सौर वर्ष या मेष संक्रांति (Mesh sankranti) 2022 : महत्व और मुहूर्त

सबसे पहले आप सभी को सौर वर्ष (Solar New Year) और मेष संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं!

क्या आप जानना चाहते हैं। सौर वर्ष (Solar New Year) का क्या महत्व है। यह कब से शुरू होता है। इस दिन कौन सा पूजा पाठ करना चाहिए। यह सारे सवाल आपके भी मन में घुम रहे होंगे। सौर वर्ष (Solar New Year) 2022 में कब शुरू होगा। इसका ज्योतिषीय महत्व, और मेष संक्रांति के बारे में जानकारी।

तो चलिए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं, आपके सारे सवालों के जबाव।


सौर वर्ष 2022 की महत्वपूर्ण तारीख

साल 2022 में सौर वर्ष 14 अप्रैल को मनाया जाएगा।

सूर्योदय: 14 अप्रैल 2022 | समय: सुबह 5:57 बजे

सूर्यास्त: 14 अप्रैल, 2022 | समय: शाम 6:43 बजे

पुण्य काल मुहूर्त: 14 अप्रैल 2022 | समय: सुबह 5:57 बजे से दोपहर 01:12 बजे तक

महा पुण्य काल मुहूर्त: 14 अप्रैल 2022 | समय: सुबह 6:48 बजे से सुबह 11:04 बजे तक

संक्रांति का समय: 08:56 ए एम


सौर वर्ष (Solar New Year) क्या है, और इसकी शुरुआत कब से होती है

सौर वर्ष तब शुरू होता है जब हमारे ब्रह्मांड की आत्मा यानी सूर्य देव अपना राशि वर्ष पूरा करते हैं। सूर्य देव जब मीन राशि से मौजूद होते है, जिसे राशि चक्र की अंतिम राशि माना जाता है। जब सूर्य देव मीन से अग्नि तत्व वाली मेष राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे राशि चक्र की पहली राशि माना जाता है। तब सोलर न्यू इयर आता है। आपको बता दें की सूर्य देव एक राशि में लगभग एक महीने या 30 दिनों तक रहते हैं।
सौर वर्ष साल के पहले दिन को चिन्हित करता है। भारत में, इसे मेष संक्रांति के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा पूरे देश में लोग इस त्योहार को अलग-अलग नामों और अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं। उदाहरण के लिए, इसे ओडिशा में पाना संक्रांति, तमिलनाडु में पुथंडु, असम में बिहू, बंगाल में पोइला बैसाख, मेष संक्रांति को पंजाबियों द्वारा बैसाखी के रूप में मनाया जाता है।

संक्रांति के शुरू होने के 10 मिनट पहले और 10 मिनट बाद का समय सबसे अच्छा मुहूर्त माना जाता है इस समय आप कोई भी नया काम शुरू कर सकते हैं। इस समय की गई सभी प्रार्थनाओं का शुभ फल मिलता है।

सौर वर्ष के दिन सूर्य देव की पूजा सभी के द्वारा की जाती है। सूर्य देव प्राइड, वार्म, डेज़िग्नेशन और रिस्पेक्ट के प्रतीक माने जाते हैं। ज्योतिषीय रूप से इस प्रकार से समझ सकते हैं। जब सूर्य देव मीन राशि से मेष राशि में आते है तब वे एक लंबी नींद से जागते हैं। नींद से उठने के बाद अपने शरीर का कायाकल्प और नया जोश भरने का दिन यह माना जाता है।

साल में कुल 12 संक्रांति होती है। महीने की हर संक्रांति पर लोग पवित्र नदी में नहाते हैं, व्रत करते हैं। विभिन्न मंत्रों का जाप और हवन करते हैं। इस दिन लोग भोजन, कपड़े और यहां तक कि पैसे दान करके गरीब लोगों की मदद करते हैं। पीले और लाल कलर को सूर्य देव का रंग माना जाता है, जिसकी वजह से इस दिन विशेष रूप से पीले या लाल रंग के कपड़े या दाल का दान किया जाता हैं। भगवत गीता के अनुसार अच्छे कर्म के लिए गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए। इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है


