श्रावण शिवरात्रि क्यों हैं महत्वपूर्ण, जानें इस से जुड़ी बातें
शिवरात्रि को महादेव की उपासना का पर्व माना गया है। हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। वहीं साल में एक बार महाशिवरात्रि मनाई जाती है, जो माघ माह की मासिक शिवरात्रि होती है। हालांकि, पूर्णिमान्त पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। आपको बता दें कि दोनों पंचांगों में यह चन्द्र मास की नामाकरण प्रथा है, जो इसे अलग करती है। हालांकि पूर्णिमान्त और अमान्त दोनो पञ्चाङ्ग एक ही दिन महा शिवरात्रि के अलावा भी सभी शिवरात्रियों को भी मानते हैं। लेकिन सभी शिवरात्रियों में से श्रावण शिवरात्रि का महत्व सर्वाधिक है।
साल 2023 में कब है श्रावण शिवरात्री?
सावन शिवरात्रि 2023 | रविवार, 15 जुलाई 2023 |
निशिता काल पूजा समय | 12:07 AM to 12:48 AM, 16 जुलाई 2023 |
अवधि | 00 Hours 41 Mins |
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय | 07:21 PM to 09:54 PM |
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय | 09:54 PM to 12:27 AM, 16 जुलाई 2023 |
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय | 12:27 AM to 03:00 AM, 16 जुलाई |
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय | 03:00 AM to 05:33 AM, 16 जुलाई |
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ | 08:32 PM on 15, जुलाई 2023 |
चतुर्दशी तिथि समाप्त | 10:08 PM on 16,जुलाई 2023 |
मासिक शिवरात्रि का महत्व
कृष्ण पक्ष के दौरान चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि या मास शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और भगवान शिव के कट्टर भक्त वर्ष में सभी शिवरात्रिओं पर उपवास करते हैं और शिवलिंग की पूजा करते हैं। एक वर्ष में आमतौर पर बारह शिवरात्रि होते हैं।
श्रावण मास में पड़ने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। चूंकि पूरा श्रावण मास शिव पूजा करने के लिए समर्पित है, इसलिए सावन महीने के दौरान मास शिवरात्रि को अत्यधिक शुभ माना जाता है। हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण शिवरात्रि जिसे महा शिवरात्रि के रूप में जाना जाता है, फरवरी या मार्च के दौरान आती है जो उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने से मेल खाती है।
उत्तर भारत में प्रसिद्ध शिव मंदिर, काशी विश्वनाथ और बद्रीनाथ धाम सावन महीने के दौरान विशेष पूजा और शिव दर्शन की व्यवस्था करते हैं। सावन के महीने में हजारों शिव भक्त शिव मंदिरों में जाते हैं और गंगाजल अभिषेक करते हैं।
अगर कोई शिवरात्रि के व्रत को शुरू करना चाहते हैं, तो वह महाशिवरात्रि से शुरु कर सकते हैं। महाशिवरात्रि के पर्व के बाद से ही हर शिवरात्रि पर उपवास करना बहुत शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस उपवास को करने से भक्तों पर भगवान शिव की कृपा बरसती है, और हर मुश्किल काम आसान हो जाता है। अविवाहित और विवाहित दोनों ही इस व्रत को कर सकती है। इसे करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, और अपने भक्तों पर आशीर्वाद की बरसात करते हैं। आपको बता दें कि अगर मासिक शिवरात्रि मंगलवार के दिन पड़ती है, इसे शास्त्रों में बहुत ही शुभ बताया गया है।
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सावन शिवरात्रि व्रत विधि
शिवरात्रि व्रत से एक दिन पहले, भक्तों को केवल एक बार भोजन करना चाहिए। शिवरात्रि के दिन, सुबह की रस्में पूरी करने के बाद भक्तों को संकल्प लेना चाहिए कि आप शिवरात्रि पर पूरे दिन का उपवास रखेंगे और अगले दिन शिवरात्रि की समाप्ति के बाद ही भोजन करेंगे। संकल्प के दौरान भक्त उपवास की अवधि के दौरान आत्मनिर्णय का संकल्प लेते हैं और बिना किसी हस्तक्षेप के उपवास समाप्त करने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद लेते हैं।
