वैदिक ज्योतिष अनुसार क्या महत्व है दूसरे भाव का

वैदिक ज्योतिष अनुसार क्या महत्व है दूसरे भाव का

हर कुंडली को 12 भाव में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक भाव में ग्रह का स्थान व्यक्ति के जीवन के अलग-अलग प्रभाव को बताते हैं। इन 12 भावों में व्यक्ति के जीवन से मृत्यु तक सबका लेखा-जोखा लिखा रहता है।

प्रत्येक ग्रह और उनके प्रभाव से व्यक्ति का अस्तित्व तय होता है। ग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। यह ग्रह ही व्यक्ति के जीवन को बनाते है और बिगाड़ते है। कुंडली के दूसरे भाव को लाभ का और प्रॉपर्टी का भाव भी कहा जाता है।

दूसरा भाव व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व रखता है। दूसरा भाव धन और भौतिक संपत्ति को नियंत्रित करता है, लेकिन यह वैल्यू के मुद्दे को भी उठाता है। कुंडली का दूसरा भाव जीवन के वास्तविक अर्थ के खोज की ओर व्यक्ति को ले जाता है। सुखी जीवन के बारे में भी यह भाव बताता है।


दूसरे भाव में ग्रह और उनका प्रभाव

कुंडली के दूसरे भाव में कौन सा ग्रह क्या प्रभाव देता है। कौनसा सा ग्रह इस भाव में शुभ नहीं माना जाता। इन सब की जानकारी जानते हैं इस आलेख में।

दूसरे भाव में सूर्य

दूसरे भाव में सूर्य होने से व्यक्ति में अहम की समस्या होती है। यह परिवार के वंश, कल्चर, स्कूलिंग और सेविंग जैसे मुद्दों के बारे में भी जानकारी देता है। सूर्य पिता का भी कारक ग्रह माना जाता है। पारिवारिक मूल्यों के मामले में जातक के अंदर अहंकार पैदा करते हैं। दूसरे भाव में सूर्य व्यक्ति को सामान्य रूप से फूडी बनाते है। सूर्य गर्मी का भी प्रतिनिधित्व करता है। इन लोगों को “खाना पकाने” या “रेस्तरां” में काम करना भी पसंद होता है। चूंकि सूर्य एक राजसिक गुण वाला होता है। जिसकी वजह से व्यक्ति को तली हुई चीजें और नमकीन स्वाद पसंद होता है। है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उन्हें अलग से नमक खाने की आदत होती है।

सूर्य ग्रह व्यक्ति को सरकार की तरफ से सपोर्ट के बारें में भी बताता है। व्यक्ति को परिवार में से किसी सदस्य के द्वारा सरकार से सहयता मिलती है, या फिर व्यक्ति की खुद की पहुच होती है। कुंडली के पांचवे भाव में अगर सूर्य ग्रह द्वारा शासित राशि होती है, तो व्यक्ति के परिवार में म्यूजिशियन, राजनेता, या अन्य किसी कलात्मक चीजों से जुड़ी हस्तियों का भी परिवार में जन्म हो सकता है। यदि सूर्य अशुभ है, तो की परिवार वालों के साथ अहंकार की लड़ाई भी हो सकती है। इस भाव सूर्य होने की वजह से व्यक्ति की वाणी जलती हुई आग के समान और आधिकारिक हो जाती है। सेल्फ-सेण्टरेड के रूप में आप दुनिया को नजर आते हैं। यह लोग दुनिया को अपने पैसो के द्वारा जलाने वाले बन जाते हैं। यदि सूर्य शुभ होता है तो व्यक्ति को पारिवारिक धन भी मिलता है।

दूसरे भाव में चंद्रमा

दुसरे भाव में चंद्रमा होने की वजह से व्यक्ति कोमल, भावनात्मक और दूसरों की देखभाल करने वाला होता है। दुसरे भाव में चंद्रमा भावनाओं को “कुटुम्ब,” की विरासत से जोड़ता है। पारिवारिक अनुष्ठानों में बड़ें जोश के साथ भाग लेते हैं। चूंकि चंद्रमा बदलती भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए अपने परिवार की गर्मजोशी पर भावनात्मक निर्भरता के कारण माइंड आसलेट करता रहता है। इस भाव में चंद्रमा आपको अच्छा सिंगर बना सकता है।

दूसरे भाव में चन्द्र होने की वजह से व्यक्ति के परिवार में माँ की ही चलती होती है। चन्द्र माँ का प्रतिनिधित्व करता है। दूसरे भाव में होने की वजह से मां परिवार की परंपरा की “अग्रदूत” होती है। परिवार मां के द्वारा दी गई सांस्कृतिक या पारंपरिक मान्यताओं को अपनाता है।

