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चौघड़िया चेन्नई के लिए

अगर आप कोई नया काम शुरू करने जा रहे हैं तो शुभ मुहूर्त देखते हैं, लेकिन अगर आपको जल्द से जल्द कोई कार्य करना हो तो चौघड़िया मुहूर्त महत्वपूर्ण हो जाता है। इसी शुभ मुहूर्त की जांच के लिए चौघड़िया या यूं कहें चोगड़िया का प्रयोग किया जाता है। हालांकि, परंपरागत रूप से चौघड़िया का उपयोग यात्रा मुहूर्त का पता लगाने के लिए किया जाता है, लेकिन आसान होने के कारण इसका उपयोग किसी भी मुहूर्त के लिए किया जाता है। किसी भी शुभ काम को शुरू करने के लिए चार अच्छे चौघड़िया हैं। इन चार चौघड़िया अमृत, शुभ, लाभ और चर को शुभ और उत्तम माना जाता है। इसी तरह तीन खराब चौघड़िया रोग, काल और उदवेग से बचने की बात कही जाती है। सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच के समय को दिन का चौघड़िया और सूर्यास्त और अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को रात का चौघड़िया कहा जाता है।

आज का चौघड़िया Mon, 28 Apr 2025

Chennai
शुभ
अशुभ
सामान्य
राहु काल
दिन चौघड़िया
अमृत- सर्वोत्तम 05:48 – 07:22
काल- हानि 07:22 – 08:57
शुभ- अच्छा 08:57 – 10:31
रोग- अमंगल 10:31 – 12:06
उद्वेग- अशुभ 12:06 – 13:40
चल- सामान्य 13:40 – 15:15
लाभ- उन्नति 15:15 – 16:49
अमृत- सर्वोत्तम 16:49 – 18:24
रात चौघड़िया
चल- सामान्य 18:24 – 19:49
रोग- अमंगल 19:49 – 21:14
काल- हानि 21:14 – 22:40
लाभ- उन्नति 22:40 – 00:05
उद्वेग- अशुभ 00:05 – 01:30
शुभ- अच्छा 01:30 – 02:56
अमृत- सर्वोत्तम 02:56 – 04:21
चल- सामान्य 04:21 – 05:46

क्या होता चौघड़िया

किसी भी काम को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाना आम बात है, लेकिन यदि जल्दी में किसी कार्य को करना है और शुभ मुहूर्त देखने विलंब है, तो चौघड़िया देखकर काम शुरू किया जा सकता है। पहले चौघड़िया का प्रयोग केवल यात्रा के लिए किया जाता था, लेकिन तेज भागते जीवन में अब चौघड़िया का उपयोग किसी भी शुभ काम को करने से पहले किया जा सता है। किसी भी शुभ काम को शुरू करने के लिए चार अच्छे चौघड़िया हैं। इन चार चौघड़िया अमृत, शुभ, लाभ और चर को शुभ और उत्तम माना जाता है। इसी तरह तीन चौघड़िया में कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता है। ये चौघड़िए हैं रोग, काल और उदवेग। सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच के समय को दिन का चौघड़िया और सूर्यास्त और अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को रात का चौघड़िया कहा जाता है। इन चौघड़िया का समय सूर्योदय से शुरू होकर 1.30 घंटे तक रहता है।

जानिए क्या है वार वेला, काल वेला और काल

दिन और रात के चौघड़िया में वार वेला, काल वेला और काल रात्रि का भी समय होता है। ये वार वेला, काल वेला और काल रात्रि किसी भी शुभ चौघड़िये के दौरान भी हो सकती है। वार वेला और काल वेला दिन के समय में होती है, जबकि काल रात्रि रात के समय प्रबल होती है। इस दौरान किए गए मांगलिक कार्य फलदायी नहीं होते हैं। इस समय को छोड़ा जाना चाहिए।

कौन सा चौघड़िया शुभ और कौन सा अशुभ होता है?

सप्ताह में सात दिन होते हैं। ज्योतिष और मुहूर्त शास्त्र के अनुसार प्रत्येक दिन का एक स्वामी ग्रह होता है। हर दिन के पहले मुहूर्त पर उस दिन के स्वामी का शासन होता है। इसे एक उदाहरण से समझें तो रविवार को पहले चौघड़िया मुहूर्त पर सूर्य का शासन होता है, उसके बाद के मुहूर्त पर शुक्र, बुध, चंद्रमा, शनि, बृहस्पति और मंगल का शासन होता है। दिन के अंतिम मुहूर्त पर भी उस दिन के स्वामी ग्रह का शासन होता है।

दरअसर एक दिन में 24 घंटे होते हैं और चौघड़िया 1.30 घंटे की अवधि का होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र, बुध, गुरु और चंद्रमा को शुभ ग्रह माना जाता है, इसलिए इन वार पर पहला चौघड़िया हमेशा अच्छा होगा, लेकिन सूर्य, मंगल, शनि पाप ग्रह है, इन वार पर पहला चौघड़िया हमेशा नकारात्मक होगा।

