परमा एकादशी के व्रत से पाएं परम सुख

परमा एकादशी के व्रत से पाएं परम सुख

कैसे करें परमा एकादशी की पूजा

– सुबह स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु के चित्र या मूर्ति के समझ एकादशी व्रत का संकल्प लेना है।

– भगवान विष्णु की पंचोपचार पूजा करना है। आप भगवान हल्दी, कुमकुम, केसर, पीले फूल अर्पित कर सकते हैं।

– पूजा के विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर सकते हैं। यदि आपको संस्कृत पढ़ने में किसी भी तरह की दिक्कत है तो आप अपनी मातृभाषा में उपलब्ध किताबों से विष्णु सहस्रनाम पढ़ सकते हैं। या इसे सुन सकते हैं।

– भगवान विष्णु के किसी भी एक मंत्र की एक माला यानी 108 बार जाप करना है।

– दिन भर आप उपवास करें। इस बीच आप फलाहार कर सकते हैं। यदि आप किसी कारणवश पूरा उपवास नहीं रख सकते हैं, तो शाम को सूर्यास्त से पहले खाना खा सकते हैं।

– भगवान विष्णु के मंदिर में परमा एकादशी पर पीले वस्त्र अर्पण करें।

– शाम के समय भगवान विष्णु की फिर आरती करें और भगवान को पीले लड्डूओं का भोग लगाएं।

विष्णु सहस्त्रनाम पूजा कैसे काम करती है? जानिए…

व्रत के दौरान जरूर पढ़े परमा एकादशी व्रत कथा

पुराणों की कथा के अनुसार काम्पिल्य नगर में सुमेधा नामक एक सात्विक और धार्मिक ब्राह्मण अपनी पत्नी पवित्रा के साथ रहते थे और उनकी पत्नी भी धार्मिक , सेवाभावी थी। एक दिन अपनी दारिद्र से तंग आकर ब्राह्मण ने घर से दूर जाकर आर्थिक उन्नति करने का विचार किया , लेकिन पत्नी पवित्रा ने कहा कि धन और संतान पूर्व जन्म के फल से प्राप्त होते हैं, इसलिए आप चिंता न करें कुछ मार्ग निकल आएगा। इस दौरान महर्षि कौण्डिन्य उस ब्राह्मण के घर आए। सुमेधा और पवित्रा ने हृदयपूर्वक पूरे मन से महर्षि कौण्डिन्य की सेवा की और उनकी सेवा से प्रसन्न होकर  आर्थिक उन्नति और गरीबी दूर करने का धार्मिक उपाय महर्षि ने बताया।

इस उपाय में उन्होंने बताया कि अधिक मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत तथा रात्रि जागरण करके आप भगवान विष्णु जी को प्रसन्न कर सकते हैं। यह उपाय सुमेधा और पवित्रा दोनों ने ही किया। इससे उनके जीवन में सुख , समृद्धि मिली, इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि परमा एकादशी का व्रत करने से जीवन की कई परेशानियां दूर हो जाती हैं और ईश्वर के आशीर्वाद से वह सब कुछ मिलता है, जिसकी आपको इच्छा है।  इस एकादशी से सभी पापों का नाश होता है और इस लोक में सुख भोगकर अंत में बैकुंठ धाम मिलता है। कहा जाता है कि इसी व्रत को करने से कुबेरजी देवों के कोषाध्यक्ष बने और इसी व्रत से ही सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र को पुत्र, स्त्री और राज्य की दोबारा प्राप्ति हुई थी।

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परमा एकादशी पूजा और पारण का समय

परमा एकादशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त शनिवार, 12 अगस्त को सुबह 07 बजकर 28 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। जबकि परमा एकादशी का व्रत पारण 13 अगस्त को सुबह 05 बजकर 49 मिनट से सुबह 08 बजकर 19 मिनट तक किया जाएगा।

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