शिव पूजा विधि से जानिए शिवजी को कैसे प्रसन्न करें….

शिव पूजा विधि से जानिए शिवजी को कैसे प्रसन्न करें….

मान्यता है कि अगर आपको अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करना हो तो सभी देवताओ में श्रेष्ठ शिव जी को प्रसन्न करें, वह आपकी सारी इच्छाएं पूर्ण करेंगे। भोलेनाथ अपने नाम की तरह ही भोले हैं और अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते। सोमवार भगवान शिवजी का ही दिन माना जाता है और कहा जाता है कि इस दिन अगर आप सच्चे मन से पूरे विधि-विधान के साथ शिवजी की पूजा, व्रत या अभिषेक करते हैं तो शिवजी आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं। 

सोमवार शिव पूजा करने की सामान्य विधि

  • सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर शुद्ध पानी से स्नान करें। 
  • घर की सफाई करें।  
  • शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध, दही, घी, गंगाजल, शहद जिसे पञ्चामृत कहा जाता है, से अभिषेक करें। 
  • उसके पश्चात चंदन, हल्दी, चने की दाल, अबीर गुलाल चढ़ाएं।  
  • शिवजी को बेल पत्र और चंदन का चढ़ावा बहुत प्रिय हैं। इससे वे जल्दी प्रसन्न होंगे । 
  • उसके पश्चात महामृत्युंजय शिव मंत्र का 108 बार जाप करें ।  
  • शिवजी की आरती करें और आरती करते समय शंखनाद करें।  
  • अब भोग लगाएं, उसके लिए आटे और चीनी का भोग बना कर भगवान भोलेनाथ को चढ़ाएं।

अगर आप पूरे साल यह व्रत नहीं कर सकते तो सावन सोमवार व्रत को काफी फलदायी बताया जाता है। सावन में आप शिवजी को प्रसन्न कर सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भक्तों की सभी इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है।

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शिव कथा

एक समय की बात है, एक नगर में एक साहूकार रहता था। उसके घर में धन की कोई भी कमी नहीं थी, लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी। इस कारण वह बहुत दुखी रहता था। अपने लिए संतान प्राप्ति की आकांक्षा लेकर वह प्रत्येक सोमवार का व्रत रखता था और पूरी श्रद्धा के साथ शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा -अर्चना करता था।

माता पार्वती उसकी भक्ति को देखकर प्रसन्न हो गई और भगवान शिवजी से उसकी मनोकामना को पूर्ण करने को कहने लगी। तब भगवान शिवजी ने माता पार्वती का आग्रह सुनकर उनसे कहा ‘हे पार्वती इस संसार मे हर प्राणी को उसके कर्मानुसार फल की प्राप्ति होती है जिसके भाग्य में जो लिखा है उसे भोगना ही पड़ता है। लेकिन पार्वती जी ने फिर भी उसकी भक्ति को देखते हुए साहूकार की मनोकामना पूरी करने की इच्छा शिव जी को जताई।

माता पार्वती के इतने आग्रह करने पर शिवजी ने साहूकार को पुत्र-प्राप्ति का वरदान दे दिया परंतु उनसे कहा कि उसका पुत्र केवल बारह वर्ष तक ही जीवित रहेगा। शिवजी और माता पार्वती के बीच जो भी बातें हो रही थी वो साहूकार सुन रहा था उसे ना ही इस बात की खुशी हुई और ना ही इस बात का दुख वह अपनी पूजा को पहले की तरह ही और भी अधिक ध्यान लगाकर करने लगा ।

कुछ दिनों के पश्चात साहूकार के घर पुत्र प्राप्ति हुई जब वह ग्यारह वर्ष की उम्र का हुआ तो उसे पढ़ने के लिये काशी भेज दिया गया। साहूकार ने उसके मामा को बुलाकर उनके साथ पुत्र को काशी भेजा और साथ में बहुत सारा धन भी दिया, और कहा की तुम इस बालक को काशी मे विद्या प्राप्ति के लिए ले जाओ और रास्ते में जाते समय यज्ञ करवाना और जहां पर भी यज्ञ करवाओ वहां ब्राह्मणों को भोजन जरूर करवाना और साथ में ही दक्षिणा जरूर देना ।

मामा और भांजे दोनों ने बिल्कुल वैसा ही किया, जैसा साहूकार ने कहा था। वे रास्ते में यज्ञ करवाते गए और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा भी देते गए। रास्ते मे एक नगर आया जहां के राजा की कन्या का विवाह हो रहा था। उस कन्या का विवाह जिस राजकुमार से हो रहा था वो एक आंख से काना था। राजकुमार के पिताजी ने अपने पुत्र के काना होने की बात छुपाने के लिए एक उपाय सोचा ।

साहूकार के पुत्र को देखकर उसके मन में ये ख्याल आया कि क्यों ना राजकुमारी का विवाह इस लड़के के साथ करवा दें और विवाह होने के पश्चात धन देकर इसे यहां से जाने को कहें और राजकुमारी को अपने नगर में ले जाएं। साहूकार के पुत्र को दूल्हे के वस्त्र पहना कर राजकुमारी से विवाह करवा दिया गया। लेकिन साहूकार का पुत्र बहुत ही ईमानदार था, उसे यह बात न्यायपूर्ण नहीं लगी।

