ज्योतिष में 12 घरों का महत्व, जानें कौन हैं उनके स्वामी

ज्योतिष में 12 घरों का महत्व, जानें कौन हैं उनके स्वामी

ज्योतिष में 12 घरों का अवलोकन

हमारे ग्रह भी हमारी तरह ही घरों में रहते हैं। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक एक कुंडली में 12 घर होते हैं जिनमें ग्रह अपना स्थान बनाते हैं। इन्हीं बारह घरों में ज्योतिष निर्धारित रहती है। आपके जन्म के समय ये ग्रह अपने घर में स्थान ले भी सकते हैं और नहीं भी। ये ग्रह विचरण करते रहते हैं। ये अपने गोचर चक्र के मुताबिक 12 घरों से गुजरते हैं। कुंडली में हर घर का अलग ज्योतिषी महत्व होता है। यह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है। इन्हीं ग्रहों को घर और भाव के नाम से जाना जाता है।

कुंडली में त्रिभुज घर बनाते हैं। ये एक दूसरे से 120 डिग्री के कोण पर बने होते हैं। अलग अलग त्रिकोण अलग अलग अर्थ रखते हैं।

उदाहरण के लिए बच्चे के जन्म में 2-5-11, विवाह के लिए 2-7-11 और पेशे के लिए – 2-6-10 का संयोजन कार्य करता है। इसे हम आगे और भी सरलता के साथ समझाने वाले हैं।

जन्म कुंडली किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, उस व्यक्ति से जुड़ी हुई कई छिपी हुई बातों को प्रकट करने में मदद करती है। यह ग्रहों की स्थिति और उनकी गोचर के आधार पर भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।


ज्योतिष में 12 घर और उनका अर्थ

प्रथम भाव : लग्न स्थान, तनुस्थान
दूसरा भाव : धन स्थान, कुटुम्ब स्थान
तीसरा भाव : भातृ स्थान, पराक्रम स्थान
चौथा भाव : मातृ स्थान, सुख स्थान
पंचम भाव : विद्या स्थान, पुत्र स्थान
छठा भाव : रिपु स्थान, रोग स्थान
सप्तम भाव : भार्य स्थान, मारक स्थान
आठवां भाव : मृत्यु स्थान
नवम भाव : भाग्य स्थान
दसवां भाव: कर्म स्थान, पितृ स्थान
ग्यारहवां भाव : लाभ स्थान
बारहवां भाव : व्यय -स्थान

अब आगे हम वैदिक ज्योतिष के घर और उनके महत्व को विस्तार से जानते हैं। इसके साथ ही उनकी राशि और स्वामी भी के बारे में भी पढ़ते हैं।

वैदिक ज्योतिष में भाव और स्वामी ग्रह का महत्व:
वैदिक ज्योतिष में घर या भाव राशि चक्र की तरह नहीं होते हैं। इसके इन भावों में आपके लग्न के आधार पर अलग-अलग राशियां होती हैं। ऐसे में आप भी जान सकते हैं कि आपका लग्न आपके बारे में क्या कहता है।


कुंडली में पहला घर

राशि : मेष
घर का स्वामी: मंगल
दर्शाता है: चरित्र, ताकत, कमजोरी, स्वास्थ्य, व्यक्तित्व, सांसारिक दृष्टिकोण और अच्छा दिखता है।

पहला घर स्व या स्वयं पर प्रभाव डालता है। यह बताता है कि चेहरा मोहरा कैसा होगा। यह आपके ऊर्जा स्तर, दृढ़ संकल्प और भलाई जैसे विषयों के बारे में बताता है।

यह बताता है कि आप कौन है, जीवन में क्या कर सकते हैं। सारांश यह है कि यह हम में दूसरों से अलग जो गुण हैं, वो बताता है और हमारे व्यक्तित्व को तराशने में हमारी मदद करता है। कहता है कि अलग बनो, असली बनो, जो हो वो ही बनो।

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कुंडली में दूसरा घर

राशि: वृष
घर का स्वामी: शुक्र और बृहस्पति
दर्शाता है: धन लाभ और हानि, भौतिक या विलासिता की वस्तुएं, आत्मसम्मान, संपत्ति

