सनातन धर्म में भगवान विष्णु तीन प्रमुख हिंदू देवताओं में से एक हैं। वैदिक साहित्य और देव ग्रंथों में भगवान विष्णु को दुनिया का रक्षक, संरक्षक और धर्म को पुनर्स्थापित करने वाले ईश्वर के रूप में जाना जाता है। चूंकि भगवान विष्णु सृष्टि के पालक है, इसलिए उन्होंने सृष्टि के निर्माण के समय से ही विभिन्न रूपों में धरती पर अवतरित होकर मानव जाति और धर्म की रक्षा की है। भगवान विष्णु को देश और दुनिया में कई अवतारों के नाम से पूजे जाते है, मुख्य रूप से अपने भगवान कृष्ण और राम भगवान विष्णु के सबसे अधिक पूजे जाने वाले अवतारों में से एक है। धर्म और नैतिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बुराई से लड़ने के लिए भगवान विष्णु स्वयं के एक हिस्से को प्रकट करते हैं, और उनके असंख्य रूप हैं। विष्णु पुराण में उल्लेखित 24 अवतारों में से विष्णु के 10 अवतारों को मुख्य माना गया है। आइए आज इस लेख के माध्यम से हम भगवान विष्णु के जन्म, विष्णु का निवास, भगवान विष्णु कौन है, भगवान विष्णु क्या करते हैं और विष्णु के दशावतार का रहस्य जैसी बातें जानेंगे।
भगवान विष्णु कौन है?
भगवान विष्णु, जिन्हें हम पालनकर्ता, संरक्षक और रक्षक के रूप में संबोधित करते हैं, माना जाता है कि वे ब्रह्मांड के निर्माण से पहले भी मौजूद थे। लोग अक्सर आश्चर्य करते हैं कि भगवान विष्णु कैसे बने या भगवान विष्णु का जन्म कैसे हुआ। इन प्रश्नों के उत्तर विष्णु पुराण जैसे अनेकों कालजयी ग्रंथों और पांडुलिपियों में छिपा है। सनातन मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु एकमात्र ऐसे जीव है, जो प्रलय अर्थात पूर्ण विनाश के बाद भी मौजूद रहते हैं। वहीं प्रश्न भगवान विष्णु कौन है? का जवाब यह है कि आप उन्हें किस रूप और अवतार में समाहित करना चाहते हैं। वे दया और प्रेम के सागर राम भी हैं और क्रोध में उनमुक्त नरसिंह भी, वे गोपियों संग रास रचते बाल कृष्ण भी और कुरूक्षेत्र में अर्जुन को उपदेश देने वाले विश्व स्वरूप भी, वे जरूरत पड़ने पर मत्स्य, और कच्छप भी हैं और वराह भी। इतना ही नहीं सनातन धर्म से जुड़े कुछ धड़ों के अनुसार भगवान गौतम बुद्ध भी विष्णु अवतार ही है।
भगवान विष्णु कहां रहते हैं
परम ब्रह्म भगवान श्री विष्णु वैकुंठ के दूधिया पानी में एक हजार फन वाले अनंत नाग के कुंडल से बने बिस्तर पर रहते हैं। उनके चरण कमलों के पास उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी स्वयं विराजमान रहती हैं। भगवान विष्णु का निवास स्थान और विष्णु का आसन प्रतीकात्मक रूप से आनंद, समय, इच्छा, भ्रम और भौतिक संपन्नता को दर्शाता है। जहां क्षीरसागर का अर्थ आनंद और चेतना से है तो सर्प समय, विविधता, इच्छा और भ्रम को दर्शाता है। भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की मौजूदगी वैवाहिक सुख और भौतिक संपन्नता से जुड़ा है।
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भगवान विष्णु का रूप
