वास्तु के मूलभूत सिद्धान्त (Basic Principles of Vastu Shastra)

भवन निर्माण का प्राचीन भारतीय विज्ञान वास्तु शास्त्र वास्तव में सिविल आर्किटेक्चर की ही तरह काम करता है। यह किसी भी बिल्डिंग के डिजाईन, मेजरमेंट्स, लेआउट्स, उसकी रूपरेखा तैयार करना तथा उस पूरी प्लानिंग को एग्जीक्यूट करने के लिए काम आता है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप किसी जमीन पर घर बना रहे हैं या बना-बनाया घर खरीद रहे हैं, वास्तु के कुछ बेसिक नियमों का ध्यान रखकर आप एक अच्छी लाइफ जी सकते हैं।

वास्तु शास्त्र सिर्फ गणितीय कैलकुलेशन, ज्योमैट्रिक डिजाइन और सुंदर बिल्डिंग का नक्शा बनाने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह प्राकृतिक तत्वों में संतुलन स्थापित कर उन्हें अपने अनुकूल बनाने की विद्या है। वास्तु का मुख्य उद्देश्य पूरी जमीन का, घर का तथा कमरे की हर एक इंच का प्रयोग करना है।

यदि किसी बिल्डिंग को बनाते समय उसमें वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन किया जाए तो उस स्थान पर नेगेटिव वाइब्स खत्म होकर पॉजिटिव एनर्जी आती है। सबसे महत्वपूर्ण बात, वास्तु केवल रूम्स के लिए ही नहीं होता है बल्कि किचन, बेडरूम, लिविंग रूम, डाइनिंग रूम तथा घर के बाहरी हिस्सों के लिए भी होता है।

वास्तु को समझने के लिए हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि हर घर का अपना एक एनर्जी फील्ड होता है जिसमें हम रहते हैं। इस एनर्जी फील्ड में वास्तु पंचतत्वों (जल, थल, अग्नि, वायु और आकाश) का परफेक्ट संतुलन बनाने का काम करता है। विज्ञान की भाषा में कहें तो यह पर्यावरण का विज्ञान है जो किसी स्थान विशेष को आपके दिमाग और आत्मा से सीधे कनेक्ट करता है।


वास्तु शास्त्र हमारे घर के लिए क्यों उपयोगी है? (Why Vaastu Shastra Is Good for Our House?)

प्रकृति में सब कुछ मौजूद है फिर चाहे वो सूर्य की रोशनी, हवा हो, चांद और चांदनी हो, जल, अग्नि या खुला आसमान हो। ये सभी चीजें कम या ज्यादा मात्रा में हमारे ऊपर असर डालती हैं। कभी-कभार किन्हीं कारणों के चलते इनका आपसी बैलेंस बिगड़ जाता है और उसका सीधा असर हमारी लाइफ पर होता है। यदि किसी तरह इनके बीच बैलेंस बनाने की कला सीख ली जाए तो हम अपनी लाइफ को ज्यादा आरामदेह तरीके से और खुश रहते हुए बिता सकते हैं। वास्तु के जरिए घर के डिजाइन (आर्किटेक्चर) में बदलाव करते हुए हम इस बैलेंस को कायम रख सकते हैं।

भारतीय अध्यात्म में आठ दिशाएं मानी गई हैं, जिनमें से चार पूर्व, पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण हैं। इनके अलावा चार अन्य दिशाएं नॉर्थ-ईस्ट, साउथ-वेस्ट, साउथ-ईस्ट तथा नॉर्थ-वेस्ट हैं। प्रत्येक दिशा का अपना महत्व है। पूर्व और पश्चिम दिशा को सौभाग्य तथा खुशहाली की दिशा माना गया है, उत्तर दिशा को धन तथा दक्षिण दिशा को धर्म की दिशा बताया गया है।

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इन्हीं सब बातों के आधार पर वास्तु के मूलभूत नियमों (बेसिक प्रिंसिपल्स) का निर्माण किया गया है जिनका ध्यान हमें किसी भी घर का आर्किटेक्चर डिज़ाइन करते समय रखना चाहिए।