द्वितीय भाव से धन की वर्षा होती है। दूसरा भाव किसी की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करता है। ये केवल रुपए पैसा ही नहीं बल्कि धन संपदा, शेयर, आभूषण और स्टॉक पर भी प्रभाव डालता है। ऐसे में दूसरे भाव या घर का अच्छा होना आर्थिक स्थिति को बेहतर और सुदृढ़ बनाता है।

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कुंडली में तीसरा घर

राशि: मिथुन

घर का स्वामी : बुध

दर्शाता है: संवाद क्षमता, यात्रा, बुद्धिमत्ता, छोटी यात्राएं, प्रयास, आदत और भाई-बहन

तीसरा घर संवाद क्षमता को नियंत्रित करता है। यह किसी भी रूप में हो सकता है, यह वर्चुअल भी हो सकता है और पर्सनल भी। वैसे आमतौर पर हम मौखिक या वर्बल कम्यूनिकेशन की बात करते हैं। तीसरा घर आपके अपने भाई बहन से संबंधों को बताता है। अगर आप में कोई खटपट है, तो उसका जिम्मेदार यह भाव हो सकता है।

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कुंडली में चौथा घर

राशि: कर्क
घर का स्वामी: चन्द्रमा
दर्शाता है: भूमि, मवेशी, वाहन, घर, घरेलू जीवन, माता से संबंध

चौथा भाव घर परिवार से जुड़ा होता है। यह भलाई, मानसिक शांति और भावनात्मक संतुष्टि से जुड़ा है। यह माता के साथ संबंधों को बताता है। इसके साथ ही चौथा घर कर्क राशि की अपने में समेटे रहता है। इस घर में जो भी ग्रह गमन करता है, वह आपको अपने बुनियादी स्तर के लिए निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

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कुंडली में पंचम भाव

राशि: सिंह
घर का स्वामी: बृहस्पति
दर्शाता है: संतान, प्रेम संबंध, आनंद, भावनाएं, अटकलें, प्रसिद्धि, मनोरंजन

पंचम भाव को प्रेम और भाग्य का भाव कहा जाता है। यह रचनात्मकता के साथ ही परिवेश और स्थितियों के प्रबंधन से भी जुड़ा रहता है। अगर आप सब कुछ सही तरीके से प्रबंधित कर पाते हैं तो यह इसी भाव के कारण होता है। आपका स्वाद, आपके शौक, मनोरंजन के प्रति आपका झुकाव इसी भाव पर आधारित होता है। इसके अलावा पांचवां भाव ही बच्चे का गर्भाधान भी के लिए जिम्मेदार होता है।

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कुंडली में छठा घर

राशि: कन्या
घर का स्वामी: बुध
दर्शाता है: रोजगार, सेवा, बीमारी, कर्जा, दुश्मन, स्वच्छता, नौकर-चाकर

छठा घर तय करता है कि आप क्या नौकरी करेंगे। किस व्यवसाय में जाएंगे। सरकारी नौकरी मिलेगी या नहीं या फिर कुछ और करेंगे। हर किसी के जीवन का एक लक्ष्य होता है। यह भाव बताता है कि आप अपनी इंजीनियरिंग पूरी करेंगे और एक फोटोग्राफर, या एक लेखक बन जाएंगे। इसके साथ ही कॅरियर के मार्ग में आने वाली बाधा, चुनौतियों के साथ ही कर्ज और देनदारियां भी इसी भाव के आधार पर बताई जा सकती हैं।

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कुंडली में सातवां घर

राशि: तुला
घर का स्वामी: शुक्र
दर्शाता है: एकजुटता, साझेदारी, आकर्षण, मुकदमे, दुश्मन, सौदे, विवाह

सातवां भाव विपरित लिंग के प्रति आपके आकर्षण, जुनून और अंतरंगता को दर्शाता है। इसके प्रभाव के कारण आप दुनिया भर के लाखों लोगों में से किसी एक विशेष व्यक्ति के प्रति आकर्षण महसूस करते हैं। आप अपने प्यार, शादी, दोस्ती और व्यावसायिक साझेदारी के साथ कैसा महसूस करते हैं, यह भाव बताता है। इसका विश्लेषण करके यह जाना जा सकता है।

