
चौघड़िया पुणे के लिए

अगर आप कोई नया काम शुरू करने जा रहे हैं तो शुभ मुहूर्त देखते हैं, लेकिन अगर आपको जल्द से जल्द कोई कार्य करना हो तो चौघड़िया मुहूर्त महत्वपूर्ण हो जाता है। इसी शुभ मुहूर्त की जांच के लिए चौघड़िया या यूं कहें चोगड़िया का प्रयोग किया जाता है। हालांकि, परंपरागत रूप से चौघड़िया का उपयोग यात्रा मुहूर्त का पता लगाने के लिए किया जाता है, लेकिन आसान होने के कारण इसका उपयोग किसी भी मुहूर्त के लिए किया जाता है। किसी भी शुभ काम को शुरू करने के लिए चार अच्छे चौघड़िया हैं। इन चार चौघड़िया अमृत, शुभ, लाभ और चर को शुभ और उत्तम माना जाता है। इसी तरह तीन खराब चौघड़िया रोग, काल और उदवेग से बचने की बात कही जाती है। सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच के समय को दिन का चौघड़िया और सूर्यास्त और अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को रात का चौघड़िया कहा जाता है।
|
06:04 – 07:43 |
|
07:43 – 09:22 |
|
09:22 – 11:01 |
|
11:01 – 12:40 |
|
12:40 – 14:19 |
|
14:19 – 15:58 |
|
15:58 – 17:37 |
|
17:37 – 19:16 |
|
19:16 – 20:37 |
|
20:37 – 21:58 |
|
21:58 – 23:19 |
|
23:19 – 00:40 |
|
00:40 – 02:01 |
|
02:01 – 03:22 |
|
03:22 – 04:43 |
|
04:43 – 06:04 |
अपनी पहली कॉल या चैट हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों से निःशुल्क करें – अभी बात करें!
सभी देखेंक्या होता चौघड़िया
किसी भी काम को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाना आम बात है, लेकिन यदि जल्दी में किसी कार्य को करना है और शुभ मुहूर्त देखने विलंब है, तो चौघड़िया देखकर काम शुरू किया जा सकता है। पहले चौघड़िया का प्रयोग केवल यात्रा के लिए किया जाता था, लेकिन तेज भागते जीवन में अब चौघड़िया का उपयोग किसी भी शुभ काम को करने से पहले किया जा सता है। किसी भी शुभ काम को शुरू करने के लिए चार अच्छे चौघड़िया हैं। इन चार चौघड़िया अमृत, शुभ, लाभ और चर को शुभ और उत्तम माना जाता है। इसी तरह तीन चौघड़िया में कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता है। ये चौघड़िए हैं रोग, काल और उदवेग। सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच के समय को दिन का चौघड़िया और सूर्यास्त और अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को रात का चौघड़िया कहा जाता है। इन चौघड़िया का समय सूर्योदय से शुरू होकर 1.30 घंटे तक रहता है।
जानिए क्या है वार वेला, काल वेला और काल
दिन और रात के चौघड़िया में वार वेला, काल वेला और काल रात्रि का भी समय होता है। ये वार वेला, काल वेला और काल रात्रि किसी भी शुभ चौघड़िये के दौरान भी हो सकती है। वार वेला और काल वेला दिन के समय में होती है, जबकि काल रात्रि रात के समय प्रबल होती है। इस दौरान किए गए मांगलिक कार्य फलदायी नहीं होते हैं। इस समय को छोड़ा जाना चाहिए।
कौन सा चौघड़िया शुभ और कौन सा अशुभ होता है?