  • आकार (Shape) : रूम का शेप चौकोर Square) या आयताकार (Rectangular) होनी चाहिए। घर के सभी रूम्स बड़े और खुले होने चाहिए। उनमें एयर वेंटिलेशन के लिए प्रॉपर स्पेस हो तथा नेचुरल लाइट (सूर्य की रोशनी) सही तरह से आती हो।
  • केन्द्र या ब्रह्मस्थान (Centre) : घर का केंद्रस्थान बिल्कुल खाली होना चाहिए, वहां पर किसी तरह का कोई पिलर या बीम नहीं हो।
  • भारी फर्नीचर को साउथ-वेस्ट डायरेक्शन में रखना चाहिए। यदि आप डबल-स्टोरी बिल्डिंग बना रहे हैं तो इस दिशा में सीढ़ियां बनाई जानी चाहिए।
  • बेडरूम में प्लांट्स, वाटर फाउंटेन, एक्वेरियम, झरनों की पेंटिंग या कोई भी आर्टिफिशियल वाटर डिवाइस नहीं रखनी चाहिए।
  • डाइनिंग एरिया किचन के बिल्कुल निकट होना चाहिए। घर के मेन एंट्रेंस के सामने या पास में डाइनिंग टेबिल रखना वास्तु के हिसाब से उपयुक्त नहीं है।
  • बेडरूम में मिरर रखना पूरी तरह से अवॉइड करना चाहिए, खास तौर पर बेड के ठीक सामने तो मिरर बिल्कुल नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा हो भी रहा है तो जब शीशे को उपयोग नहीं ले रहे हों तब उस मिरर को ढक कर रखना चाहिए।

घर खरीदते समय ध्यान रखने योग्य वास्तु टिप्स (Basic Vastu Tips: Things to Remember While You Buy a House)

वास्तु शास्त्र पूरी तरह से नेचुरल रिसोर्सेज और एलिमेंट के बीच बैलेंस बनाने की विद्या है। इसलिए यदि आप भी चाहते हैं कि आपके नए घर में पंच तत्वों को सही बैलेंस बना रहें और आप अपने परिवार सहित कुशलतापूर्वक सभी प्रकार की सुख, समृद्धि का भोग करें तो आपको नया घर खरीदते समय कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। जानिए क्या हैं ये खास बातें-

घर की दिशा (Direction of the house)

प्रत्येक घर का एंट्रेंस प्वाइंट उस घर में रहने वाले फैमिली मेंबर तथा वहां आने वाले मेहमानों के लिए देखने में रुचिकर होना चाहिए। वास्तु के अनुसार घर का एंट्रेंस केवल लोगों के आने-जाने का ही स्थान नहीं है बल्कि एनर्जी को सर्कुलेट करने का एक माध्यम है। नॉर्थ, ईस्ट तथा नॉर्थ-ईस्ट डायरेक्शन घर का मेन एंट्रेंस बनाने के लिए सर्वोत्तम मानी गई है। इसलिए जब भी नया घर खरीदें तो यह सुनिश्चित कर लें कि उसका मेन एंट्रेंस इन्हीं दिशाओं में से किसी एक में हो।

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दिशाओं के अनुसार घर में कमरों की दिशा (Directions facing towards the room)

किसी भी बिल्डिंग में हर रूम का, हर जगह का अपना एक महत्व होता है। वास्तु के अनुसार दिशाओं का ध्यान रखते हुए ही आपको इन कमरों का निर्माण करना चाहिए। आइए देखते हैं कि किस दिशा में क्या होना चाहिए।

किचन : घर में किचन सदैव नॉर्थ-ईस्ट दिशा में ही होना चाहिए। नॉर्थ दिशा में या सीढ़ियों के नीचे किचन बनाना आपके लिए दुर्भाग्य ला सकता है।
मास्टर बेडरूम : इस उद्देश्य के लिए साउथ-वेस्ट दिशा को परफेक्ट माना गया है। साउथ-ईस्ट दिशा को अग्नि कोण माना गया है, इस दिशा में मास्टर बेडरूम बनाने से कपल्स की मानसिक शांति भंग होती है और स्वास्थ्य खराब रहता है।

बच्चों का रूम : बच्चों का रूम साउथ-वेस्ट दिशा में बनाना चाहिए। यहां यह भी ध्यान रखने की बात है कि सोते समय बच्चों का सिर दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर हो।

बाथरूम : वास्तु शास्त्र के अनुसार टॉयलेट या बाथरूम बनाने के लिए घर की वेस्ट या नॉर्थ-वेस्ट दिशा को सर्वोत्तम माना गया है। यदि अन्य किसी दिशा में बाथरूम हो तो उस घर को नहीं खरीदना चाहिए।

कमरों का आकार एवं शेप (Shapes and Forms)

घर के साथ-साथ घर के अंदर कमरों की शेप और आकार भी इम्पोर्टेंट हैं। इन्हें वास्तु के निर्धारित नियमों के अनुसार ही बनाना चाहिए। रूम्स चौकोर या आयताकार होने चाहिए। रूम को आधुनिक लुक देने के लिए आप सर्कुलर (गोलाकार) शेप भी अपना सकते हैं हालांकि वास्तु में इसके लिए मनाही की गई है।

छत पर पानी के टैंक की दिशा (Construction of Overhead Water Tank)

छत पर पानी के टैंक (या टंकी) को साउथ-वेस्ट दिशा में रखना चाहिए। पानी की टंकी को छत से लगभग दो फुट की ऊंचाई पर रखना चाहिए।

हवा और रोशनी का आवागमन (Proper Ventilation)