पालनकर्ता भगवान विष्णु नीलवर्ण अर्थात नीली आभा या रंग के हैं। आंखों को ठंडक देने वाला भगवान विष्णु का नीला रंग आकाश के रंग, उसके लौकिक आयामों, बारिश, बिजली और तूफान के देवता इंद्र और प्रकृति के साथ उनके संबंधों को दर्शाता है। भगवान विष्णु को आमतौर पर एक चेहरे और चार भुजाओं के साथ चित्रित किया जाता है। भगवान विष्णु की मुद्रा खड़ी या आराम करने की होती है। वह प्रसिद्ध कौस्तुभ रत्न से बना एक हार पहनते हैं जो उसकी बाईं छाती पर टिका होता है इसी के साथ उनके गले में वैजयंती नाम से फूलों और रत्नों की एक और अन्य माला भी होती है। उनकी चार भुजाओं में क्रमशः शंख, चक्र, गदा और कमल हैं। भगवान विष्णु का रूप समझने के बाद हम उन लौकिक वस्तुओं अर्थात विष्णु का शंख, विष्णु का हथियार और विष्णु के हाथों में क्या है जैसे सवालों का जवाब जरूर जानना चाहेंगे।
भगवान विष्णु से संबंधित वस्तुएं और उनका अर्थ
भगवान विष्णु को सदैव ही चतुर्भुज रूप में दर्शाया जाता है। वे अपने हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल लिए नजर आते हैं। भगवान विष्णु का शंख पांच तत्वों के लिए खड़ा है, जिसमें ओम् की ध्वनि, शालिग्राम, देवी लक्ष्मी, जल और पवित्रता व पूर्णता शामिल है। वहीं हाथों में मौजूद खतरनाक सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का भयानक हथियार है जिसका उपयोग वह बुराई को नष्ट करने और धर्म की रक्षा करने के लिए करते हैं। इतना ही नहीं श्री हरि का सुदर्शन चक्र अंधकार को दूर करने वाले, उच्च चेतना और भ्रमों को दूर करने वाले सूर्य का भी प्रतिनिधित्व करता है। प्रभु के हाथों की गदा ज्ञान की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है जबकि कमल सौंदर्य, सद्भाव, पवित्रता, जल तत्व, सृजन और आत्म-साक्षात्कार का प्रतीक है। आइए भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के बारे में जानें।
भगवान विष्णु का वाहन
भगवान विष्णु का वाहन पक्षी राज भगवान गरुड़ हैं जोकि हवा में विचरण करने वाला सबसे शक्तिशाली पक्षी है। गरुड़ जिसे अंग्रेजी में ईगल कहा जाता है, पक्षियों का राजा है। वह विष्णु को कई अलग-अलग लोकों और वैकुंठ की यात्रा करने में सक्षम बनाते हैं। वह धर्म को बनाए रखने में मदद करते है।
भगवान विष्णु की तस्वीरों , मूर्ति और कलाकृतियों में भगवान गरुड़ को एक आधे पक्षी के रूप में चित्रित किया गया है, जिसमें एक चोंच जैसी नाक है, फैले हुए पंख हैं। उन्होंने अपने पंजों में चारों ओर घुमावदार नाग सांपो को दबोचा हुआ है जो उनका शिकार है। उनके हाथ अक्सर सामने की ओर अंजलि मुद्रा या नमस्ते की स्थिति में अपने भगवान विष्णु की आराधना की मुद्रा में रहते हैं।
भगवान विष्णु क्या करते हैं
भगवान विष्णु संरक्षण के स्वामी हैं और उन्हें सर्व-प्रदाता अर्थात सभी कुछ देने वाला माना जाता है। भगवान विष्णु ब्रह्मांडीय सामंजस्य का कार्य करते हैं। उनके ब्रह्मांडीय कार्य की रचनात्मक प्रकृति भगवान शिव की विनाशकारी फैलाव शक्ति के विपरीत है। विष्णु का कार्य ब्रह्मा द्वारा बनाए गए ब्रह्मांड के निर्वाह को सुनिश्चित करना है। वह अस्तित्व के ब्रह्मांडीय कारण और शाश्वत जीवन के प्रतीक का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो ब्रह्मांड को एक रूप बनाए रखने में मदद करता है। हमे अपने प्रश्न भगवान विष्णु क्या करते हैं का सही उत्तर प्राप्त करने और इसे अधिक आसान शब्दों में समझने के लिए भगवान विष्णु के दस अवतारों के बारे में जानना होगा।