महत्वपूर्ण शुभ मुहूर्त

उद्वेग चौघड़िया
ज्योतिष में सूर्य के प्रभाव को आमतौर पर अशुभ माना गया है इसीलिए इसे उद्वेग के रूप में चिह्नित किया जाता है। हालांकि, इस चौघड़िया में सरकारी कार्यों को किया जा सकता है।
चर चौघड़िया
शुक्र को एक शुभ और लाभकारी ग्रह माना जाता है। इसलिए इसे चर या चंचल रूप में चिह्नित किया गया है। शुक्र की चर प्रकृति के कारण, चर चौघड़िया को यात्रा उद्देश्य के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
काल चौघड़िया
शनि एक पापी ग्रह है इसीलिए इसे काल के रूप में चिह्नित किया गया है। काल चौघड़िया के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। हालांकि, कुछ मामलों में धनोपार्जन हेतु की जाने वाली गतिविधियों के लिए यह लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
शुभ चौघड़िया
बृहस्पति अत्यंत ही शुभ ग्रह है और यह लाभकारी ग्रह माना गया है। इसलिए इसे शुभ के रूप में चिह्नित किया जाता है। शुभ चौघड़िया को विशेष रूप से विवाह समारोह आयोजित करने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
लाभ चौघड़िया
बुध ग्रह भी शुभ और लाभदायक ग्रह है इसलिए इसे लाभ के रूप में चिह्नित किया गया है। लाभ के चौघड़िया में शिक्षा या किसी विद्या को सिखने का कार्य प्रारंभ किया जाता है तो वह फलदायी होता है।
अमृत चौघड़िया
चंद्र ग्रह अति शुभ और लाभकारी ग्रह है। इसीलिए इसे अमृत के रूप में चिह्नित किया गया है। अमृत चौघड़िया को सभी प्रकार के कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है।
रोग चौघड़िया
मंगल एक क्रूर और अनिष्टकारी ग्रह है। इसलिए इसे रोग के रूप में चिह्नित किया गया है। रोग चौघड़िया के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। लेकिन युद्ध में शुत्र को हराने के लिए रोग चौघड़िया की अनुशंसा की जाती है।

त्यौहार कैलेंडर

सभी देखें

2 May

गंगा जयंती

हमारे देश भारत में गंगा नदी का बहुत प्रमुख स्थान है। वह जीवनदायिनी के रूप में भी जानी जाती है, जीवन को फिर से संवार देने वाली और पापों को मिटा देने वाली पापनाशिनी। गंगा सप्तमी हिंदू त्योहार है, जिसे गंगा नदी के पुनर्जन्म की याद में मनाया जाता है।

4 May

सीता नवमी

सीता को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। सीता नवमी का त्योहार सीता के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवी सीता का जन्म वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि (नौवें दिन) को हुआ था। इसी दिन सीता नवमी मनाई जाती है।

7 May

मोहिनी एकादशी

जब समुद्र मंथन से अमृत निकला, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया। मोहिनी के रूप में भगवान विष्णु ने असुरों से अमृत लेने और देवों को देने के लिए छद्म वेष धारण किया। जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया, उसे मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

8 May

रवींद्रनाथ टैगोर जयंती

रवीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) के जन्मदिवस को रवीन्द्र जयंती के रूप में मनाया जाता है। एक तरह से यह पूरी दुनिया में टैगोर के अनुयायियों तथा उन्हें मानने वालों के लिए वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव के समान है।

10 May

नरसिंह जयंती

भगवान नृसिंह भगवान विष्णु के चौथे अवतार हैं, जिन्होंने एक शक्तिशाली राक्षस हिरण्यकश्यप को मारने के लिए एक ऐसे रूप में जन्म लिया था, जिसमें वह शरीर मानव का और सिर सिंह अर्थात शेर का था।

11 May

बुद्ध पूर्णिमा

भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना गया है। इसीलिए उनकी गितनी देवताओं में भी की जाती है। भगवान गौतम बुद्ध के अनुयायी भारत सहित पूरे एशिया में फैले हुए हैं, यही कारण है कि लगभग पूरे एशिया में कई जगहों पर बुद्ध पुर्णिमा मनाई जाती है।

11 May

वैशाख पूर्णिमा

वैशाख माह को हमारे धर्म मे बहुत ही पवित्र महिना माना जाता है। इस माह में पवित्र नदी स्नान , दान व कोई भी धर्मिक कार्य करना बहुत ही लाभदायक व शुभ माना जाता है।

11 May

चित्रा पूर्णिमा

हिंदू नववर्ष की शुरूआत चैत्र माह से होती है, इस माह को दक्षिण भारत में चिथिरई भी कहा जाता है। चिथिरई अथवा चैत्र मास की प्रथम पूर्णिमा को ही चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima) कहा जाता है।