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कुंडली में आठवां घर

राशि: वृश्चिक
घर का स्वामी: मंगल
दर्शाता है: धन, विरासत, विरासत में मिली संपत्ति, नकदी, दूसरों से होने
वाली कमाई, पार्टनर्स, फाइनेंस, मस्कुलर सिस्टम

आठवां घर धन और वित्तीय संभावनाओं में होने वाले परिवर्तनों को दर्शाता है। यह लॉटरी, अचानक होने लाभ, विरासत में मिलने वाली चीजों का प्रतिनिधित्व करता है। यह भावनात्मक समर्थन और आध्यात्मिकता को भी दर्शाता है। ज्योतिष में आठवें घर का विश्लेषण करके दुर्घटनाओं और अप्रत्याशित बीमारी का संकेत दिया जा सकता है।

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कुंडली में नवम भाव

राशि: धनु
घर का स्वामी: बृहस्पति
दर्शाता है: बुद्धि, आध्यात्मिकता, विदेश यात्रा,नजरिया, अनुभव, परोपकार, पिता से संबंध

नवम भाव परोपकार, अच्छे कर्म, पिता के साथ संबंध, आध्यात्मिकता आदि का प्रतिनिधित्व करता है। यह भाव ही हमें जीवन के सही अर्थ तलाशने के लिए प्रेरित करता है। जब ग्रह आपकी कुंडली के नवें भाव में गमन करते हैं तो आप एक नए विषय पर अध्ययन शुरू करते हैं, जीवन में एक नया दृष्टिकोण शामिल हो जाता है। यह घर धनु की ऊर्जा वाला होता है तो बृहस्पति के गुण व्यक्ति के चरित्र में नजर आने लगते हैं। धार्मिक गतिविधियों के प्रति झुकाव देखने को मिलता है।

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कुंडली में दसवां घर

राशि: मकर
घर का स्वामी: शनि और मंगल
दर्शाता है: जीवन मूल्य, अखंडता, देशभक्ति, पदोन्नति, सम्मान, प्रसिद्धि,
सरकारी मामले

दशम भाव समाज में आपकी स्थिति, आपके नाम, प्रसिद्धि और सार्वजनिक छवि को बताता है। यह आपके अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है, सम्मान को बताता है। इसके साथ ही आप जो भी काम करते हैं वह दसवें भाव पर निर्भर करता है। दसवें घर में ग्रहों की स्थिति आपके कॅरियर का निर्धारण करते हैं।

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कुंडली में ग्यारहवां घर

राशि: कुंभ
घर का स्वामी: सूर्य
दर्शाता है: सामाजिक क्षेत्र, मित्र, परिचित, मालिक की वित्तीय स्थिति

ग्यारहवें भाव को मित्रता का भाव भी कहा जाता है। यह तय करता है कि आप लोगों के आसपास कितने सहज हैं। क्या आप समाज में सही स्थिति रखते हैं, लोगों के बीच पहुंचने के बाद कितना घुलते मिलते हैं। यह भी ग्यारहवें भाव के प्रभाव पर निर्भर करता है। इसके साथ ही यह आपके मामा के साथ भी संबंध निर्धारित करता है।

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कुंडली में बारहवां घर

राशि: मीन राशि
घर का स्वामी : शनि
दर्शाता है: संबंधों का टूटना, नुकसान, अलगाव, प्रतिबंध, सीमाएं,
निर्वासन, खुद को नुकसान पहुंचाना, छिपे हुए दुश्मन

बारहवां भाव एक कारण है, जिसकी वजह से आपकी सैलरी आने के साथ ही गायब हो जाती है और आपको पता भी नहीं चलता है। यानी खर्च ज्यादा होता है। इस घर में कई कारण हैं जो अधिक खर्च को बताते हैं। अध्यात्म और ज्ञान के मार्ग पर चल रहे लोगों के लिए यह भाव मजबूत होता है।

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इसको जोड़कर

एक तरह से आप कह सकते हैं कि ज्योतिष में 12 भाव कहीं न कहीं समय और स्थान के अनुसार आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। उपर्युक्त विवरण ज्योतिष में 12 घरों पर उचित मात्रा में प्रकाश डालते हैं।

क्या तनाव आपके जीवन का अभिन्न अंग बन गया है? सही समाधान के लिए ज्योतिषियों से बात करें। पहला परामर्श मुफ़्त है।