यंत्र का उद्देश्य और इसके बारे में क्यों, कहां और कैसे…

यंत्र के शाब्दिक अर्थ की बात करें जो इसका मतलब उपकरण होता है। हालांकि, यहां पर यंत्र से तात्पर्य एक ऐसी चीज से है, जो कि ऊर्जा को आकर्षित करता है। क्या आपको मालूम है कि आप इसे वास्तव में एक ऐसा उपकरण कह सकते हैं जो कि सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में मददगार होता है। भारत में हम सदियों से इन यंत्रों का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। यह हमारे सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों और परंपराओं में से भी एक है। अलग-अलग तरह के कार्यक्रमों और समारोहों में एक बड़े अनुष्ठान के रूप में यंत्रों के महत्व को हमारे यहां स्वीकार किया गया है। हमारे पूर्वज इन यंत्रों को दीवारों पर, लकड़ियों पर, कागज पर और कपड़ों पर बनाया करते थे। इन यंत्रों के माध्यम से हम अपने देवताओं की पूजा करते हैं, जिन्होंने कि हमें जिंदगी, प्रकृति, भाग्य और रिश्तों के साथ अपनी जिंदगी को नियंत्रित करने की क्षमता भी प्रदान की है।

हिंदू संस्कृति में यंत्रों का बड़ा ही सांस्कृतिक महत्व है। कई बार मंदिरों की सजावट में आपने यह देखा होगा कि यहां दीवारों पर कुछ त्रिभुज और गोलाकार आकृति के साथ कई तरह के प्रतीक बने होते हैं। ये प्रतीक यंत्रों के होते हैं, जिन्हें बड़े पैमाने पर प्रयोग में लाया जाता है। ये अलग-अलग तरह के यंत्र होते हैं। जैसे कि श्री यंत्र, वशीकरण यंत्र, श्री चक्र यंत्र, कुबेर यंत्र और लक्ष्मी यंत्र। यंत्र को बनाने के वक्त हम खुद को ऊर्जा से भर लेते हैं और इस ब्रह्मांड के ऊर्जा के स्रोत से खुद को जोड़ लेते हैं। एक यंत्र बहुत ही व्यवस्थित तरीके से आकृतियों को बनाने का वह तरीका होता है जो कि इस ब्रह्मांड से ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आकर्षित करता है। यंत्र शब्द ‘यण: शब्द से निकला है, जिसका अर्थ होता है नियंत्रण। इसके अलावा ‘त्र’ का अर्थ उपकरण होता है। दोनों को मिलाकर यंत्र शब्द का मतलब एक ऐसा उपकरण होता है, जो कि आपके, आपके परिवार और दोस्तों के आसपास मौजूद सकारात्मक ऊर्जा को नियंत्रित करता है। यंत्र 3D प्रकृति वाले होते हैं, लेकिन उन्हें 2D में ही बनाया जाता है।


यंत्रों का महत्व

हरेक यंत्र का एक बड़ा ही महत्वपूर्ण अर्थ और महत्व होता है। जैसे कि स्वास्तिक समृद्धि, आध्यात्मिकता और भाग्य का प्रतीक है। कमल के फूल की पंखुड़ियां मानसिक चक्र का प्रतीक हैं। त्रिभुज की ऊपर की दिशा शिव का प्रतीक है और त्रिभुज के नीचे की दिशा शक्ति यानी कि माता पार्वती का प्रतीक है। यंत्रों को केवल सही मार्गदर्शन के अंतर्गत ही धारण किया जाना चाहिए। इनके परिणाम प्रभावी होते हैं और ये साबित भी हो चुके हैं। हमारे वेदों और पुराणों में इन्हें स्वीकार किया गया है। ये ज्योतिष शास्त्र के मूलभूत अंग के रूप में माने जाते हैं।


