तांबे से बने महामृत्युंजय यंत्र का महत्व

तांबे से बने महामृत्युंजय यंत्र का महत्व

हमेशा से यह धारणा रही है, कि यंत्र बहुत शक्तिशाली होते हैं। यह व्यक्ति को सबसे जल्दी परिणाम देते हैं। आप यंत्रों से तेज और प्रभावी परिणाम की उम्मीद कर सकते हैं। महामृत्युंजय यंत्र सबसे प्रसिद्ध यंत्रों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस शक्तिशाली यंत्र से मृत्यु का भय नहीं रहता है। यह सभी प्रकार की बीमारियों को भी दूर करने में मदद करता है। यह वो यंत्र है जिसका उपयोग भगवान शिव की पूजा करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा हम लम्बे, सुखी और सेहत से भरपूर जिन्दगी के लिए भी इस यंत्र से प्रार्थना करते हैं।

कहा गया है कि महामृत्युंजय यंत्र सारे यंत्रों में सबसे अत्यधिक प्रभावी और लाभकारी होता है। इस महामृत्युंजय यंत्र के प्रयोग से रोग और मृत्यु से रक्षा होती है। इसके अलावा यह किसी भी प्रकार के एक्सीडेंट में होने वाली मृत्यु से भी रक्षा करता है। जब आप इस यंत्र का प्रयोग करते हैं, तो आपको किसी भी तरह की शारीरिक या मानसिक परेशानी का अनुभव लम्बे समय तक नहीं होता है। इस यंत्र की पूजा से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं और लाभ भी सुनिश्चित होता है।


महामृत्युंजय यंत्र का परिचय

महामृत्युंजय यंत्र तांत्रिक साधनाओं से बनाया जाता है। इस पर रेखाएं ज्यामितीय रूप से खींची जाती हैं। महामृत्युंजय यंत्र का निर्माण बीज मंत्र या शक्ति संख्या का उपयोग करके किया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, यंत्रों को देवताओं का ही अंश माना जाता है, इसलिए, ईश्वर की कृपा पाने के लिए यह सबसे सरल उपाय है। हमेशा शुभ मुहूर्त में और पवित्र मन से ही यंत्र बनाना चाहिए। इसे बनाने के लिए आप किसी प्लेट, कागज या धातु का उपयोग कर सकते हैं।

इस यंत्र पर लिखने के लिए चंदन की स्याही का प्रयोग किया जाता है, और कलम के रूप में बेल के पत्तों या अनार के पेड़ की लड़की का प्रयोग कलम के रूप में किया जाता है। लोगों को हमेशा उन यंत्रों की पूजा करनी चाहिए, जो किसी धातु या प्लेट पर एन्क्रिप्टेड हों। इसे अपने गले में तावीज़ के रूप में भी पहन सकते हैं। इस यंत्र में सभी बीमारियों को ठीक करने की शक्ति होती है, जिसकी वजह से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। नेगेटिव एनर्जी को दूर करने में भी यंत्र कारगर होते हैं। इस यंत्र के प्रयोग से व्यक्ति दुर्घटना, मृत्यु और रोगों से सुरक्षित रहता है।


महामृत्युंजय यंत्र की कहानी

धार्मिक ग्रंथों में महामृत्युंजय यंत्र से जुड़ी एक कथा है। इस कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि संत मुकुंद का कोई पुत्र नहीं था। वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। उन्होंने पुत्र पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या की। तब भगवान शिव ने इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर, इन्हें एक पुत्र का आशीर्वाद दिया। पुत्र का वरदान तो मिल गया। लेकिन इसके साथ ही दम्पत्ति को बताया गया कि उनके बेटे की आयु लम्बी नहीं होगी। वो जल्द ही मृत्यु को प्राप्त होगा।

पुत्र के जन्म के बाद संत मुकुंद बहुत खुश थे। संत मुकुंद द्वारा अपने पुत्र का नाम मार्कंडेय रखा गया। मार्कंडेय ने देखा की उनके पिता हमेशा किसी बात को लेकर चिंता में रहते हैं,  इसलिए उन्होंने उनसे इसके बारे में पूछा। तब संत मुकुंद ने उन्हें बताया की उनका जीवनकाल छोटा है। मार्कंडेय जी का मानना था कि भगवान शिव की पूजा पाठ ही उन्हें लंबा जीवन मिलेगा। उन्होंने अपने पिता से कहा कि आप चिंता न करें।

मार्कंडेय जी फिर नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा करने लगे और मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करने लगे। जब मार्कंडेय जी की मृत्यु का समय आया तब यमराज उनको लेने आये। तब लड़के ने यमराज के साथ जाने से मना कर दिया। अपने बचाव में मार्कंडेय जी शिवलिंग से लिपट गये। तब स्वयं भगवान शिव प्रकट हो गये, उन्होंने यमराज को उसे मारने से रोक दिया। यमराज अपनी हार स्वीकार कर चले गए। तब भगवान शिव की कृपा से मार्कंडेय जी को लम्बे जीवन की प्राप्ति हुई। भगवान शिव ने मार्कंडेय जी को आशीर्वाद देकर कहा की जो कोई भी महामृत्युंजय यंत्र की पूजा भक्ति भाव से करेगा, वो व्यक्ति हमेशा मृत्यु और बीमारी से दूर रहेगा।


महामृत्युंजय यंत्र के लाभ और महत्व

भगवान शिव को ही महामृत्युंजय यंत्र का रूप माना जाता हैं। यह यंत्र भगवान शिव के विभिन्न रूपों का अस्तित्व माना जाता है, साथ ही इसमें रोगों को दूर करने की भी शक्ति होती है। यह लोगों को लंबा और स्वस्थ जीवन प्रदान करता है।