इस भाव में चन्द्र होने की वजह से व्यक्ति हास्पिटैलिटी, फूड, नरिश्मन्ट और होटल्स का बिज़नस भी कर सकता है। इन लोगों को परिवार का मोरल सपोर्ट भी मिलता है। इनके परिवार में फार्मिंग, गार्डनिंग स्टोरेज, एनिमल शेल्टर्स या डेयरी प्रोडक्ट से जुड़े हुए भी बिज़नस हो सकते हैं।

दूसरे भाव में मंगल

दूसरे घर में मंगल सबसे अच्छा नहीं माना जाता है। यह व्यक्ति के रवैये को ऐटिटूड, फोर्सफुल और अथॉरिटेटिव बना देता है। इस भाव में मगल होने की वजह से आप सेविंग से जुड़ी हुई समस्यों का सामना करते हैं। अगर कुंडली में “धन” योग” है तो ही आप सेविंग कर पायेगे। ऐसा माना जाता है की इन लोगों को नॉन -वेजीटेरियन खाना ज्यादा पसंद होता है, बशर्ते इस भाव पर किसी और ग्रह का प्रभाव न हो।

इंजीनियर, एथलीट, फाइटिंग मैन, चिकित्सक या जो लोग साहसिक गतिविधियों में नेतृत्व करते हैं। इसके अलावा यह लोग लंबी दूरी की पैदल यात्रा करना, दौड़ना, इंजीनियरिंग, ड्रिलिंग आदि के काम करना पसंद करते है। आठवें घर के साथ मंगल की युति गुप्त, वर्जित या निजी प्रथाओं (सेक्स, तंत्र, मानसिक क्षमता, आदि) को लेकर लापरवाह बना देती है। मंगल आपको ऑइल, घी, मुर्गी, मछली आदि से तैयार मसालेदार भोजन के प्रति आकर्षित करता है।

दूसरे भाव में बुध

दुसरे भाव में बुध फाइनेंसियल मैटर्स के मामलों में मजबूत स्थान प्रदान करता है, इस भाव में बुध व्यक्ति को मैथ, वोइस और टेक्स्ट से जुड़ा हुआ लॉजिकल सेन्स भी देता है। बुध ग्रह बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। बुध को यह समझ आता है की पैसों का अधिकतम लाभ कैसे उठाया जाए। व्यक्ति के पास स्पीच स्किल और आर्टिक्यलैशन की भी समझ होती है। इस भाव बुध होने की वजह से व्यक्ति अच्छा कहानीकार भी हो सकता है। दूसरे भाव में बुध होने की वजह से व्यक्ति को बिज़नस स्किल और स्पीच का अच्छा ज्ञान होता है। इस भाव में बुध के साथ शुक्र हो तो व्यक्ति की आवाज अच्छी होती है। वो सिंगर भी हो सकता है।

जब मंगल की दृष्टि या युति बुध के साथ इस भाव में हो तो यह आपको इंजीनियरिंग (कंप्यूटर/इलेक्ट्रॉनिक्स) या मैकेनिकल स्किल के अध्ययन की ओर प्रेरित कर सकता है। चूंकि दूसरा भाव धन का भाव होता है, जिसका प्रतीक चिन्ह एक बिज़नस मेन होता है, इसलिए जातक और उसके परिवार को पैसो के मामले आराम रहता है। इस भाव में बुध व्यक्ति को तरह-तरह के खाने का शौकीन बना देता है। भले ही यह ग्रह “हरी” पत्तेदार सब्जियों का कारक है, लेकिन व्यक्ति को तो “डिफरेंट टाइप ऑफ टेस्ट” ही पसंद आता है। चूंकि बुध को एक सौम्य ग्रह माना जाता है, जिसकी वजह से इस पर अन्य ग्रहों के प्रभाव भी जल्दी पड़ते है। इनके खाने का स्वाद स्वाद ग्रहों की दृष्टि या युति से प्रभावित होता है।

दूसरे भाव में गुरु

बृहस्पति को देवताओं का “गुरु” माना जाता है। यह एजुकेशन, पैसा और मैनेजमेंट का कारक भी कहलाता है। दूसरे भाव में गुरु होने की वजह से व्यक्ति टीचर, प्रोफेसर, कंसल्टेंट्स, उपदेशक, धार्मिक हस्ति और “डिवाइन फिगर” जैसे व्यक्तियों के रूप में प्रसिद्ध हो सकते हैं। इसके साथ ही इन लोगों की आवाज में गजब का रौब और आकर्षण होता है। इस भाव में गुरु हो तो व्यक्ति का जन्म ऐसे घर में होता है। जहां पहले से ही परिवार में टीचर, प्रोफेसर, कंसल्टेंट्स, उपदेशक, धार्मिक हस्ति और “डिवाइन फिगर” जैसे लोग मौजूद हो। यह व्यक्ति “आध्यात्मिकता ” से जुड़ा हुआ समुदाय भी बना सकते हैं। बृहस्पति “नॉलेज” और “विजडम” का कारक है, इसलिए परंपरागत रूप से इन दोनों गुणों को महत्व दिया जाता है। बृहस्पति को न्याय का देवता भी माना जाता है, इसलिए व्यक्ति का जन्म एक बहुत ही न्यायप्रिय परिवार में हो सकता है, या जहां बहुत सारे आदेश या “कानून” का पालन किया जाता हो।