क्या यंत्र वाकई में काम करते हैं? - एक यंत्र से मिलने वाले लाभ

जी हां, हड़प्पा सभ्यता की शुरुआत के वक्त से ही यंत्र अस्तित्व में हुआ करते थे। कई यंत्र प्रतीक 3300 ईसा पूर्व में इस सभ्यता की खुदाई के दौरान पाए गए थे। मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि आपने विशेषकर दक्षिण भारत में मंदिरों के आकार पर ध्यान दिया होगा। वहां के ज्यादातर मंदिरों में एक खास तरह का पैटर्न और एक समान ज्यामितीय डिजाइन बने होते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार हर दिशा और आकार किसी अनोखी चीज का प्रतिनिधित्व करते हैं। बिल्कुल यही चीज यंत्रों में भी हुई है और अपनाई गई है। मेरा यकीन करें, ये आपके जो भी सपने और आपकी इच्छाएं हैं, उन्हें पूरा करने वाले हैं। यदि आप एक यंत्र पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं, तो इससे आपका मन स्थिर हो जाता है और आपकी आत्मा दिव्य ऊर्जा से जुड़ जाती है।

एक यंत्र जैसे कि राहु यंत्र और शनि यंत्र की मदद से आपको ग्रहों के हानिकारक प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है। ये आपको हमेशा प्रेरित करते रहते हैं और आपके चारों तरफ सकारात्मक ऊर्जा को फैला कर आपको ताकत प्रदान करते हैं। ब्रह्मांडीय ऊर्जा का जो वाइब्रेशन होता है, वह आपके अंदर सकारात्मकता को पैदा करता है। साथ ही यह आपकी आत्मा को शुद्ध कर देता है।

धन्वंतरि यंत्र मुख्य रूप से आपके परिवार को अच्छी सेहत का आशीर्वाद देता है। यह शरीर को ऊर्जा से भर देता है। जैसे-जैसे हम हर दिन लगातार प्रार्थना करते हैं, यंत्र हर दिन सकारात्मक ऊर्जा को लगातार फैलाते रहते हैं। हर यंत्र एक खास उद्देश्य को पूरा करता है और अपने आप में बड़ा महत्वपूर्ण होता है। तो चलिए, हम कुछ प्रमुख प्रकार के यंत्रों के बारे में बात करते हैं।


यंत्रों के प्रकार और उनके लाभ

बुध यंत्र बुध ग्रह की ऊर्जा का आह्वान करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। बुध यंत्र, जैसा कि इसके नाम से ही मालूम होता है कि यह बुद्धि से जुड़ा हुआ है। इसके अंदर आपकी बुद्धि, ज्ञान, कौशल, शांति, प्रेम, मानवता और जीवन को समृद्ध, शांतिपूर्ण, स्वस्थ और बेहतर बनाने के लिए जरूरी कई अन्य महत्वपूर्ण चीजों को बढ़ाने की ताकत मौजूद होती है। इसे घर में, ऑफिस में, काम करने की जगह पर या फिर अपनी मनपसंद जगह पर भी रखा जा सकता है।

चंद्र यंत्र चंद्रमा के सभी नकारात्मक प्रभावों को दूर कर देता है और चंद्रमा से जो सकारात्मक ऊर्जा फैलती है, उसे यह ग्रहण कर लेता है। विपरीत लिंगों के व्यक्ति के बीच सामंजस्य और समन्वय बनाए रखने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। ये दोस्त हो सकते हैं। कोई कपल हो सकते हैं या फिर काम करने वाली जगह पर मौजूद लोग हो सकते हैं। इसमें भगवान चंद्रमा का आशीर्वाद छिपा होता है। यह सौभाग्य लेकर आता है। लोगों को इससे बड़े पैमाने पर लाभ मिलता है।

गुरु यंत्र, जोकि तांबे पर सोने की परत चढ़ा कर बनाया जाता है, यह एक बड़ा ही ताकतवर यंत्र है। गुरु मंत्र और गायत्री मंत्र से इसे सक्रिय करने की जरूरत होती है। जो इस यंत्र की उपासना करते हैं, उन्हें सभी देवताओं के गुरु होने के नाते गुरु यानी कि बृहस्पति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह यंत्र अपने उपासक के जीवन में समृद्धि, आध्यात्मिक मार्गदर्शन, ज्ञान और सौभाग्य लेकर आता है।

