
आज का होरा लखनऊ के लिए

ज्योतिष शास्त्र में होरा काफी महत्वपूर्ण है। वैदिक ज्योतिष में जितना महत्व ग्रह-नक्षत्र, मुहूर्त, तिथि, वार आदि का है, उतना ही महत्व होरा का भी है। होरा भारत में समय की गणना का एक प्राचीन उपाय है। होरा का कुल योग 96 मिनट है, जो मोटे तौर पर प्रत्येक मंडल में 24 मिनट के बराबर है।
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05:11 – 06:19 |
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06:19 – 07:28 |
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07:28 – 08:37 |
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08:37 – 09:46 |
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09:46 – 10:54 |
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10:54 – 12:03 |
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12:03 – 13:12 |
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13:12 – 14:21 |
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14:21 – 15:29 |
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15:29 – 16:38 |
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16:38 – 17:47 |
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17:47 – 18:56 |
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18:56 – 19:47 |
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19:47 – 20:38 |
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20:38 – 21:29 |
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21:29 – 22:21 |
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22:21 – 23:12 |
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23:12 – 00:03 |
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00:03 – 00:54 |
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00:54 – 01:46 |
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01:46 – 02:37 |
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02:37 – 03:28 |
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03:28 – 04:19 |
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04:19 – 05:11 |
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सभी देखेंहोरा का महत्व
होरा में प्रत्येक वार का महत्व है। हर वार के हिसाब से गणना भी अलग-अलग होती है। आइए यहां प्रत्येक होरा के महत्व के बारे में जानते हैं।
सू्र्य यानी रवि होरा
सूर्य होरा की बात करें तो इस होरा मुहूर्त का उपयोग राजनीतिक कार्यों, सरकारी अधिकारियों से मिलने, नौकरी के लिए आवेदन करने, कोर्ट से संबंधित लेन-देन और खरीदारी आदि के लिए सूर्य होरा मुहूर्त को शुभ माना जाता है। सूर्य होरा माणिक्य धारण करने के लिए भी शुभ माना जाता है।
चंद्रमा होरा
चंद्रमा होरा में स्थान परिवर्तन किया जाता है। इस होरा का उपयोग आवास में परिवर्तन, यात्रा, संपत्ति से संबंधित मामलों, प्रेम संबंधों में प्रिय से मुलाकात, आभूषण की खरीदारी,, कपड़ों आदि की बिक्री, पानी से जुड़े कार्यों के साथ ही रचनात्मक और कलात्मक कार्यों के लिए किया जाता है। चंद्रमा की होरा में मोती धारण किया जा सकता है।
मंगल होरा
कृषि से जुड़े मामलों, वाहन की खरीद-बिक्री, इलेक्ट्रिकल और इंजीनियरिंग के कार्यों के लिए मंगल होरा का उपयोग होता है। इसके साथ ही ऋण देने और लेने, युद्ध कला आदि के लिए भी शुभ है। नई नौकरी में शामिल होने के लिए समय अच्छा है। इस होरा में मूंगा या कैट आई धारण कर सकते हैं।
बुध होरा
व्यवसाय और दवा से संबंधित मामलों के लिए बुध की होरा शुभ मानी जाती है। इसके अलावा सीखने-पढ़ने, ज्योतिष, धार्मिक कार्यों, लेखन, प्रिंटिंग आदि कार्यों, आभूषण की खरीदारी के लिए भी बुध होरा शुभ होती है। बुध की होरा में पन्ना रत्न धारण किया जा सकता है।
बृहस्पति होरा
देव गुरु बृहस्पति की होरा सभी शुभ कार्यों के लिए शुभ मानी जाती है। इस होरा में नौकरी ज्वाइन करने, व्यापार शुरू करने, कोई नया कोर्स शुरू करने के साथ ही कोर्ट कचहरी से जुड़े मामलों के लिए बुध की होरा शुभ है। इसमें धार्मिक कार्य, तीर्थ यात्र आदि के लिए भी यह होरा शुभ है। इस होरा में पुखराज धारण कर सकते हैं।
शुक्र होरा
प्रेम और विवाह, आभूषण की खरीद बिक्री, एंटरटेनमेंट, वाहन की खरीदारी आदि के लिए शुक्र की होरा शुभ होती है। इस होरा में हीरा, ओपल या नए वस्त्र भी धारण कर सकते हैं।
शनि होरा
मेहनतकश लोगों के लिए शनि की होरा अच्छी मानी जाती है। इसके अलावा तेल और लोहे से संबंधित व्यापार के लिए भी शनि की होरा उपयुक्त होती है। इस होरा काल में नीलम या गोमेद धारण किया जा सकता है।
महत्वपूर्ण शुभ मुहूर्त
स्थान अनुसार होरा
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त्यौहार कैलेंडर
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आदि पेरुक्कु
तमिल महीना ‘आदि’, तमिलनाडु में मानसून की शुरुआत का प्रतीक है। इस महीने में मानसून के कारण नदियों में जल स्तर बढ़ जाता है। प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता दिखाने के लिए और कावेरी नदी को धन्यवाद देने के लिए आदि पेरुक्कू का त्योहार मनाया जाता है।
दामोदर द्वदशी
दामोदर द्वादशी व्रत भक्तों द्वारा भगवान विष्णु का आशीर्वाद लेने के लिए लगन से मनाया जाता है। दामोदर द्वादशी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है। दामोदर भगवान विष्णु के असंख्य नामों में से एक है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी
श्रावण मास, शुक्ल पक्ष की एकादशी को हर वर्ष “श्रावण पुत्रदा एकादशी” (Shravana Putrada Ekadashi) व्रत के रूप में मनाया जाता है। इस साल 2025 में यह एकादशी 5 अगस्त 2025, मंगलवार को पड़ रही है। पुत्रदा एकादशी साल में दो बार मनाई जाती है।
वरलक्ष्मी व्रत