सप्ताह में सात दिन होते हैं। ज्योतिष और मुहूर्त शास्त्र के अनुसार प्रत्येक दिन का एक स्वामी ग्रह होता है। हर दिन के पहले मुहूर्त पर उस दिन के स्वामी का शासन होता है। इसे एक उदाहरण से समझें तो रविवार को पहले चौघड़िया मुहूर्त पर सूर्य का शासन होता है, उसके बाद के मुहूर्त पर शुक्र, बुध, चंद्रमा, शनि, बृहस्पति और मंगल का शासन होता है। दिन के अंतिम मुहूर्त पर भी उस दिन के स्वामी ग्रह का शासन होता है।
दरअसर एक दिन में 24 घंटे होते हैं और चौघड़िया 1.30 घंटे की अवधि का होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र, बुध, गुरु और चंद्रमा को शुभ ग्रह माना जाता है, इसलिए इन वार पर पहला चौघड़िया हमेशा अच्छा होगा, लेकिन सूर्य, मंगल, शनि पाप ग्रह है, इन वार पर पहला चौघड़िया हमेशा नकारात्मक होगा।
महत्वपूर्ण शुभ मुहूर्त
स्थान अनुसार चौघड़िया
सभी देखें
त्यौहार कैलेंडर
सभी देखें
गौरी व्रत
गौरी व्रत महत्वपूर्ण उपवास अवधि है, जो देवी पार्वती को समर्पित है। यह गौरी व्रत मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है। गौरी पूजा का व्रत मुख्य रूप से अविवाहित लड़कियां अच्छे पति की इच्छा में रखती हैं।
देवशयनी एकादशी
मानसून भारत में आता है और अपने साथ देश में लाखों लोगों द्वारा मनाए जाने वाले कई त्योहार और व्रत या पूजा लाता है। हिंदू कैलेंडर में आषाढ़ और श्रावण के महीने, मुख्य रूप से जून और जुलाई में, पवित्र दिनों की एक श्रृंखला होती है।
वासुदेव द्वादशी
वासुदेव द्वादशी भगवान कृष्ण को समर्पित है। यह देवशयनी एकादशी के अगले दिन, आषाढ़ मास के दौरान मनाया जाता है। यह चतुर मास (मानसून के चार पवित्र महीने) की शुरुआत का प्रतीक है।
जया पार्वती व्रत
हिंदू कैलेंडर के अनुसार जया पार्वती व्रत या गौरी व्रत आषाढ़ के महीने में मनाया जाता है। इस अवसर पर विवाहित और अविवाहित महिलाएं अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए 5 दिन तक उपवास रखती हैं।
आषाढ़ पूर्णिमा
हिंदू महीने आषाढ़ में होने वाली पूर्णिमा के दिन को आषाढ़ पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। इस शुभ अवसर पर, लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और गोपदम व्रत का पालन करते हैं।
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह महीना हिंदू कैलेंडर में चौथा महीना है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार जुलाई-अगस्त के महीने में पड़ता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार अधिकांश पूर्णिमा का दिन महीने के एक महत्वपूर्ण त्योहार से जुड़ा होता है।
व्यास पूजा
व्यास पूजा आषाढ़ महीने की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन को वेद व्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, शिष्य गुरुओं की पूजा करते हैं और उनका सम्मान करते हैं। इस पूजा के दौरान आचार्यों के तीन समूहों कृष्ण पंचकम, व्यास पंचकम और शंकराचार्य पंचकम की पूजा की जाती है।
कोकिला व्रत
कोकिला व्रत आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कोकिला व्रत उन वर्षों में किया जाना चाहिए, जब आषाढ़ अधिक मास होता है। दूसरे शब्दों में, कोकिला व्रत तभी रखा जाना चाहिए, जब आषाढ़ मास दो माह के लिए आता है।
गुरु पूर्णिमा
हिंदू संस्कृति में गुरु या शिक्षक को हमेशा भगवान के समान माना गया है। गुरु पूर्णिमा (guru purnima in hindi) या व्यास पूर्णिमा हमारे गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है। गुरु एक संस्कृत शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है वह जो हमें अज्ञान से मुक्त करता है।
मंगला गौरी व्रत
मंगला गौरी व्रत एक हिंदू व्रत अनुष्ठान है जिसे विवाहित महिलाएं अपने पति की भलाई और दीर्घायु के लिए रखती हैं। यह श्रावण माह के दौरान मंगलवार को मनाया जाता है और यह वैवाहिक सुख और समृद्धि की प्रतीक देवी पार्वती को समर्पित है।
कर्क संक्रांति
संक्रांति का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन। कारक संक्रांति भगवान सूर्य की दक्षिणी यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है। दक्षिणायन, जो छह महीने का होता है, कारक संक्रांति से शुरू होता है।