केतु यंत्र केतु ग्रह के अशुभ प्रभावों को मिटाने वाला होता है। केतु यंत्र अपने उपासक को केतु का आशीर्वाद दिलवाता है। साथ ही उसके जीवन में प्यार, सम्मान, दोस्ती और सफलता भी आती है। सभी तरह की नकारात्मकता को यह दूर कर देता है।

मंगल यंत्र मंगल ग्रह के सभी अशुभ प्रभावों को दूर करने वाला होता है। यदि आप दुर्घटनाओं, बीमारियों और कर्ज जैसी चीजों से खुद का बचाव करना चाहते हैं, तो इस यंत्र की उपासना आपको करनी चाहिए। क्रोध, जो कि बहुत सी समस्याओं की वजह होता है, यह यंत्र उसे नियंत्रित करता है। यह यंत्र अंकों का एक ऐसा समूह है, जो कि रहस्यमयी ताकतों को आकर्षित करता है और आपकी जिंदगी में मंगल ग्रह के जो भी नकारात्मक प्रभाव होते हैं, उन्हें यह दूर करता है। घर में स्थित होने की वजह से मंगल यंत्र आपको कामयाबी और प्रसिद्धि तो दिलाता ही है, साथ में आपके रोजाना के काम और बाकी गतिविधियों के लिए जरूरी ऊर्जा भी यह प्रदान करता है। इस यंत्र में जादुई दिव्य शक्तियों की मौजूदगी है।

राहु यंत्र राहु ग्रह को शांत करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। आपके आसपास के वातावरण को शांत करने में इसकी बड़ी भूमिका होती है। इसके अलावा राहु के सभी तरह के अशुभ प्रभावों को भी यह मिटा देता है। राहु यंत्र की उपासना से आपको अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में न केवल दुश्मनों पर विजय मिलती है, बल्कि आपकी कामयाबी भी सुनिश्चित हो जाती है। यह भी एक ऐसा यंत्र है, जो ब्रह्मांड में राहु की सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर खींच लेता है।

शनि यंत्र शनि ग्रह के सभी तरह के अशुभ प्रभावों को मिटा देता है। यह न्याय के देवता माने जाने वाले भगवान शनि देव का यंत्र है। भले ही भगवान शनि की छवि एक आक्रामक देवता के रूप में बनी हुई है, जिसकी वजह से हर कोई उनसे डरता है, लेकिन वास्तव में शनि देव सबसे दयालु देवता हैं। भगवान शनि हमेशा न्याय करते हैं। मानव जाति के कल्याण के लिए वे सबकुछ करते हैं। शनि यंत्र स्वयं में एक देवता का ही रूप है और भगवान शनि की तरह ही इसे पूजा जाता है। यह यंत्र अपने उपासक के जीवन में सफलता, सौभाग्य, शांति, नाम, प्रसिद्धि और वह सबकुछ लेकर आता है, जिसकी चाहत उपासक को होती है।

शुक्र यंत्र विवाह में बेहतर सामंजस्य बैठाता है, जिससे कि जीवन सुगम बन जाता है। शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए किसी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में शांति के साथ प्रेम, विश्वास और सकारात्मकता जरूरी होती है। इस यंत्र का प्रयोग भगवान शुक्र को खुश करने के लिए किया जाता है। साथ ही शुक्र ग्रह की वजह से जो हानिकारक प्रभाव पैदा होते हैं, उन्हें भी शुक्र यंत्र दूर कर देता है। शुक्र ग्रह धन, पैसे, समृद्धि और विलासिता का प्रतीक है। शुक्र को प्रसन्न करने से आपके जीवन में आकर्षण जुड़ जाता है।

सूर्य यंत्र की पूजा किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए की जाती है। यह यंत्र वातावरण को ऊर्जा से भर देता है। इसकी पूजा घर पर, ऑफिस में, कारखानों में या फिर किसी भी ऐसी जगह पर की जा सकती है, जहां पर कि आप सकारात्मक रूप से उसे सक्रिय बनाना चाहते हैं। सूर्य देव की दिव्य ऊर्जा को यह अपनी और आकर्षित कर लेता है और उपासक के जीवन को यह सूर्य की तरह चमका देता है। सूर्य यंत्र नेताओं, अभिनेताओं, प्रशासन से जुड़े लोगों और उन लोगों के लिए बहुत ही अच्छा होता है, जिन्हें अपने पेशे में या फिर घर में नेतृत्व करने की जरूरत होती है।