शिवरात्रि के दिन भक्तों को शिव पूजा या मंदिर जाने से पहले शाम को दूबरा स्नान करना चाहिए। शिव पूजा रात में करनी चाहिए और भक्तों को अगले दिन स्नान करने के बाद व्रत तोड़ना चाहिए। व्रत का अधिकतम लाभ पाने के लिए भक्तों को सूर्योदय के बीच और चतुर्दशी तिथि के अंत से पहले उपवास तोड़ना चाहिए। एक विरोधाभासी मत के अनुसार भक्तों को व्रत तभी तोड़ना चाहिए जब चतुर्दशी तिथि समाप्त हो जाए। लेकिन ऐसा माना जाता है कि चतुर्दशी तिथि के भीतर शिव पूजा और पारण यानी व्रत तोड़ना ही सही होता है।
सावन शिवरात्रि को श्रावण शिवरात्रि भी कहा जाता है। सावन के महीने के दौरान एक और शुभ दिन हरियाली अमावस्या, सावन शिवरात्रि के एक या दो दिन बाद आती है।
मासिक शिवरात्रि की तिथि और समय
श्रावण शिवरात्रि के साथ कुल 12 शिवरात्रि होती हैं, आइए जानते हैं साल 2023 में मासिक शिवरात्रि की तिथियां और मुहूर्त:
तिथि | तिथि प्रारंभ व समाप्ति समय | हिंदू माह |
---|---|---|
जनवरी 20, 2023, शुक्रवार | प्रारम्भ - 09:59 AM, 20 जनवरी, समाप्त - 06:17 AM, 21 जनवरी | माघ |
18 फरवरी, 2023, शनिवार | प्रारम्भ - 08:02 PM, 18 फरवरी समाप्त - 04:18 PM, 19 फरवरी | फाल्गुन |
मार्च 20, 2023, सोमवार | प्रारम्भ - 04:55 AM, 20 मार्च , समाप्त - 01:47 AM, 21 मार्च | चैत्र |
18 अप्रैल, 2023, मंगलवार | प्रारम्भ - 01:27 PM, 18 अप्रैल समाप्त - 11:23 AM, 19 अप्रैल | वैशाख |
17 मई, 2023, बुधवार | प्रारम्भ - 10:28 PM, 17 मई, समाप्त - 09:42 PM, 18 मई | ज्येष्ठ |
16 जून, 2023, शुक्रवार | प्रारम्भ - 08:39 AM, 16 जून, समाप्त - 09:11 AM, 17 जून | आषाढ़ |
15 जुलाई, 2023, शनिवार | प्रारम्भ - 08:32 PM, 15 जुलाई समाप्त - 10:08 PM, 16 जुलाई | श्रावण |
14 अगस्त, 2023, सोमवार | प्रारम्भ - 10:25 AM, 14 अगस्त समाप्त - 12:42 PM, 15 अगस्त | श्रावण |
13 सितम्बर, 2023, बुधवार | प्रारम्भ - 02:21 AM, 13 सितम्बर, समाप्त - 04:48 PM, 14 सितम्बर | भाद्रपद |
12 अक्टूबर, 2023, गुरुवार | प्रारम्भ - 07:53 PM, 12 अक्टूबर, समाप्त - 09:50 PM, 13 अक्टूबर | आश्विन |
11 नवम्बर, 2023, शनिवार | प्रारम्भ - 01:57 PM, 11 नवम्बर समाप्त - 02:44 PM, 12 नवम्बर | कार्तिक |
11 दिसम्बर, 2023, सोमवार | प्रारम्भ - 07:10 AM, 22 11 दिसम्बर समाप्त - 06:24 AM, 12 दिसम्बर | मार्गशीर्ष |
शिव पूजन सामग्री
यूं तो भगवान शिव की आराधना के लिए सच्चे मन और श्रद्धा की जरूरत होती है। लेकिन कुछ विशेष सामग्री का उपयोग आराधना के दौरान कर के आप भगवान शिव की विशेष कृपा के पात्र बन सकते हैं। भगवान शिव की पूजा वैदिक रिति रिवाजों से ही होना चाहिए। अगर आप पूजा में किसी तरह की त्रुटि करते हैं, तो इसका विपरित असर देखने को मिल सकता है। पूजा के दौरान आप शुद्ध देसी घी, पांच प्रकार के फल, पंचमेवा, पुष्प, पवित्र जल, पंचरस, रोली, मौली, गंध, जनेऊ, पंचमेवा, चांदी, शहद, सोना, पांच प्रकार की मिठाई, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, आम्र मंजरी, गाय का दूध, धूप, कपूर, चंदन, मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री, दीपक, पवित्र जल, बेर, इत्र, दक्षिणा, रुई, जौ की बाले, तुलसीदल आदि चीजों की जरूरत पड़ेगी।
भगवान शिव के मंत्र
- ॐ नमः शिवाय॥
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ - ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
शिव की कृपा के पात्र बनें
शिवरात्रि का त्योहार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। हरेक माह आने वाले मुख्य त्योहारों में शिवरात्रि का मुख्य स्थान होता है। श्रावण मास भोलेनाथ का प्रिय होने के कारण श्रावण शिवरात्रि का ज्यादा महत्व है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत बहुत आसान और प्रभावशाली होता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी इस दिन भगवान शिव का पूजन करते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।