हॉस्पिटल तथा क्लीनिक के लिए वास्तु शास्त्र का महत्व
भारत में ‘साइंस ऑफ आर्किटेक्चर’ के नाम से प्रसिद्ध वास्तु शास्त्र को बिल्डिंग के डिजाइन, लेआउट तथा स्ट्रक्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। हालांकि अभी भी बहुत से लोगों में यह भ्रम है कि इसका प्रयोग केवल घर तथा ऑफिस में ही किया जा सकता है। वास्तविकता यह है कि वास्तु का उपयोग न केवल घर या ऑफिस वरन हॉस्पिटल्स, क्लिनिक और लैब बनाने में भी किया जा सकता है और ऐसा करना आपके लिए लाभकारी भी होता है।
आज के युग में वास्तुविदों की सलाह के आधार पर हॉस्पिटल बिल्डिंग बनाई जा रही हैं। वास्तु के नियमों का पालन करने पर इन बिल्डिंग में पॉजिटिव वाइब्स आती है एवं वहां का पूरा माहौल ही बहुत आरामदायक और शांत हो जाता है। इसके असर से मरीजों को भी जल्दी आराम मिलता है। इन सबके साथ-साथ सबसे बड़ी बात, हॉस्पिटल के संचालन में भी कोई परेशानी नहीं आती।
दुर्भाग्यवश आज बहुत से हॉस्पिटल्स में मरीज घुसते ही पहले से ज्यादा बीमार अनुभव करने लगते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि वहां पर नेगेटिव एनर्जी बहुत ज्यादा होती है और वहां का माहौल भी मरीजों को शांत करने वाला नहीं होता बल्कि उनके दिमाग को उत्तेजना से भर देता है। वास्तु के हिसाब से यदि हॉस्पिटल बिल्डिंग को डिजाइन किया जाए तो वहां के माहौल की पॉजिटिव एनर्जी डॉक्टर और स्टाफ के साथ-साथ मरीजों पर भी सकारात्मक असर दिखाती है और वे जल्दी सही होने लगते हैं। इससे हॉस्पिटल का भी नाम होता है।
वर्तमान में इस संबंध में लोगों की जागरूकता बढ़ रही है और वे वास्तु एक्सपर्ट्स से सलाह लेकर ऐसी बिल्डिंग बनाने का काम कर रहे हैं। क्लीनिक बनाने में भी वास्तु के नियमों का ध्यान रखा जा रहा है।
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