हरियाली तीज 2022 की तारीख, समय, पूजा विधि और कथा

हरियाली तीज 2022 की तारीख, समय, पूजा विधि और कथा

हरियाली तीज 2022 कब है (HARIYALI TEEJ KAB HAI)

हरियाली तीज का त्योहार इस साल 31 जुलाई 2022 के दिन मनाया जाएगा। 

हरियाली तीज31 जुलाई 2022
हरियाली तीज तिथि प्रारंभ31 जुलाई 2022, 02:59 AM
हरियाली तीज तिथि समाप्त01 अगस्त 2022, 04:18 AM

हरियाली तीज पूजा सामग्री (hariyali teej pooja samagri)

इस दिन देवी पार्वती की पूजा की जाती है, इसलिए महिलाओं को

  • जीरा,
  • कलश,
  • अबीर,
  • चंदन,
  • तेल और घी,
  • कपूर,
  • दही,
  • चीनी के अलावा चूड़ियां,
  • महुर,
  • शंख,
  • सिंदूर,
  • मेंहदी,
  • बिंदी,
  • कुमकुम,
  • कंघी सहित अन्य आभूषणों की आवश्यकता होती है।
  • पूजा के लिए शहद,
  • दूध और पंचामृत,
  • इसी के साथ अन्य आवश्यक वस्तुओं में बेल के पत्ते,
  • केले के पत्ते,
  • धतूरा,
  • अंकवा के पेड़ के पत्ते,
  • तुलसी,
  • शमी के पत्ते,
  • काली गीली मिट्टी,
  • जनेव,
  • धागा और नए कपड़े शामिल हैं।

हरियाली तीज 2022 पूजा विधि (hariyali teej pooja vidhi)

हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह से रात तक व्रत रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं रात भर देवताओं की पूजा करती हैं और उनका आशीर्वाद लेती हैं। इस उत्सव में गंगाजल को शुद्ध मिट्टी में मिलाकर गणेश, पार्वती और रिद्धि – सिद्धि की मूर्तियों के साथ रेत से भगवान शंकर और माता पार्वती की मूर्ति बनाई जाती है। प्रतिमाएं बनाते समय महिलाएं देवताओं को याद करती हैं और इस प्रक्रिया में उनकी पूजा करती रहती हैं। पूजा के बाद महिलाएं रात भर भजन – कीर्तन करती हैं और आरती करने के लिए बिल्व पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते और केवड़ा चढ़ाती हैं।

हरियाली तीज व्रत विधि (hariyali teej vrat vidhi)

भगवान शिव के चरणों में जल चढ़ाकर पूजा शुरू करने के बाद, महिलाएं व्रत कथा पढ़ने से पहले अगरबत्ती के साथ नैवेद्य या भोग लगाती हैं। भोग और धूप के बाद महिलाएं हरियाली तीज व्रत कथा का पाठ करती है और आरती कर इसका समापन किया जाता है। हरियाली तीज उत्सव पूरा होने के बाद अगली सुबह स्नान करने और तैयार होने के बाद देवताओं को भोग लगाना चाहिए। व्रती को भगवान को लगे भोग को ग्रहण कर अपने उपवास या व्रत का समापन करना चाहिए। 

हरियाली तीज व्रत कथा (hariyali teej vrat katha)

हरियाली तीज की व्रत कथा के अनुसार एक दिन भगवान शिव माता पार्वती को अपने मिलन की कथा सुनाते हैं। त्रिशूल और नागधारी भगवान कहते हे पार्वती तुमने मुझे अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए धरतीलोक में 107 बार जन्म लिया। लेकिन मुझे पति के रूप में प्राप्त नहीं कर पाई। लेकिन जब आपने 108वीं बार पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया तब मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया। इस घोर तपस्या के दौरान आपने अन्न – जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर अपनी तपस्या के दिन व्यतीत किए। आपने मौसम की परवाह किए बिना  निरंतर तप किया। आपकी ऐसी अवस्था देख आपके पिता गिरिराज को बहुत दुःख हुआ। लेकिन आपने बिना किसी की परवाह किए वन में एक गुफा के भीतर मेरी घोर आराधना की। भाद्रपद तृतीय शुक्ल को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना कि जिससे प्रसन्न होकर मैंने आपकी मनोकामना को पूरा किया। इसके बाद आपने अपने पिता से कहा कि ‘पिताजी, मैंने अपने जीवन का एक बहुत ही बड़ा हिस्सा भगवान शिव की तपस्या में बिताया है और भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी कर लिया है। अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे। पर्वतराज ने आपकी इच्छा स्वीकार कर ली और तुम्हें घर वापस ले गए। कुछ समय बाद उन्होंने पूरे विधि विधान के साथ हमारा विवाह किया। फिर भगवान कहते हैं, हे पार्वती! भाद्रपद शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका। हरियाली तीज व्रत का महत्व यह है कि इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मैं मन वांछित फल देता हूं। भगवान शिव ने पार्वती से कहा कि इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग की प्राप्ति होगी।

सौभाग्य बढ़ाने के लिए करें हरियाली तीज उत्सव

महिलाएं अपने सौभाग्य को बढ़ाने के लिए हरियाली तीज का उपवास कर सकती हैं। आमतौर पर इस व्रत को महिलाएं सामुहिक रूप से करती है। कई जगह पर हरियाली तीज के व्रत पर रात्रि जागरण का भी विधान है। इस साल अपने सौभाग्य की वृद्धि के लिए सावन में हरियाली तीज व्रत जरूर करें।