मेष संक्रांति पर किया जाने वाला पूजा पाठ

  • सौर वर्ष के दिन आपको सुबह जल्दी उठना चाहिए और सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए। ऐसा माना जाता है की इस दिन गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व होता है।
  • नहाने के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए। उनको नमस्कार करना चाहिए।
  • आप इस दिन पुण्य काल मुहूर्त पर पूजा या अनुष्ठान कर सकते हैं। इसके लिए आपको पुण्य काल मुहूर्त का समय अवश्य पता होना चाहिए।
  • पूजा करने के बाद सभी को प्रसाद बांटना चाहिए। उत्तर भारत में लोग आमपना को प्रसाद के रूप में बांटते हैं।
  • इस दिन भगवान सूर्य के विभिन्न मंत्रों, और स्तोत्रों का जाप करना चाहिए। इसके अलावा आप सूर्य देव के ” ॐ घृणि सूर्याय नम:” मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
  • इस दिन व्यक्ति को गरीबों और जरूरतमंदों को कपड़े, भोजन और यहां तक कि पैसे भी दान करना चाहिए। इस दिन लाल और पीले रंग के वस्त्र या भोजन का दान करना शुभ माना जाता है।
  • इस दिन आपको सात्विक भोजन करना चाहिए।
  • इस दिन सूर्य देव के साथ, आप अच्छे स्वास्थ्य, मन की शांति और समृद्धि के लिए भगवान शिव, हनुमान, विष्णु और मां काली की पूजा कर सकते हैं।

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सौर वर्ष (Solar New Year) का ज्योतिषीय महत्व

सूर्य देव को ज्योतिष का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। जिसकी वजह से सोलर न्यू इयर बहुत ही शुभ माना जाता है। एक साल में कुल बारह संक्रांति होती हैं। बारह संक्रांति का समान महत्व है। सोलर न्यू इयर और हर बारह संक्रांति पर ज्योतिषियों द्वारा हवन भी किया जाता हैं।

ज्योतिषियों और पंडितों में सौर वर्ष का बहुत महत्व है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जितने भी हिंदू त्योहारों की तिथि होती है। उनकी गणना इसी के आधार पर की जाती है। यह हिंदू कैलेंडर की प्रत्येक तिथि और समय के महत्व को बताता है। कुंडली बनाने के लिए ज्योतिषी और पंडित द्वारा भी सोलर इयर का उपयोग किया जाता। तो, इस सौर वर्ष पर प्रसिद्ध ज्योतिषियों द्वारा अपनी हस्तलिखित जन्मपत्री बनवाएं।


सामान्य प्रश्न (FAQs)

सोलर इयर और लूनर ईयर क्या होता है?
सोलर इयर को सूर्य की परिक्रमा से जोड़ा जाता है। इसमें सूर्य पृथ्वी का चक्कर लगाने में 365 दिन का समय लेते हैं। लूनर इयर को चन्द्र से जोड़ा जाता है। जिसे पृथ्वी का चक्कर लगाने में 354 दिन लगता है।

क्या लूनर और सोलर साइकल पूरा होने 33 वर्ष का समय लेते है ?
लूनर और सोलर साइकल 33 वर्ष का होता है। एक लूनर ईयर में लगभग 354 दिन होते हैं, और एक सोलर ईयर में 365 दिन होते हैं। इन दोनों को मिलाकर 33 साल का साइकल हो जाता है। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि लूनर और सोलर साइकल पूरा होने 33 वर्ष का समय लगता है।


निष्कर्ष

सौर वर्ष हिंदुओं के लिए सबसे शुभ और महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। संक्रांति के बिलकुल सही समय को जानने के लिए सोलर कैलेंडर के अनुसार दिन और मुहूर्त की गणना की जाती है। सौर वर्ष का दिन जगन्नाथ पुरी, समलेश्वरी, कटक चंडी और बिरजा मंदिरों में जाने का यह सबसे अच्छा समय होता है। इस दिन लिया गया इन देवी-देवताओं का आशीर्वाद विशेष फलदायी होता है।

ईश्वर से यही प्रार्थना है की यह सौर वर्ष आप सभी को अच्छे भाग्य, स्वास्थ्य और धन प्रदान करें।



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