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भगवान विष्णु के दस अवतार कौन से हैं
सृष्टि के पालनकर्ता के तौर पर भगवान विष्णु को धर्म और आचार व्यवस्था लागू करने के लिए धरती लोक में कई अवतार लेने पड़े। भगवान विष्णु को समर्पित विष्णु पुराण में हमें प्रभु के 24 अवतारों के बारे में बताया गया है। इन अवतारों में भी विष्णु के 10 अवतार प्रमुख है। आइए भगवान के इन दस अवतारों के बारे में संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण बातें जानें।
विष्णु का पहला अवतार – मत्स्य
मत्स्य अवतार में भगवान विष्णु ने मछली अवतार के अवतार में प्रलय के दौरान मनु और सप्त ऋषियों और सभी तरह के जीवों की रक्षा की थी।
विष्णु का दूसरा अवतार – कूर्म या कछुआ अवतार
विष्णु के कूर्म या कच्छप अवतार ने समुद्र मंथन के समय मंदर पर्वत की मथनी को अपनी पीठ पर स्थान दिया ताकि समुद्र मंथन का असंभव कार्य पूर्ण हो सकें।
विष्णु का तीसरा अवतार – वराह
भगवान विष्णु ने वराह अवतार राक्षस हिरण्याक्ष से चुराए गए वेदों को पुनः प्राप्त करने और पृथ्वी को समुद्र के तल से मुक्त करने के लिए लिया था।
विष्णु का चौथा अवतार – नरसिंह
भगवान का नरसिंह अवतार एक ऐसा प्राणी है जो आधा शेर और आधा मनुष्य है। भगवान का नरसिंह अवतार भक्त प्रहलाद की रक्षा और हिरण्यकशिपु के वध को संदर्भित करता है।
विष्णु का पांचवां अवतार – वामन
भगवान विष्णु के पांचवे अवतार वामन ने तीन कदमों में पूरी धरती को राक्षस राज बलि के शासन से मुक्ति दिलाई थी।
विष्णु का छठा अवतार – परशुराम
परशुराम अवतार में भगवान विष्णु ने दुष्ट राजा कार्तवीर्य का वध किया जिन्होंने पवित्र गाय कामधेनु को चुरा लिया था।
विष्णु का सातवां अवतार – राम
राम अवतार में भगवान विष्णु ने राक्षस राजा रावण का वध किया, जिसने माता सीता का हरण किया था।
विष्णु का आठवां अवतार – कृष्ण
भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण ने मथुरा के अत्याचारी राजा कंस का वध किया और कुरुक्षेत्र के भीषण युद्ध में गीता का ज्ञान और धर्म की विजय का मंत्र दिया।
विष्णु के नौवें अवतार – बुद्ध
भगवान गौतम बुद्ध को विष्णु का नवां अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार संसार से कष्टों को दूर करने के लिए भगवान ने बुद्ध अवतार लिया था। हालांकि बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार मनाने को लेकर हिंदू धर्म में भी विपरीत मत हैं।
विष्णु का दसवां अवतार – कल्कि
भगवान विष्णु का दसवां अवतार होना अभी बाकी है। कल्कि अवतार भगवान विष्णु का अंतिम अवतार है, मान्यताओं के अनुसार कलियुग के अंत या कहें कलियुग के सबसे भीषण दौर में भगवान कल्कि अवतार लेंगे।
भगवान विष्णु के मुख्य मंदिर
भगवान विष्णु को देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई अलग अलग रूप और नाम से पूजा जाता है। आइए भगवान विष्णु के प्रमुख मंदिरों के बारे में जाने।
मंदिर | स्थान |
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बद्रीनाथ मंदिर | उत्तराखंड |
जगन्नाथपुरी मंदिर | उड़ीसा |
द्वारकाधीश मंदिर | गुजरात |
पद्मनाभस्वामी मंदिर | त्रिवेंद्रम |
वेंकटेश्वर मंदिर | तिरुमाला |
भद्राचलम मंदिर | तेलंगाना |