महामृत्युंजय यंत्र को ताबीज के रूप में पहन भी सकते हैं,  या फिर यंत्र के रूप में पूजा भी कर सकते हैं। इस यंत्र की पूजा करते समय रुद्र सूक्त और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से लाभ होता है। इस यंत्र के माध्यम से व्यक्ति प्रसिद्ध, धन, बुद्धि और शिक्षा भी प्राप्त करता है।


महामृत्युंजय यंत्र के अनोखे गुण

भगवान शिव को ही पृथ्वी पर मृत्यु और प्रलय के लिए जिम्मेदार माना जाता हैं। यह यंत्र  आपको स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रदान करता है। मृत्युंजय यंत्र आपको लंबे जीवन की शक्ति देता है, इसकी सकारात्मक ऊर्जा आपके प्रतिरक्षा तंत्र को असाध्य रोगों से लड़ने की शक्ति देती है।

इस यंत्र की शक्तिशाली एनर्जी से मृत्यु को हराया जा सकता है, जिसका डर आपके ऊपर हर वक्त मडराता रहता है। इस यंत्र की एनर्जी की वजह से आप जीवन भर फिट और स्वस्थ रहेंगे। आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देखेंगे।


महामृत्युंजय यंत्र के लिए प्रभावी मंत्र

ओम त्रयम्बकम् यजामहे

सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

उर्वारुकमिव बन्धनान

मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् “

आप ऊपर दिए गए महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं। उपरोक्त मंत्र को दोहराते समय कुछ विशेष निर्देशों का पालन भी करना चाहिए।


मृत्युंजय यंत्र का उपयोग कैसे करें

यंत्रों में अविश्वसनीय ब्रह्मांडीय ऊर्जा होती है, जो प्रकृति के एंटीना के रूप में कार्य करती है। यह यंत्र ध्यान, योग, सद्भाव, सफलता, धन, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए अत्यधिक फायदेमंद होते हैं। यह यंत्र इस प्रकार के ज्यामितीय पैटर्न से बने होते हैं, कि व्यक्ति मन और आंखों को इस यंत्र पर केंद्रित करके चेतना की गहरी अवस्थाओं को प्राप्त कर सकता है। तांबे का प्रयोग यंत्र बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे आम सामग्री है।

  • तांबे से बने महा महामृत्युंजय यंत्र को शुद्ध और पवित्र जगह पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके रखना चाहिए।
  • घर के लोगों के अलावा इस यंत्र को अन्य लोगों को छूने नहीं देना चाहिए।
  • इस यंत्र को पानी से अच्छी तरह से धोने के बाद इसे सूखने दें। आप चाहे तो समय- समय पर यंत्र को गुलाब जल या दूध से धोते रहें। समय के साथ यंत्र का रंग बदलने के बावजूद भी इस यंत्र की शक्ति बरकरार रहती है।
  • चंदन के घोल से यंत्र के केंद्र में और कोनों पर गोल घेरे बना लें। यंत्र पर टीका लगाये।
  • आप यंत्र के सामने अगरबत्ती और दीपक जलाएं। आप चाहें तो प्रसाद के रूप में ताजे फल या सूखे मेवे भी चढ़ा सकते हैं।
  • यंत्र को स्नान कराने के बाद ही ऊपर दिए गए मंत्र का जाप करें।

महामृत्युंजय यंत्र का पेंडेंट

भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है। महामृत्युंजय पेंडेंट उनका ही प्रतिनिधित्व करता है। संस्कृत में, इसका अर्थ है मृत्यु पर विजय पाने वाला। जब समुद्र मंथन हुआ था, उस दौरान कालकूट नामक विष निकला था, जिसे भगवान शिव ने अपने गले में धारण करके रखा है। विष को गले में धारण करने की वजह से उनका कंठ नीला पड़ गया, इसलिए उनका नाम नीलकंठ पड़ा।

महामृत्युंजय यंत्र की पूजा करने वाले लोग इस संसार में आने वाली कठिनाइयों से बच सकते हैं। इसे घर के बाहरी हिस्से में लगाने से यह निगेटिव एनर्जी से बचाता है, और यह परिवार की रक्षा करता है।

महामृत्युंजय यंत्र की पूजा करना शुभ माना जाता है, यह साधक को धन, स्वास्थ्य, सुख और यश दिलाता है। यह सभी प्रकार के भयों को दूर करता है, इससे ग्रहों के अशुभ प्रभाव, भूतों का भय, दुर्घटना से मृत्यु आदि का डर दूर होता है।

महामृत्युंजय मंत्र

  1. ॐ नमः शिवाय।
  2. ओम त्रयम्बकम् यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान्, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्। “

महामृत्युंजय यंत्र की घर पर पूजा कैसे करें

  1. नहा धोकर शांत और एकाग्र मन से बैठकर आप प्रार्थना करना शुरू कर सकते हैं।
  2. आप यंत्र के सामने दीपक या धूप जला सकते हैं।
  3. महामृत्युंजय यंत्र को इष्ट देव या भगवान शिव के बगल में रखें।
  4. ताजे फल और फूल चढ़ाये। जल को यंत्र और स्वयं पर छिड़कें।
  5. अब आंखें बंद करके महामृत्युंजय मंत्र का 21 बार जाप करें और अपनी सभी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए भगवान शिव से आशीर्वाद लें।
  6. इस प्रकार मन्त्र को शुद्ध करने के बाद आप इस शुभ महामृत्युंजय यंत्र को धारण कर सकते हैं।


Get 100% Cashback On First Consultation
100% off
100% off
Claim Offer