घर में प्रॉपर सूर्य प्रकाश और हवा का वेंटिलेशन होना वास्तु के सबसे मूलभूत सिद्धांतों में से एक है। घर खरीदते समय यह जरूर ध्यान रखें कि उसमें सनलाइट और हवा का प्रॉपर वेंटिलेशन हो रहा हो।

सेप्टिक टैंक (Septic Tank)

सेप्टिक टैंक में बाथरूम, किचन तथा टॉयलेट की गंदगी इकट्ठा होती है जो नेगेटिव एनर्जी पैदा करती है। सेप्टिक टैंक को गलत दिशा में बनाने से उस घर में रहने वाले लोगों के जीवन में तनाव आ सकता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार सेप्टिक टैंक नॉर्थ-वेस्ट डायरेक्शन में मेन दीवार से थोड़ा दूरी पर बनाया जाना चाहिए। इस दिशा के अतिरिक्त अन्य किसी अन्य दिशा में बनाया गया सेप्टिक टैंक आपके लिए आफत का कारण बन सकता है।

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क्या वास्तु सच में काम करता है और हमारी लाइफ पर असर डालता है? (Does Vastu Really Work and Affect Our Life?)

अत्यन्त प्राचीन समय से ही वास्तु शास्त्र को “साइंस ऑफ आर्किटेक्चर” माना जाता रहा है। भारतीय परंपरा में इसे घर में निवास करने वाले परिवारों की खुशहाली से भी जोड़ा जाता है। यही कारण है कि घर के हर रूम और कॉर्नर के लिए इसमें इतना विस्तृत वर्णन दिया गया है। वास्तु के नियमों का पालन करने से हमारी लाइफ आसान और पहले से बेहतर बनती है।

घर के ब्रह्म स्थान को केंद्रस्थान भी माना जाता है। यहां पर सभी दिशाएं मिल कर एक होती हैं। अत: इस कॉर्नर को यथासंभव खाली रखना चाहिए अर्थात् यहां पर कोई खंभा या बीम न हो। साथ ही इसे पूरी तरह से खाली रखना चाहिए। इस स्थान पर मेडिटेशन के लिए स्पेस बनाया जा सकता है, सामूहिक पूजा की जा सकती है। वास्तु के नियमों का सही तरह से पालन करते हुए यदि घर बनाया जाए तो हमें कई प्रकार के लाभ होते हैं।

पैसा आकर्षित होता है

हमारी सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसा सबसे ज्यादा जरूरी है। वास्तु के अनुरूप बनाए गए भवन में रहने से घर में लक्ष्मी का वास होता है और आर्थिक परेशानियां दूर ही रहती हैं।

आर्थिक सुरक्षा मिलती है

वास्तु के नियमों का पालन करते हुए बनाए गए भवन में आर्थिक तंगी कभी नहीं आती और रोजगार के नित नए अवसर मिलते रहते हैं। यही कारण है कि वहां आर्थिक तंगी जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता।

आगे बढ़ने के नए अवसर मिलते हैं

घर में पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो रहने से दिमाग शांत रहता है और प्रोडक्टिव बन जाता है जिससे उन्नति के नए अवसर मिलते हैं और जीवन में आगे बढ़ने की राह बनती है।

रिलेशनशिप और संबंधों में आती है मधुरता

सही तरह से बनाए गए घर में रहने से फैमिली मेंबर्स के बीच आपसी संबंध अच्छे होते हैं और कपल्स के बीच भी आपसी अंडरस्टैंडिंग बनती है जिससे झगड़े कम होते हैं और हैप्पी लाइफ जीते हैं।

खुशियां और आनंद

ऐसे घर में रहने से व्यक्ति खुद को मानसिक तथा इमोशनली दोनों तरह से सेफ सिक्योर अनुभव करता है। इससे उसका मन-मस्तिष्क प्रसन्न रहता है और वह जीवन के सभी सुखों का आनंद पूर्वक भोग कर पाता है।


क्या मैं भी वास्तु सीख सकता/सकती हूं?

हमारे जीवन में वास्तु का बहुत बड़ा रोल है। एक तरह से यह आर्किटेक्चर (सिविल इंजीनियरिंग) को नेचुरल एलिमेंट्स के साथ जोड़ने की कला और विद्या है। वास्तु का मुख्य उद्देश्य जीवन में शांति, सौम्यता, समृद्धि और तरक्की लाना है। इसे घर, दुकान, फैक्ट्री, कारखाना, ऑडिटोरियम, मॉल्स, स्कूल हर जगह लागू किया जा सकता है।

यहां पर वास्तु के बेसिक रूल्स के बारे में आप पढ़ चुके हैं। यदि आप इनके बारे में डिटेल्स से जानना चाहते हैं या कोर्स करना चाहते हैं तो हमारे वास्तु एक्सपर्ट्स से जुड़ने के लिए हमारी वेबसाइट देखें अथवा हमारी ऐप डाउनलोड करें।

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