दुसरे भाव में गुरु होने से व्यक्ति की इनकम बढ़ती है। इन लोगों के पास पर्याप्त रूप से सेविंग होती है। कुंडली में गुरु की शुभ स्थिति होने से व्यक्ति के अंदर बिलकुल भी अहंकार नहीं होता है। यदि यही गुरु अशुभ हुआ तो व्यक्ति का ईगो बहुत ज्यादा होता है। गुरु ग्रह को खाने के शौकीन वाला भी माना जाता है। यह लोग तरह-तरह के फ़ूड आइटम बनाकर स्टोर भी कर सकते हैं। यह “कमाई” करने के लिए सबसे अच्छी जगह नहीं हो सकती है, लेकिन बृहस्पति के प्रभाव के कारण इनकी सेविंग बढ़ सकती है। बृहस्पति का दूसरे भाव से संबंध होने के कारण, आपके पास पुस्तकों का एक बड़ा कलेक्शन भी हो सकता है।

दूसरे भाव में शुक्र

दुसरे भाव में शुक्र होने की वजह से व्यक्ति आकर्षक और कामुक दोनों हो सकते हैं। व्यक्ति को फाइन आर्ट, म्यूजिक और अन्य कीमती वस्तुओं के बारें में नॉलेज लेना या इनके कलेक्शन में आनंद आता है। शुक्र ग्रह मनी, फ्रूट, फ़ूड फ्लावर, डिजाइन और वास्तुकला जैसी चीजों के कारक होते है। इसके साथ ही इन लोगों को ज्वेलरी, पेंटिंग, जेम्स, रिफाइन आयल, परफ्यूम और इत्र को भी एकत्रित करने के भी शौकीन हो सकते है। चूंकि शुक्र अक्सर “फाइनेंशियल गुड्स” के “बेहतर” पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है। इनका परिवार फाइनेंसर, बैंकर, “गहने,” या ट्रेश़र को जमा वाला भी हो सकता है।

शुक्र ग्रह प्यार और मीठी चीजों से जुड़ा है, इसलिए व्यक्ति को मिठाई खाना बहुत पसंद होता है। जातक का आकर्षक चेहरा, आंखें, बाल और आवाज बहुत सुन्दर होती है। यह लोग आमतौर पर आर्थिक रूप से संपन्न होते हैं, लेकिन तब तक जब वे किसी भी नशीली चीजों का प्रयोग न करें।

क्या आपकी कुंडली में शुक्र अनुकूल है, यह पता करने के लिए आप अपनी जन्मपत्री किसी योग्य ज्योतिषी को दिखाएं

दूसरे भाव में शनि

शनि एक ऐसा ग्रह है, जो जिस घर में रहता है उसका दम घोंटता है। दूसरे भाव में शनि व्यक्ति को “कंजूस” बना सकता है। दूसरे भाव में शनि सामान्य रूप से “सख्त,” “अनुशासित,” या “प्रतिबंधात्मक” भी बना देता है। जब शनि अशुभ स्थिति में होता है, तो व्यक्ति परिवार से जल्दी दूर हो जाता है। इसकी एक वजह सौतेली माँ” भी हो सकती है।

सामान्य तौर पर, जब तक शनि शुभ नहीं होता है। तो यह सेविंग और प्राइमरी एजुकेशन में बाधा डालता है। दूसरे भाव में शनि होने की वजह से व्यक्ति का रंग काला और स्किन ड्राई होती है। इन लोगों को खाना बहुत पसंद होता है, लेकिन यह लोग अधिक मात्रा ,में “ठंडा”, “सूखा”, “बासी” या “भारी” खा लेते हैं जिसकी वजह से इनके शरीर में अधिकतर सुस्ती छाई रहती है।

एग्रीकल्चर, प्रॉपर्टी, फार्मिंग, कोयला, लोहा, पेट्रोलियम, मेटल, डायमंड्स या चमड़े द्वारा इनकम दूसरे भाव के इनकम के स्रोत भी हो सकते हैं। दूसरे भाव में शनि होने की वजह से व्यक्ति में झूठ बोलने की प्रवृत्ति होती है।