11 May

कूर्म जयंती

कूर्म जयंती हिंदू धर्म का एक बहुत ही शुभ त्योहार है। यह दिन भगवान श्री हरि विष्णु के दूसरे अवतार – कूर्म के लिए मनाया जाता है। इस दिन पूरे भारत में भगवान विष्णु की मूर्तियों की पूजा की जाती है और आशीर्वाद प्राप्त करने और खुशहाल व समृद्ध जीवन जीने के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

12 May

नारद जयंती

हिंदू धर्म में देवर्षि नारद या नारद मुनि, ब्रह्मा, ब्रह्मांड के निर्माता और तीन सर्वोच्च देवताओं में से एक (त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के पुत्र हैं। नारद मुनि देवताओं के दिव्य दूत और भगवान विष्णु के प्रिय भक्त हैं।

13 May

वृषभ संक्रांति

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वृषभ संक्रांति मेष राशि से वृषभ राशि में सूर्य के पारगमन का प्रतीक है। इसके अलावा, यह हिंदू सौर कैलेंडर के अनुसार दूसरे महीने, ज्येष्ठ की शुरुआत का प्रतीक है।

22 May

अपरा एकादशी

हिंदू धर्म में अपरा एकादशी को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इसे ज्येष्ठ विष्णु एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन जो लोग उपवास रखते हैं, उन्हें हर अपराध से मुक्ति मिल जाती है।

25 May

वट सावित्री

वट पूर्णिमा को हिंदू धर्म में एक बहुत ही शुभ दिन माना जाता है, जिसे वट सावित्री के नाम से भी जाना जाता है। मां सावित्री को उनके अनुकरणीय उदार कार्यों के लिए याद करने का यह एक शुभ दिन है।

26 May

शनि जयंती

शनि जयंती (Shani Jayanti) एक ऐसा त्योहार है, जिसका हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। ज्योतिष के दृष्टिकोण से भी त्योहार का एक बड़ा महत्व है। हिंदू शास्त्रों में, सप्ताह का प्रत्येक दिन हिंदू देवी या देवताओं में से एक को समर्पित है

28 May

महाराणा प्रताप जयंती

महाराणा प्रताप के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में हर साल महारणा प्रताप जयंती मनाई जाती है। वह सोलहवीं शताब्दी के उदयपुर, मेवाड़ मेम सिसोदिया राजपूत राजवंश के महान राजा थे। वह अपनी वीरता, पराक्रम, व शौर्यता के लिए इतिहास में अमर है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

चौघड़िया क्या होता है?

चौघड़िया का मतलब होता है चार और घड़िया यानी घड़ी, इस तरह दोनों शब्दों को मिलाकर एक शब्द बनता है चौघड़िया। सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच के सम को 30-30 घड़ी और उस 30 घड़ी को 8 भागों में विभाजित किया गया है। हिंदू समयानुसार एक घड़ी 24 मिनट के बराबर होती है और एक चौघड़िया 4 घड़ियों के बराबर यानी करीब 96 मिनट की होती है। इस हिसाब से एक चौघड़िया की अवधि करीब डेढ़ घंटे की होती है। इसी के मुताबिक चौघड़िया का मुहूर्त देखा जाता है।

चौघड़िया मुहूर्त के विभिन्न प्रकार क्या हैं?

चौघड़िया में वार वेला, काल वेला और काल रात्रि का भी स्थान होता है। हालांकि, वार वेला, काल वेला और काल रात्रि के दौरान कोई भी शुभ कार्य वर्जित होता है। अब समय के हिसाब से इसे देखें तो वार वेला और काल वेला दिन के समय प्रबल होते हैं जबकि काल रात्रि रात के समय प्रबल होती है। इस दौरान किए गए मांगलिक कार्य फलदायी नहीं होते हैं।

क्या होगा यदि एक शुभ चौघड़िया मुहूर्त वेला, काल या रात्री के अशुभ समय के साथ मेल खाता है?

यदि किसी शुभ चौघड़िया में वेला, काल या रात्री का अशुभ समय रहता है, तो ऐसे समय को छोड़कर दूसरा चौघड़िया देखा जाना चाहिए।

क्या होगा अगर एक शुभ चौघड़िया मुहूर्त वेला, काल या रात्रि के अशुभ समय के साथ मेल खाता है?

चौघड़िया शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- चो यानी चार और घड़िया यानी घड़ी। प्रत्येक घड़ी, हिंदू समय के अनुसार, 24 मिनट के बराबर होती है। सूर्योदय से सूर्यास्त तक 30 घड़ियां होती हैं जिन्हें 8 से विभाजित किया जाता है। इसलिए, 8 दिन चौघड़िया मुहूर्त और 8 रात चौघड़िया मुहूर्त होते हैं। एक चौघड़िया 4 घड़ी (लगभग 96 मिनट) के बराबर होता है। तो, एक चौघड़िया लगभग 1.5 घंटे तक रहता है।

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