उसने राजकुमारी को यह संदेश पहुंचाने के लिए मौका पाकर राजकुमारी की चुनरी के एक कोने पर लिखा’ ‘तुम्हारा विवाह मेरे साथ हुआ है’ जिस राजकुमार के साथ तुमको भेजा जाएगा वह एक आंख से काना है . मैं तो काशी पढ़ने जा रहा हूं।

राजकुमारी ने चुनरी पर लिखी सारी बातें पढ़ ली और अपने माता -पिता को सारी बात बताई और राजा ने यह सब जानकार अपनी पुत्री को विदा नहीं किया। बारात वापस लौटकर चली गई और साहूकार का बेटा और उसके मामा काशी पहुंच गए। वहां जाकर भी उन्होंने यज्ञ किया। जिस दिन उस बालक की उम्र बारह वर्ष होनी थी ठीक उसी दिन यज्ञ करते हुए बालक ने अपनी तबियत ठीक नहीं होने की बात अपने मामा को कही और उन्होंने उस बालक को कहा अंदर कमरे में जाकर आराम करने के लिए कहा।

शिव जी द्वारा दिए गये वरदान के अनुसार बालक की मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु देखकर उसके मामा ने विलाप शुरू किया, संयोग से माता पार्वती और शिवजी उसी तरफ से जा रहे थे। पार्वती जी ने भगवान से कहा स्वामी मुझे इसे रोता हुआ देखकर अच्छा नहीं लग रहा है आप इस व्यक्ति का जो भी कष्ट है उसे कृपया दूर करें।

जब शिवजी मृतक साहूकार के बेटे के पास जाकर बोले की यह उसी साहूकार का पुत्र है जिसे मैंने बारह वर्ष की आयु का वरदान दिया था। आज इसकी आयु पूरी हो चुकी है लेकिन माता पार्वती फिर भी नहीं मानी और कहने लगी हे तीनों लोको के स्वामी आप इस बालक को कृपा करके अधिक आयु प्रदान करें नहीं तो इसके माता -पिता पुत्र वियोग मे तड़पकर मार जाएंगे ।

माता पार्वती के कहने पर शिवजी ने बालक को जीवित होने का वरदान दे दिया। माता पार्वती और शिवजी की कृपा से वह लड़का फिर से जीवित हो गया अपनी शिक्षा को सम्पूर्ण करने के पश्चात वह अपने मामा के साथ काशी से फिर अपने नगर की ओर चला। दोनों चलते -चलते उसी नगर मे पहुंचे जिस नगर मे उसका विवाह हुआ था। उन्होंने उस नगर में भी यज्ञ का फिर से आयोजन किया, उसके ससुर ने उन्हें पहचान लिया अपने महल मे उन दोनों को लेकर गए। उनकी आवभगत के बाद राजकुमारी को उनके साथ विदा कर दिया ।

दूसरी तरफ साहूकार और उसकी पत्नी भूखे-प्यासे रहकर अपने पुत्र की प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने यह प्रतिज्ञा ली हुई थी कि अगर उनके पुत्र की मृत्यु का समाचार आएगा तो वे दोनों भी अपने प्राण त्याग देंगे। लेकिन अपने बेटे को जीवित देखकर वो दोनों बहुत खुश हुए। उसी रात शिवजी ने साहूकार के सपने में आकर कहा था कि हे वत्स मैंने तुम्हारे सोमवार के व्रत और सोमवार की पूजा विधि-विधान से करने पर तुम्हारे पुत्र को लंबी आयु दी है। इस तरह कोई भी व्यक्ति मेरी पूजा विधि-विधान से करता है और व्रत-कथा पढ़ता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है । 

भगवान शिव का मंत्र

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

करें राशि अनुसार पूजा

राशि अनुसार पूजा कर आप शिव जी का आशीर्वाद पा सकते हैं। 

मेष-   मेष राशि के जातकों को शिवजी का गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करना चाहिए, साथ चांदी का चंद्रमा शिवलिंग पर अर्पित करे। 

वृषभ-  इस राशि के जातक शिवजी का कच्चे गाय के दूध से अभिषेक करें तथा सफेद फूल चढ़ाएं। 

मिथुन-  इस राशि के जातक शिवजी का लाल गुलाल चंदन चढ़ाएं और हरे फलों का रस तथा इतर से अभिषेक करें।

कर्क-   इस राशि के जातक शिवजी को मक्खन और मूंग चढ़ाएं। 

सिंह- इस राशि के जातक शिवजी को शहद, गुड़, शुद्ध गाय का घी, बिल्वपत्र चढ़ाएं। 

कन्या- इस राशि के जातक शिवजी को धतूरा ,भांग और आकडे की फूल चढ़ाएं। 

तुला- इस राशि के जातक शिवजी को मोगरा, चावल, गुलाब, चंदन चढ़ाएं। 

वृश्चिक – इस राशि के जातक शिवजी का शुद्ध जल से अभिषेक करें तथा मसूर की डाल का दान करें।

धनु – इस राशि के जातक शिवजी को सूखे मेवे का भोग लगाएं तथा पीले पुष्प चढ़ाएं। 

मकर–  इस राशि के जातक शिवजी को सरसों का तेल या तिल का तेल चढ़ाएं। 

कुंभ- इस राशि के जातक सफेद ओर काले तिल का मिश्रण करके शिवजी को अर्पित करें।

मीन- इस राशि के जातक शिवजी को गन्ने का रस, शहद, बादाम, बिल्वपत्र, पीले पुष्प, पीले फल चढ़ाएं। 

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