वास्तु (Vastu)
वास्तु शास्त्र सिर्फ गणितीय कैलकुलेशन, ज्योमैट्रिक डिजाइन और सुंदर बिल्डिंग का नक्शा बनाने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह प्राकृतिक तत्वों में संतुलन स्थापित कर उन्हें अपने अनुकूल बनाने की विद्या है। वास्तु का मुख्य उद्देश्य पूरी जमीन का, घर का तथा कमरे की हर एक इंच का प्रयोग करना है।
यदि किसी बिल्डिंग को बनाते समय उसमें वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन किया जाए तो उस स्थान पर नेगेटिव वाइब्स खत्म होकर पॉजिटिव एनर्जी आती है। सबसे महत्वपूर्ण बात, वास्तु केवल रूम्स के लिए ही नहीं होता है बल्कि किचन, बेडरूम, लिविंग रूम, डाइनिंग रूम तथा घर के बाहरी हिस्सों के लिए भी होता है।
वास्तु को समझने के लिए हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि हर घर का अपना एक एनर्जी फील्ड होता है जिसमें हम रहते हैं। इस एनर्जी फील्ड में वास्तु पंचतत्वों (जल, थल, अग्नि, वायु और आकाश) का परफेक्ट संतुलन बनाने का काम करता है। विज्ञान की भाषा में कहें तो यह पर्यावरण का विज्ञान है जो किसी स्थान विशेष को आपके दिमाग और आत्मा से सीधे कनेक्ट करता है।