श्री यंत्र आध्यात्मिक रूप से एक प्रतीकात्मक आलेख है, जिसका प्रयोग हिंदू धर्म के श्री विद्या स्कूल में किया जाता था। इसमें एक-दूसरे से जुड़े हुए नौ त्रिकोण शामिल हैं, जिनके केंद्र में एक बिंदु बना हुआ है और जो कि बिंदु के नाम से जाना जाता है। यह त्रिकोण ब्रह्मांड और देवी शक्ति यानी कि मां दुर्गा के शरीर का प्रतिनिधित्व करते हैं।

कुबेर यंत्र ब्रह्मांड में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा को जमा कर लेता है और जिंदगी में यह सकारात्मकता लेकर आता है। यह व्यवसाय में समृद्धि लेकर आता है। कुबेर यंत्र अपने उपासक के कॅरियर और पेशे को भी नई दिशा देने का काम करता है। यह यंत्र धन के देवता कुबेर की ऊर्जा को अपनी और आकर्षित करता है। धन के देवता धन कुबेर के नाम से भी जाने जाते हैं। यह आय में बढ़ोतरी करता है। यह यंत्र अपने स्वामी के जीवन में धन, समृद्धि और सौभाग्य लेकर आता है।

वास्तु यंत्र आपके घर में नकारात्मकता को नहीं दाखिल होने देता है। इसके चारों ओर यह एक सुरक्षा कवच के रूप में खुद को तब्दील करके काम करता है। हमारे आसपास के वातावरण में जो सकारात्मकता मौजूद होती है, यह उसे आकर्षित कर लेता है। साथ ही परिवार के सदस्यों के बीच समन्वय और अनुकूलता बनाए रखने में भी बेहद मददगार होता है। वास्तु यंत्र एक ऐसा उपकरण होता है, जिससे कोई भी हानिकारक प्रभाव नहीं निकलता है। इसे घरों में, ऑफिस में, कारखानों में और काम करने की अन्य जगहों पर भी रखा जा सकता है।


घर में आप यंत्र को कैसे रखें?

यंत्रों में दिव्य ऊर्जा के साथ शक्तियां मौजूद होती हैं। यही वजह है कि हम अपनी ऊर्जा को एक यंत्र से जोड़ने के लिए ध्यान लगाते हैं। यंत्रों की उपासना करने से पहले उस जगह को गंगाजल, केसर और पानी से शुद्ध कर देना चाहिए। निर्माण किए जाने से पहले घर के बीच में श्री यंत्र को गाड़ दिया जाता है। जो भी यंत्र होते हैं, किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी की सलाह लेकर ही उन्हें स्थापित किया जाना चाहिए।


एक यंत्र और मंडल के बीच का फर्क

यंत्र और मंडल दोनों ही ज्यामितीय पैटर्न के आधार पर इस तरह से बनाए जाते हैं कि वे ब्रह्मांड का प्रतीक कहलाते हैं। ये दोनों ही उस शक्तिशाली ब्रह्मांड और देवताओं से निकलने वाली ऊर्जा को अपनी और आकर्षित करते हैं, जिनके प्रति हम समर्पित होते हैं।

यंत्रों का प्रयोग मूल रूप से मंदिरों में या घर में भी देवताओं की आराधना के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल ध्यान के वक्त भी मदद के लिए किया जा सकता है। जब हम यंत्र बनाते हैं, तो हम यंत्र की ऊर्जा के साथ अपने जीवन को उससे जोड़ देते हैं। यंत्र हमारे आसपास के वातावरण को दर्शाता है।

