी गजानन की आराधना की जाती है।

भालचंद्र (Bhalchandra)

गणेश के शीर्ष पर चन्द्रमा विराजमान है, इसी कारण उन्हें शास्त्रों में भालचंद्र कहा गया है। उनका भालचंद्र स्वरूप भक्तों के मन को शांत कर उनके अंदर छिपी नेगेटिविटी को समाप्त कर जीवन में पॉजिटिव एनर्जी तथा शांति लाता है। जिस प्रकार गणेश ने चन्द्रमा को अपने मुकुट पर धारण कर उसकी पीड़ा दूर की, इसी प्रकार वे अपने भक्तों की समस्त पीड़ाओं का सदा सर्वदा के लिए नाश कर देते हैं।

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गजानन (Gajanana)

गणपति का शीश हाथी के समान होने के कारण ही उन्हें गजानन कहा जाता है। जैसाकि हम जानते हैं कि गणेश का मुख हाथी का होने के कारण वह हमें कई प्रकार की शिक्षाएं देता हैं जैसे चौड़ा ललाट बुद्धि का प्रतीक है, बड़े कान ज्ञान को ग्रहण करने तथा सूंड संयम को दर्शाती है।

कपिल (Kapil)

भक्त भगवान गणेश को उनकी मिट्टी जैसे रंग के कारण कपिल के रूप में भी जानते हैं। अपने इस रूप में वे अपने भक्तों को अभय का वर देते हैं तथा उनके जीवन को सुख, समृद्धि और सम्पन्नता से भर देते हैं। गणपति की आराधना से पूर्वजन्मों में किए गए पापकर्मों से छुटकारा मिलता है और व्यक्ति मोक्ष पद का अधिकारी बनता है।


समापन

यहां हमने भगवान गणेश के विभिन्न नाम तथा उनके पीछे छिपी कथा और महत्व के बारे में जाना। आप पूरी श्रद्धा, विश्वास और भक्ति के साथ गणपति की पूजा कर अपनी हर मनोकामना पूर्ण करने का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। अथवा गणपति सहस्रनाम का 108 बार पाठ करने से भी आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण हो सकती हैं। यदि यह संभव नहीं हो तो आप भगवान गणेश के उपरोक्त नामों को स्मरण करते हुए उनकी आराधना करें, उनका स्मरण करें। उनकी आप पर सदैव कृपा बनी रहेगी।



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