जन्म कुंडली के प्रथम भाव में राहु और चंद्रमा- जानिए इस योग का प्रभाव

जन्म कुंडली के प्रथम भाव में राहु और चंद्रमा- जानिए इस योग का प्रभाव

अगर चंद्रमा और राहु किसी की कुंडली में एक ही स्थान में बैठे हों तो ये योग जातक के जीवन में कठिन दौर ला सकता है और इसलिए जांच लेना सही रहेगा कि विशेषज्ञ इस योग के बारे में क्या कहते हैं। एक तरफ तो चंद्रमा एक लाभकारी ग्रह माना जाता है, जो मानसिक शक्ति, भावनाओं और सोचने की क्षमता प्रदान करता है। वहीं दूसरी ओर राहु एक अदृश्य ग्रह है, जो जातक के जीवन में भ्रम, शंका और मनोरोग जैसी भावना पैदा कर सकता है।

यदि राहु और चंद्रमा, ये दोनों ग्रह कुंडली में एक ही स्थान में मौजूद होने का योग बनाते हैं तो ये विनाश या बाधाओं का संकेत होगा। चंद्रमा और राहु आपस में मैत्रीपूर्ण संबंध साझा नहीं करते हैं और परिणामस्वरूप आप जीवन में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से पीड़ित हो सकते हैं। यही वो कारण है जिसकी वजह से कई ज्योतिष विशेषज्ञ इस योग को अशुभ मानते हैं। यदि हम इस चंद्र-राहु के मिलन के सकारात्मक पक्ष को देखें, तो यह योग शायद आपको जीवन में शक्तिशाली और सफल बनने में मदद कर सकता है।

राहु और चंद्रमा का एक ही स्थान में पाया जाना आमतौर पर राजनेताओं या किसी शक्तिशाली व्यक्ति की कुंडली में देखा गया है। यदि यह योग प्रथम भाव में मौजूद है, तो आप अपने जीवन को रहस्य से भरा मान सकते हैं। आप नकारात्मक शक्तियों और प्रकृति की अदृश्य शक्तियों में विश्वास कर सकते हैं। कुंडली में चंद्रमा और उत्तरी नोड का यह योग (चंद्र) ग्रहण योग को जन्म देता है। यह आपके तार्किक दिमाग को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी पैदा करेगा। अब सवाल यह है कि क्या लग्न भाव में राहु और चंद्रमा प्रभावी होंगे? हम जानते हैं हमारे ज्योतिष शास्त्र प्रेमी पाठक प्रथम भाव में चंद्रमा और राहु के मिलन का परिणाम जानने के लिए बहुत उत्सुक होंगे, तो आइए जानते हैं।

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अगर प्रथम भाव में राहु और केतु बैठे हों तो ज्योतिष अनुसार इसका अर्थ क्या है?

सरल शब्दों में, दोनों ग्रह किसी व्यक्ति के जन्म के समय प्रथम भाव में होने का संकेत देते हैं। यह लग्न भाव में चंद्रमा और राहु के योग का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा, राहु और चंद्रमा की एक ही राशि में उपस्थिति पितृ दोष का निर्माण भी करती है और इसलिए आप जीवन में किसी अप्रत्याशित घटना के शिकार हो सकते हैं। यह योग अशुभ योगों में से एक है जिसका आपकी माता के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है।

इसके अलावा चंद्रमा और राहु का योग आपको आर्थिक संकटों के बीच खींच सकता है और यह आपके पारिवारिक या वैवाहिक जीवन में और अशांति पैदा करेगा। चंद्रमा और राहु का प्रथम भाव में योग यह दर्शाता है कि आपको जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने के लिए आपको कुछ ज्यादा ही मेहनत करनी होगी, अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। हालांकि, लग्न भाव में चंद्रमा काफी अच्छी स्थिति में होता है और सदा राहु कि कि तुलना में ज्यादा बेहतर होता है, यदि चंद्रमा अपनी राशि में मजबूत है या मौजूद है, तो यह राहु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में आपकी मदद कर सकता है।

इसके अलावा, यह मिलन या योग यह भी दर्शाता है कि आपका जीवन कठिनाइयों और संघर्षों से भरा रहेगा। इसके साथ ही आपके जीवन में अनावश्यक बाधाएं, चिंताएं और देरी भी हो सकती है और यही कारण है कि आप पैसे कमाने या अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए गलत रास्ता या तरीका भी चुन सकते हैं। राहु और चंद्रमा के संगम का यह योग आपको कमजोर स्वास्थ्य प्रदान करता है और इसलिए, ऐसे जातक मनोवैज्ञानिक समस्या या त्वचा रोग से पीड़ित हो सकते हैं। आइए अब इस योग के जीवन के दूस क्षेत्रों पर प्रभावों की जांच करने के लिए आगे बढ़ते हैं।

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प्रथम भाव में राहु और चंद्रमा का प्रभाव

  • माता/पति/ पत्नी का स्वास्थ्य
  • मानसिक तनाव
  • व्यावसायिक जिंदगी
  • कॅरियर के लक्ष्य

प्रथम भाव में राहु केतु के योग का व्यक्तित्व पर प्रभाव

प्रथम भाव में राहु और चंद्रमा के योग वाले जातक दोहरे व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं। यदि राहु की स्थिति मजबूत हो तो आपके मन में भ्रम या भय घर कर सकता है। आपके मन में नकारात्मक विचार आएंगे और मानसिक तौर पर परेशान भी रह सकते हैं, जो आपको जीवन मे गलत निर्णय लेने में सहायक बनता है। हालांकि, आपके पास अच्छी कल्पना शक्ति हो सकती है जो आपको गलत गतिविधियों में संलग्न करा सकती है।

