हिंदू धर्म में, गंगा नदी को सबसे पवित्र नदी माना जाता है, और इसे देवी के रूप में पूजा जाता है। इस वजह से गंगा सप्तमी को हिंदुओं के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। यह दिन देवी गंगा को समर्पित है। इसे जाह्नु सप्तमी के रूप में भी जाना जाता है। गंगा पूजन वह दिन है, जिसे देवी गंगा के पुनर्जन्म का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। ऐसा माना जाता जाता है की इस दिन गंगा दोबारा धरती पर अवतरित हुई थी।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गंगा सप्तमी वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष के 7 वें दिन मनाई जाती है, यानी शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है। इस दिन, उत्तराखंड में ऋषिकेश, इलाहाबाद में त्रिवेणी संगम आदि हिंदू तीर्थ स्थानों में भक्तों द्वारा विशेष पूजा और प्रार्थना की जाती है। देवी गंगा की आरती सबसे प्रसिद्ध आरती मानी जाती है। उत्तर भारत में, यह पूरे उत्साह के साथ मनाया जाने वाला दिन है।
आइए जानते हैं गंगा सप्तमी का महत्व और इस पर्व के पीछे की कथा:
गंगा सप्तमी का तिथि और समय
इस बार गंगा सप्तमी 8 मई 2022 को मनाई जाएगी। नीचे महत्वपूर्ण समय और दिन का मुहूर्त दिया गया हैं
तिथि और समय | |
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सूर्योदय | सुबह 5:00 बजे ( 8 मई 2022) |
सूर्यास्त | शाम 6:06 बजे ( 8 मई 2022) |
मध्याह्न काल पूजा का समय | 10:15 ए एम से 12:52 पी एम |
सप्तमी तिथि शुरू | मई 07, 2022 को 02:56 पी एम बजे |
सप्तमी तिथि समाप्त | मई 08, 2022 को 05:00 पी एम बजे |
गंगा सप्तमी की कथा और महत्व
पद्म पुराण, ब्रह्म पुराण और नारद पुराण जैसे पवित्र ग्रंथों में गंगा सप्तमी के पीछे के महत्व और कथा का उल्लेख मिलता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि देवी गंगा सबसे पहले ‘गंगा दशहरा’ के दिन धरती पर आई थीं। लेकिन एक बार ऐसा हुआ कि संत जह्नु ने गंगा नदी का सारा जल पी लिया। जिससे गंगा धरती से विलुप्त हो गई। धरती पर हर जगह पानी न होने की वजह से त्राहि-त्राहि मच गई। तब देवताओं और राजा भगीरथ ने उनसे गंगा को छोड़ने की प्राथना की, तो उन्होंने वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन एक बार फिर गंगा को धरती पर छोड़ दिया। तब से, इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाने लगा। यह दिन देवी गंगा के पुनर्जन्म का प्रतीक है। इसके अलावा, ऋषि जह्नु की बेटी होने के कारण, देवी गंगा को ‘जाह्नवी’ भी कहा जाता है, यही वजह है कि इस दिन को ‘जह्नु सप्तमी’ भी कहा जाता है।
भारत में गंगा नदी को बहुत पवित्र माना जाता है। गंगा सप्तमी पर किए जाने वाले अनुष्ठान उन जगहों पर बहुत प्रसिद्ध हैं जहां गंगा और उसकी सहायक नदियां बहती हैं। इस दिन कई लोग गंगा के पवित्र जल में डुबकी भी लगाते हैं। ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी में नहाने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। कई लोग अपनी अंतिम इच्छा के रूप में अपना अंतिम संस्कार गंगा नदी के तट पर करवाना चाहते है। या फिर अपनी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने की मंशा रखते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि ऐसा करने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलेगी। ज्योतिष की दृष्टि से भी यह पर्व बहुत महत्वपूर्ण होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, इस दिन देवी गंगा की पूजा करके व्यक्ति मंगल दोष के प्रभाव को कम कर सकता है। यह दिन जन्म कुंडली में मांगलिक दोष को दूर करने के लिए अच्छा माना जाता है। जो लोग मंगल की वजह से अपनी शादीशुदा जिन्दगी में किसी भी तरह की समस्या का सामना कर रहे है, उन लोगों को हमारे विशेषज्ञों से बात करके इस दिन का लाभ मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए उठाना चाहिए, और अपने वैवाहिक जीवन को खुश्मय बनाना चाहिए।
गंगा सप्तमी पर की जाने वाली धार्मिक क्रिया
इस दिन आपको कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:
- सुबह सूर्योदय से पहले उठकर गंगा नदी में पवित्र स्नान करें, साथ ही देवी गंगा की पूजा करें, क्योंकि यह मोक्ष प्रदायनी मानी जाती है।
- इस दिन गंगा नदी की प्रसिद्ध गंगा आरती में भाग ले सकते हैं। गंगा आरती का विशेष महत्व है, क्योंकि माना जाता है कि इस दिन “मां गंगा” स्वर्ग से पृथ्वी पर आती है।
- गंगा आरती कई घाटों पर की जाती है। गंगा आरती में भारत के विभिन्न हिस्सों से लाखों भक्त इस आरती में भाग लेने के लिए आते है।
- गंगा आरती होने की बाद पुजारी भक्तों को आरती ग्रहण करने के लिए देते हैं। लोग अपने हाथों को आरती के ऊपर से घुमाकर सिर और माथे पर लगाते हैं। आरती की थाली में छोटे दिए और फूल होते हैं जिन्हें बाद में नदी में बहा दिया जाता है।
- गंगा सप्तमी के दिन दीपदान की रस्म भी निभाई जाती है। पवित्र नदी के किनारे विशाल मेलों को भी लगाया जाता है।
- गंगा सप्तमी के दिन गंगा सहस्रनाम स्तोत्र और ‘गायत्री मंत्र’ का पाठ करना भी बहुत शुभ माना जाता है।
निष्कर्ष
गंगा को हिंदुओं की देवी के रूप में देखा जाता है। यही वजह है की गंगा सप्तमी पर पूर्ण समर्पण और भक्ति के साथ उनकी पूजा करते हैं। उनका मानना होता है की ऐसा करने से उन्हें सुख, यश और मोक्ष की प्राप्ति होती है। अपनी जन्म कुंडली के आधार पर गंगा सप्तमी के दिन व्यक्तिगत उपाय जानने के लिए हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों से बात करें।