हिंदू धर्म में कई व्रत को महत्वपूर्ण बताया गया है। इन व्रतों को रखने से आप देवी देवताओं को प्रसन्न कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। हमारी परंपराओं में जो फल पाने की इच्छा आप रखते हैं, उसी के आधार पर आपको उपवास करना होता है।
रक्षा बंधन
भारतीय संस्कृति में, हम रक्षा बंधन को श्रावण के महीने में पूर्णिमा पर भाई और बहन के बिना शर्त प्यार के प्रतीक के रूप में मनाते हैं।
पारसी नव वर्ष
पारसी समुदाय हमारे देश में लंबे समय से रह रहा है। वे अन्य भारतीय समुदायों के साथ घुलमिल गए हैं और भारत में शांति से रहते हैं। पारसी लोग ईरानी कैलेंडर के अनुसार साल के पहले दिन अपना पारसी नव वर्ष मनाते हैं।
जन्माष्टमी
जन्माष्टमी, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाने वाला एक हिंदू त्योहार है। भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) के महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (अष्टमी) को मनाया जाने वाला यह त्यौहार जीवंत उत्सव, भक्ति गीत, नृत्य और कृष्ण के जीवन के पुनरावर्तन द्वारा चिह्नित है।
दही हांडी
दही हांडी एक लोकप्रिय हिंदू त्यौहार है जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाता है, यह भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक है। यह जन्माष्टमी के एक दिन बाद, आमतौर पर अगस्त या सितंबर में मनाया जाता है। इस त्यौहार में दही से भरे बर्तन को तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाना शामिल है, जो कृष्ण द्वारा बर्तनों से मक्खन चुराने की चंचल क्रिया का प्रतीक है।
सिंह संक्रांति
संक्रांति का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना। भारत में, यह त्योहार बहुत लोकप्रिय है और देश के विभिन्न हिस्सों में खुशी और आनंद के साथ मनाया जाता है।
अजा एकादशी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अजा एकादशी वह दिन है जब भगवान विष्णु ने हाथियों के राजा गजेंद्र को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया था। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं और भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हैं, ताकि उनकी दिव्य सुरक्षा और आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
हरतालिका तीज
हरतालिका तीज एक हिंदू त्यौहार है जिसे मुख्य रूप से भारत में महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, खासकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार में। भाद्रपद माह में चंद्र पखवाड़े के तीसरे दिन मनाया जाने वाला यह त्यौहार देवी पार्वती और भगवान शिव के साथ उनके मिलन का सम्मान करता है।
गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी एक हिंदू त्यौहार है जो भगवान गणेश के जन्म का जश्न मनाता है, जो ज्ञान के देवता और बाधाओं को दूर करने वाले हैं। भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) के महीने में मनाया जाने वाला यह त्यौहार घरों और सार्वजनिक स्थानों पर गणेश की मूर्तियाँ स्थापित करने, उसके बाद प्रार्थना, अनुष्ठान और प्रसाद चढ़ाने, खासकर मोदक जैसी मिठाइयाँ चढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
जैन संवत्सरी
जैन धर्म के श्वेतांबर लोग पर्युषण के अंतिम दिन जैन संवत्सरी मनाते हैं। यह शुभ दिन जैन कैलेंडर माह अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष को पड़ता है। इसका मतलब है कि जैन संवत्सरी ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अगस्त से सितंबर के बीच आता है।
ऋषि पंचमी
ऋषि पंचमी या भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन यानी हरतालिका तीज के दो दिन बाद और गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद मनाई जाती है। वर्तमान अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, ऋषि पंचमी का दिन अगस्त या सितंबर में आता है।
महालक्ष्मी व्रत
सावन के पवित्र मास के बाद भाद्रपद मास की शुक्ल अष्टमी से महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ होता है। यह व्रत अनुष्ठान सोलह दिनों तक चलता है। इस वर्ष यह 31 अगस्त 2025, रविवार, शनिवार तक बहुत ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इस बार महालक्ष्मी व्रत 2025 के प्रारंभ और उद्यापन का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार होगा
दुर्वा अष्टमी
भारतीय पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दूर्वा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है कि दूर्वा अष्टमी पर दूर्वा (दूब) की पूजा करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और परिवार में सुख, समृद्धि तथा शांति का आगमन होता है।
राधा अष्टमी
राधाष्टमी हिंदुओं के लिए एक पवित्र दिन है। कृष्ण प्रिया राधाजी का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इसलिए इस दिन को राधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। श्री राधा को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। बरसाना में श्री राधा का जन्मस्थान है,
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
होरा क्या होता है?
ज्योतिष में होरा का काफी महत्व है। यह कुंडली विश्लेषण के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। होरा की अवधि एक गंटे की मानी जाती है। एक दिन यानी 24 घंटे में कुल 24 होरा होती है। हर दिन यानी वार की होरा सूर्योदय से शुरू होती है।
होरा का क्या महत्व है?
होरा का ज्योतिष में काफी महत्व है। इसके जरिए धन-संपत्ति के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। किसी भी तरह की कठिन परिस्थितियों में होरा का उपयोग होता है। इसमें ग्रहों की अहम भूमिका होती है।
होरा चार्ट क्या है?
होरा चार्ट फलादेश के लिए तैयार किया जाता है। हर व्यक्ति की एक राशि होती है और उसी आधार पर उसका स्वभाव और अन्य बातें तय होती हैं। इसी के आधार पर होरा चार्ट भी तैयार किया जाता है।