कामिका एकादशी
श्रावण मास, कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष यह एकादशी बुधवार 21 जुलाई 2025 को पड़ी है। कामिका एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है।
सावन शिवरात्रि
शिवरात्रि को महादेव की उपासना का पर्व माना गया है। हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। वहीं साल में एक बार महाशिवरात्रि मनाई जाती है, जो माघ माह की मासिक शिवरात्रि होती है।
हरियाली अमावस्या
पवित्र महीने सावन या श्रावण के दौरान आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है और इसे अत्यधिक शुभ माना जाता है। हरियाली अमावस्या आमतौर पर प्रसिद्ध हरियाली तीज से तीन दिन पहले आती है।
नाग पंचमी
इस दिन नागलोक या फिर कहें कि पाताल लोक के स्वामी की आराधना की जाती है। यह भारत के अलावा पड़ोसी मुल्क नेपाल सहित दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है। नाग का नाम सुनते ही हमारे मन में डर की भावना आ जाती है।
कल्कि जयंती
कल्कि जयंती सभी हिंदुओं के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक है क्योंकि यह भविष्य में कल्कि के रूप में भगवान विष्णु के जन्मदिन का प्रतीक है। कल्कि भगवान विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार होंगे।
तुलसीदास जयंती
तुलसीदास जयंती का दिन गोस्वामी तुलसीदास की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो एक महान हिंदू संत और कवि थे। वह महान हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस के प्रशंसित लेखक भी थे।
आगामी पारगमन
सभी देखें
शुक्र का कर्क राशि में गोचर
शुक्र प्रेम, खुशी, विलासिता, खूबसूरती, कला, खेल, नृत्य, आभूषण, सौंदर्य प्रसाधान, फैशन आ…
सूर्य कर रहे हैं कर्क राशि में प्रवेश (Sun Transit In Cancer), कैसा होगा आपकी राशि पर असर
ग्रह लगातार भ्रमणशील रहते हैं। इस क्रम में वे एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं…
कुंभ राशि में शुक्र और मंगल की युति: आपकी राशि पर पड़ेगा कैसा प्रभाव?
8 अप्रैल 2022 को एक प्रमुख ज्योतिषीय घटना होने वाली है यानि कुंभ राशि में शुक्र और मंगल…
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
चौघड़िया क्या होता है?
चौघड़िया का मतलब होता है चार और घड़िया यानी घड़ी, इस तरह दोनों शब्दों को मिलाकर एक शब्द बनता है चौघड़िया। सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच के सम को 30-30 घड़ी और उस 30 घड़ी को 8 भागों में विभाजित किया गया है। हिंदू समयानुसार एक घड़ी 24 मिनट के बराबर होती है और एक चौघड़िया 4 घड़ियों के बराबर यानी करीब 96 मिनट की होती है। इस हिसाब से एक चौघड़िया की अवधि करीब डेढ़ घंटे की होती है। इसी के मुताबिक चौघड़िया का मुहूर्त देखा जाता है।
चौघड़िया मुहूर्त के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
चौघड़िया में वार वेला, काल वेला और काल रात्रि का भी स्थान होता है। हालांकि, वार वेला, काल वेला और काल रात्रि के दौरान कोई भी शुभ कार्य वर्जित होता है। अब समय के हिसाब से इसे देखें तो वार वेला और काल वेला दिन के समय प्रबल होते हैं जबकि काल रात्रि रात के समय प्रबल होती है। इस दौरान किए गए मांगलिक कार्य फलदायी नहीं होते हैं।
क्या होगा यदि एक शुभ चौघड़िया मुहूर्त वेला, काल या रात्री के अशुभ समय के साथ मेल खाता है?
यदि किसी शुभ चौघड़िया में वेला, काल या रात्री का अशुभ समय रहता है, तो ऐसे समय को छोड़कर दूसरा चौघड़िया देखा जाना चाहिए।
क्या होगा अगर एक शुभ चौघड़िया मुहूर्त वेला, काल या रात्रि के अशुभ समय के साथ मेल खाता है?
चौघड़िया शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- चो यानी चार और घड़िया यानी घड़ी। प्रत्येक घड़ी, हिंदू समय के अनुसार, 24 मिनट के बराबर होती है। सूर्योदय से सूर्यास्त तक 30 घड़ियां होती हैं जिन्हें 8 से विभाजित किया जाता है। इसलिए, 8 दिन चौघड़िया मुहूर्त और 8 रात चौघड़िया मुहूर्त होते हैं। एक चौघड़िया 4 घड़ी (लगभग 96 मिनट) के बराबर होता है। तो, एक चौघड़िया लगभग 1.5 घंटे तक रहता है।