दूसरे भाव में राहु

दूसरे भाव में राहु शुभ माना जाता है। यह जातक में मनी सेविंग करने और परिवार के रखवाले के रूप में फॅमिली की वैल्यू करने वाला बनाता है। राहु को एक छाया ग्रह भी मानते है, जो कि राक्षस का भी प्रतिनिधित्व करता है। यह लोग परिवार के धन का उपयोग करने के लिए पूरी तरह से छूट मांगते हैं, जो की गलत भी हो सकता है। इस भाव में पैदा होने की वजह से व्यक्ति “विदेशी” मूल्यों को महत्व दे सकता है। इसके अलावा यह लोग वैज्ञानिक व्यक्तियों के परिवार में भी पैदा हो सकते है, जो पारंपरिक मूल्यों का पालन नहीं करते हैं।

यह लोग फॅमिली की ट्रेडिशनल वैल्यूज की बिलकुल भी परवाह नहीं करते। अगर इन पर यह थोपी जाती है। तो वे उस जगह से दूर भी जा सकते हैं। यह लोग “माय लाइफ माय रूल्स” को फॉलो करते हैं।
इस भाव में राहु धन और शिक्षा को लेकर अपने परिवार की प्रशंसा चाहता है। चूंकि राहु एक छायादार ग्रह है, जिसका सीधा प्रभाव व्यक्ति के खाने पर पड़ता है। जिसकी वजह से यह दूसरों के सम्पर्क में आने से अपने खाने का टेस्ट चेंज भी कर सकते हैं।

दूसरे भाव में केतु

दूसरी भाव में, केतु, “छिद्रकारक” या सेपरेट करवाने वाला होता है। यह किसी के परिवार से अलग होने का कारण भी बन सकता है। जब परिवार के साथ व्यक्ति के संबंधों की बात आती है, तो यह लोनलीनेस, सेपरेशन या समर्पण की भावनाओं को ट्रिगर कर सकता है। दूसरे भाव में केतु होने से व्यक्ति को पैसों को लेकर चिंतित नहीं होता है। जातक का अपने पूर्वजों से भी घनिष्ठ संबंध नहीं होता है। चूंकि केतु पिछले जन्मों में प्राप्त इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करता है, इस वजह से इस जन्म में जातक अपने होर्डिंग्स, धन या बैंक खाते के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करते हैं। वे बेफिक्र रहते हैं।

केतु दूसरे भाव में असंगत, खंडित, स्वप्निल, खोया हुआ, या अलग आवाज की पेशकश करने वाला बना सकते हैं। सांसारिक मानकों के अनुसार इन लोगों का चेहरा आपको, इनोसेंट फेस, मिस्टिकल, या सनकी भी लग सकता है। दूसरे भाव के अन्य पहलुओं के आधार पर, दूसरे भाव में केतु होने की वजह से व्यक्ति को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ता है।


ज्योतिष में दूसरे भाव के बारे में जानकारी

दूसरे भाव फाइनेंस, मटेरियल पोस्सेस्सिओं और सेन्स इन सबका प्रतिनिधित्व यही करता है। दूसरे भाव में ग्रह होने की वजह से व्यक्ति भौतिक जगत में स्टेबल होने के तरीके खोजते रहते हैं। इस भाव में वृषभ राशि की भी एनर्जी (Taurus energy) होती है।


दूसरे भाव में कौन सा ग्रह अच्छा प्रभाव देता है

दूसरे भाव के स्वामी गुरु होते हैं। यहाँ पर धन के मामले में ऐसा माना जाता है की बृहस्पति द्वितीय भाव के स्वामी के रूप में धन हमेशा लाते हैं। यह ग्रह सबसे अच्छा प्रभाव दूसरे भाव में देता है।


ज्योतिष अनुसार अपने दूसरे घर को सक्रिय करने के उपाय

दूसरा भाव, जैसा कि आप जानते हैं, अन्य बातों के अलावा, हमारी आवाज को भी दर्शाता है। नतीजतन, एक बार जब आप अपनी आवाज को नियंत्रित करना शुरू कर देते हैं, तो दूसरा भाव सक्रिय होना शुरू हो जाता है। जब आपके मुंह से निकलने वाले शब्दों पर आपका पूरा नियंत्रण होता है, तो आप तुरंत अपने सामने वाले व्यक्ति को प्रेरित और प्रभावित करते हैं।


निष्कर्ष

दूसरा भाव शक्ति और संरचना है, जो हमें अपना जीवन जीने की अनुमति देता है। अगला भाव भी हमारे पिछले मोल्डिंग से संबंधित है। यह हमारे परिवारों और व्यक्तियों के लिए किए गए लॉन्ग टर्म ओब्लिगतिओन्स पर भी लागू होता है।

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