मंडल अलग-अलग संस्कृतियों में और विशेष रूप से हिंदू एवं बौद्ध संस्कृतियों में ब्रह्मांड का चित्र बनाने वाले अंकों और प्रतीकों का ज्यामितीय तरीके से प्रतिनिधित्व करता है। संस्कृत में मंडल का अर्थ मंडलियां होती हैं। कई संस्कृतियों और परंपराओं में इसे शांति और सद्भाव बढ़ाने के लिए एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में अपना लिया गया है। यह भी ध्यान का ही एक साधन है। बाहरी शरीर से हमारी अंतरात्मा तक कई परतों के जरिए मंडल हमारी आध्यात्मिक यात्रा को दर्शाता है। इसे प्रार्थना के लिए एक तरीके का प्रतीक और ध्यान के लिए एक उपकरण कहा जा सकता है। ज्यादातर चीन और जापान में यह प्रयोग में लाया जाता है। अलग-अलग रंगों, डिजाइनों और पैटर्न से यह मिलकर बना होता है। ज्यादातर यह गोलाकार होता है, मगर कई बार अन्य आकारों में भी यह दिख जाता है। मंडल का चित्र बनाना वास्तव में अपने अंदर के प्रतिबिंब को उकेर देना होता है। हम वही बनाते हैं, जो अपनी आत्मा में हम गहराई से महसूस करते हैं। यह हमारी जिंदगी के संघर्ष, हमारे आसपास मौजूद ऊर्जा, तनाव और चिंता का प्रतिनिधित्व करता है। ये सारी चीजें चित्र में आ जाती हैं।


कौन-सा यंत्र आपको खरीदना चाहिए?

अपनी जिंदगी से आप क्या चाहते हैं? क्या कोई ऐसी चीज है जो आपके लिए बाधक बन रही है? कहीं न कहीं आप हमेशा फंस ही जाते हैं और अवसर हाथ से निकल जाता है? या फिर आप अपने घर या काम करने वाली जगह पर शांति की तलाश में रहते हैं और फिर भी काफी कोशिश करते रहने के बावजूद आप शांति बनाए रखने में समर्थ नहीं होते हैं? ऐसे में अपने चारों ओर अपनी प्रबल इच्छाओं पर आप नजर डालें और उनके आधार पर आप यंत्र का चुनाव करें। सभी यंत्रों में अपनी एक अनोखी ऊर्जा मौजूद होती है। इनमें से हर एक यंत्र विशिष्ट ग्रह की ऊर्जा से भरा हुआ होता है और उसी के मुताबिक वह काम भी करता है। इसलिए उन्हें घर ले जाने से पहले आप जरा यह जरूर विचार करें कि आपके जीवन में सबसे मुख्य बाधाएं कौन सी हैं और किन समस्याओं का आप समाधान चाहते हैं।


यंत्र को ऑनलाइन कैसे खरीदें?

समस्याओं के आधार पर ही आप सही समाधान का चुनाव करते हैं। इस मामले में आप सही यंत्र का चुनाव करते हैं। आप अलग-अलग वेबसाइटों के जरिए ऑनलाइन यंत्रों को खरीद सकते हैं। यहां हमारी विशेषज्ञों वाली ज्योतिष टीम आपको सबसे अच्छा यंत्र उपलब्ध कराएगी, जिसकी आपको जरूरत है और जो निश्चित रूप से आपको अपनी जिंदगी में ढेर सारी खुशियां और कामयाबी प्रदान करेंगे।


निष्कर्ष

हम सभी लोग अपनी जिंदगी में बहुत ही व्यस्त हैं। खासकर जो लोग कम आने वाले हैं। हम प्रार्थना के लिए वक्त ही नहीं निकाल पाते हैं और यही वजह है कि कभी-कभी हमें ऐसा महसूस होता है कि दैवीय ताकत से हम दूर हो गए हैं या फिर दैवीय ताकत हमारी उपेक्षा कर रही है। हमें वह नहीं मिल पाता, जिसे पाने के हम काबिल हैं और हम हमेशा खुद को ऐसा महसूस करते हैं जैसे कि हमें दरकिनार कर दिया गया है। दैवीय ऊर्जा की ताकतों को अपने वश में करने के लिए हमें इन यंत्रों से मदद लेनी होती है और इस ब्रह्मांड की सबसे शक्तिशाली ब्रह्मांडीय आवृत्ति से जुड़ना पड़ता है। और यही वजह है कि मैंने यह सुंदर लेख लिखा है, ताकि आप अपने यंत्रों के जरिए अपना समाधान प्राप्त कर सकें।