इन दोनों ग्रहों का संगम या योग ये इंगित करता है कि आपके जीवन में विलासितापूर्ण जीवन शैली के मौकों की संभावना हमेशा बनी रहेगी और यह आपराधिक मामलों में आपकी संलिप्तता के कारण संभव हो सकता है। इसके साथ ही आप भौतिक सुख और सांसारिक इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए बेताब रहेंगे। इसके अलावा, यह योग ग्रहण दोष के लिए भी बनाता है जो आपके जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। गलत जानकारी की पहचान करने के लिए आपके पास विचारशील स्वभाव और कूटनीतिक शक्ति हो सकती है इसी के साथ आप झूठे वादे कर सकते हैं और झूठ भी बोल सकते हैं।

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प्रथम भाव में राहु केतु के योग का विवाह पर प्रभाव

चंद्रमा और राहु का योग आपको आपके वैवाहिक लक्ष्यों से भटका सकता है, यह सच हो सकता है क्योंकि राहु और चंद्रमा जब मिलते हैं तो वैवाहिक जीवन में नकारात्मक परिणाम देते हैं। आप एक समर्पित प्रेमी होंगे और आपको एक देखभाल करने वाला जीवनसाथी मिल सकता है। बाद में, आप अपने जीवनसाथी से असंतुष्ट हो सकते हैं यह सोचकर कि आपका जीवनसाथी आपकी अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल रहा है। बहुत संभव है कि आपको अपने जीवन साथी से वांछित प्रतिसाद या प्यार न मिले। यहां हमें ये ध्यान रखना होगा कि अगर शुक्र इस योग का हिस्सा है, तो आपका वैवाहिक जीवन सुखी हो सकता है।

प्रथम भाव में राहु केतु का योग एक अशुभ योग कहलाता है जो आपके जीवनसाथी के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, विशेष रूप से महिला जातकों को संतान के दौरान या बच्चे के जन्म के समय बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। एक बार जब आप वैवाहिक जीवन में बंध जाते हैं तो आपके लिए अपने व्यावसायिक और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन बनाना मुश्किल होता है। आप अपने साथी की भावनाओं को समझने में असफल हो सकते हैं जो आपके वैवाहिक जीवन में दरार पैदा कर सकता है। कुल मिलाकर राहु-चंद्र की युति आपके वैवाहिक जीवन में मिले-जुले परिणाम देती है।

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प्रथम भाव में राहु केतु के योग का कॅरियर पर प्रभाव

प्रथम भाव में चंद्रमा के साथ राहु का योग आपको मनोवांछित क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने से रोक सकता है। हो सकता है कि आप अपनी पढ़ाई पूरी न कर पाएं या आप गलत रास्ते पर भी आगे बढ़ सकते हैं। मध्य आयु में आप जुआं, सट्टा या सट्टेबाजी जैसे अवैध कार्यों में शामिल हो सकते हैं। बड़ा लाभ पाने के लिए आप शेयर बाजार में अधिक पैसा निवेश कर सकते हैं। राहु-चंद्र का योग कभी भी एक स्थायी नौकरी या व्यवसाय नहीं प्रदान करता क्योंकि आप एक के बाद एक बाधाओं का सामना कर सकते हैं।

यह योग इस बात का प्रतीक है कि आप राजनीतिक दुनिया में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। आपको जनता कि तरफ से भरी समर्थन मिल सकता है ताकि आप आगे चलकर एक प्रसिद्ध राजनेता के रूप में अपनी छवि बना सकें। जीवन के बाद के चरणों में आप शानदार और आरामदायक जीवन पा सकते हैं, इसलिए यह कहना गलत नहीं है कि राहु-चंद्र की युति हमेशा नकारात्मक परिणाम नहीं देती है और कभी-कभी, आप अंत में सफल हो सकते हैं।

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प्रथम भाव में चंद्रमा और राहु का योग-उचित उपाय

  • नियमित रूप से ध्यान में बैठना शुरू करें।
  • चंद्रमा का रत्न किसी भी सोमवार को धारण करें।
  • ससुराल वालों से सदा अच्छे संबंध बनाए रखने चाहिए।
  • चांदी की चेन या आभूषण पहनें।
  • शुद्ध मन से मां दुर्गा की आराधना करें।

समापन

हमने पाया कि राहु और चंद्रमा का योग जीवन में पतन की ओर ले जाता है। यह योग तभी आपको सकारात्मक परिणाम देगा जब चंद्रमा मजबूत होगा या जिस घर में यह योग बन रहा है उस घर में शुभ ग्रहों की दृष्टि हो। इसके अलावा राहु-चंद्र का योग आपको क्रोधी और चंचल बना सकता है और आप अपने जीवनसाथी या परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मतभेद भी पैदा कर सकते हैं। लग्न भाव में राहु और चंद्रमा का योग आपको वैवाहिक जीवन मे मन वांछित परिणामों से दूर रख सकता है। यह योग आपकी अच्छी छवि को और खराब कर सकता है क्योंकि आपके धोखेबाज बनने की संभावना है। इसके अलावा यह योग वास्तव में कॅरियर के स्थिर विकास में सहायक नहीं होता।

जन्म कुंडली के प्रथम भाव में राहु और चंद्रमा आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा…