अनोखा है रत्नों का संसार : रत्नों के बारे में जाने अनोखी बातें

वैदिक ज्योतिष में जब भी ग्रहों के उपचार की बात आती है, तब रत्नों का प्रयोग व्यापक रूप में होता है। कुंडली अनुसार ग्रहों के प्रभाव कम और ज्यादा करने के लिए रत्नों का प्रयोग किया जाता है। रत्नों का प्रयोग ज्योतिष में किस प्रकार से किया जाता है, चलिए इसके बारे में और अधिक जानते हैं।


ज्योतिष में रत्नों का महत्व

वैदिक ज्योतिष राशि, ग्रह, नक्षत्र से मिलकर बना है। हर ग्रह, नक्षत्र और राशि की अपनी प्रकृति होती है। इन सबका अपना रंग और गुण होता है। ठीक वैसे ही हर ग्रह का अपना एक रत्न होता है। ऐसा माना जाता है। उस ग्रह की खूबी उन रत्नों में समाई होती है। इसी प्रकार ज्योतिष के अनुसार कुल 27 नक्षत्र होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र एक विशिष्ट ग्रह से मेल खाता है, जिसके परिणामस्वरूप ज्योतिषीय रूप से प्रत्येक नक्षत्र के लिए एक अलग रत्न दिया जाता है।

जैसे हमें बुखार होता है, तो हम बुखार की दवा लेते हैं। कुछ दवाएं ऐसी भी होती जो लम्बे समय तक खा सकते है। ठीक वैसे ही रत्नों के बारे में कहा जाता है। कुछ रत्न ऐसे होते हैं। जो किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए पहने जाते हैं। उद्देश्य पूर्ति के बाद उन्हें उतार दिया जाता है। कुछ रत्न ऐसे होते हैं जिन्हें हमेशा धारण करना पड़ता है। किस रत्न को कब पहनना है। किसको कब उतारना है। यह सब कुंडली में ग्रहों के आधार पर तय किया जाता है।

रत्नों को धारण करते समय यह अत्यंत महत्वपूर्ण है, कि आप जिस विशेषज्ञ से परामर्श ले रहे हैं। उसे अच्छी तरह से अनुभवी और कुशल होना चाहिए, ताकि कुंडली में किसी भी प्रतिकूलता को संभालने में वो सक्षम हो। यदि विशेषज्ञ की गणना सटीक नहीं है, तो कुछ रत्न ऐसे हैं, जो फायदे की जगह नुकसान भी दे सकते हैं। तो एक बात हमेशा ध्यान रखे। किसी अच्छे ज्योतिषी से ही परामर्श ले

ज्योतिष में यह भी माना जाता है, कि किसी विशेष धातु या धातु के रंग का संबंध विभिन्न ग्रहों से होता है। ये धातुएं सोना, चांदी, तांबा, मिश्र धातु (पंच धातु) और पीतल भी हो सकती है। इन धातुओं की ग्रहों के साथ अनुकूलता भी होती है। किस ग्रह के साथ कौन सी धातु और रत्न सूट करेगा। यह आपको कोई योग्य ज्योतिषी ही बता सकता है। आपका ज्योतिषी अच्छा हुआ, तो वो आपकी जन्म कुंडली में दिए गए ग्रहों की शक्ति को काफी बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही यजमान को जिस परिणाम की आवश्यकता है वो भी दिला सकते हैं।

बिना किसी परामर्श के यदि हम किसी भी रत्न को किसी भी धातु के साथ पहन लेते है, या तो आपको कोई भी परिणाम प्राप्त नहीं होगा। ऐसा भी हो सकता है की कोई दुष्परिणाम आपको भोगना पड़ें। धातु, रत्न और ग्रह के बीच अनुकूलता के लिए कुछ स्थापित मानदंड हैं। इसका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। जैसे मोती रत्न को कभी भी सोने या पीली धातु की अंगूठी में नहीं पहना जाता है। पुखराज हमेशा सोने में धारण करना चाहिए आदि।

किसी ज्योतिषी की सलाह से जानिए कौन सा रत्न आपके लिए सुपर लकी है।


ज्योतिष और रत्न का वैज्ञानिक प्रभाव

यह समझने के लिए कि रत्न कैसे काम करते हैं, हमें रत्नों के दो पहलुओं में इस बात को समझना होगा। पहला रंग, संरचना दूसरा वजन।

रंग

जैसा कि हम सब जानते हैं, सूर्य के प्रकाश में दो प्रकार की अदृश्य किरणें होती है। जिन्हें इन्फ्रारेड और अल्ट्रावायलेट के नाम से जाना जाता है। इन दोनों प्रकाश की किरणों का अपना रंग होता है।

ज्योतिष के अनुसार सात ग्रह और दो छाया ग्रह है, जिन्हें राहु और केतु कहा जाता है। इन दोनों छाया ग्रह मिलाने के बाद 9 ग्रह हो जाते हैं। रंगों का भी यही सिद्धांत है। सात रंग और दो अदृश्य रंग, तो कुल मिलाकर 9 रंग हो गए। यह 9 रंग ही नव ग्रहों की अलग-अलग विशेषताओं, क्षमताओं और कमजोरियों के साथ प्रतिनिधित्व करते हैं। 9 रंगों का यह ब्रह्मांडीय नेटवर्क काफी हद तक जेमोलॉजी के विज्ञान की नींव है।

हर ग्रह की अपनी एक आभा होती है, जिसे रंग भी कह सकते हैं। ठीक वैसे ही रत्नों से निकलने वाली आभा और उनका रंग उस ग्रह से मिलना चाहिए। इसी बात को ध्यान में रखकर हर ग्रह को उसका रत्न दिया है।

यदि किसी व्यक्ति के अंदर किसी भी तरह की ऊर्जा की कमी होती है। तो उस ऊर्जा की भरपाई हम रत्नों के द्वारा करते हैं। जिससे मनुष्य उस कमी से जूझता न रहे। इस प्राचीन विज्ञान को विकसित करने के मूल में प्राकृतिक ऊर्जा प्रणालियों की उच्च समझ थी। इसलिए रत्नों का उपयोग प्राकृतिक ऊर्जा प्रणाली के अनुरूप है। प्राचीन भारत में खगोल विज्ञान ने बड़ी लोकप्रियता हासिल की और इसे सर्वोच्च विज्ञान का दर्जा प्राप्त है।

भारतीय समाज में आज भी ज्योतिषी सम्मानित व्यक्ति हैं। इसे आज भी किसी डॉक्टर से कम नहीं माना जाता है। ज्योतिषी अपने अध्ययन और अनुभव की समझ का उपयोग ग्रहों के प्रभाव को बढ़ाने और संबंधित रत्नों का सुझाव देने के लिए करते हैं। जिससे जीवन व्यवस्थित हो सके।

रचना

अधिकतर देखा जाता है कि रत्न विभिन्न प्रकार के खनिजों के मिश्रण से बने होते हैं। यह मिनरल्स ज्योतिष के आधार पर ग्रहों से जुड़े होते हैं, और विभिन्न लक्षणों और विशेषताओं के अनुरूप होते हैं। जब कोई स्टोन आपकी त्वचा के लगातार संपर्क में रहता है, तो ऐसा माना जाता है की आपके शरीर में उस मिनरल्स के तत्व पहुंच रहे हैं। इन स्टोन को आप अंगूठी या पेंडेंट के रूप में पहन सकते हैं। स्टोन का प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह को बढ़ाने और नकारात्मक ऊर्जा प्रवाह को कम करने के लिए किया जाता है।

वजन

किसी ग्रह को कितनी ऊर्जा प्रदान करनी है, इसका निर्णय स्टोन के वजन या व्यक्ति के वजन अनुसार तय किया जाता है। ज्योतिषियों द्वारा यह निर्धारित किया जाता है, की किस रत्न को कितने वजन के साथ किस धातु में पहनना है। एक बात और जानने योग्य है, की वजन का आधार हर रत्नों पर लागू नहीं होता है, लेकिन कुछ रत्नों के लिए, यह गणना सटीक होनी चाहिए। तभी जाकर आपको लाभ मिलेगा।

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जेमोलॉजी का अवलोकन

स्टोन पहनने को लेकर ऐसा माना जाता है कि महिलाओं को बाएं हाथ में और पुरुषों को दाहिने हाथ में रत्न धारण करना चाहिए।

  • पुखराज: इंडेक्स फिंगर में, बृहस्पति ग्रह के लिए गुरुवार को पहनें।
  • नीलम: मध्यमा अंगुली में, शनि ग्रह के लिए, शनिवार के दिन पहनें।
  • हैसोनाइट / गोमेद: मध्यमा उंगली में, राहु ग्रह के लिए, शनिवार के दिन पहनें।
  • कैटस आई / लहसुनिया: मध्यमा उंगली में, केतु ग्रह के लिए, शनिवार के दिन पहनें
  • डायमंड/ हीरा: मध्यमा अंगुली में, शुक्र ग्रह के लिए, शुक्रवार के दिन पहनें।
  • लाल मूंगा /मूंगा : अनामिका में , मंगल ग्रह के लिए, मंगलवार को पहनें।
  • रूबी / माणिक: अनामिका में , सूर्य ग्रह के लिए, रविवार को पहनें।
  • एमराल्ड / पन्ना: छोटी उंगली में, बुध ग्रह के लिए बुधवार के दिन पहनें।
  • पर्ल / मोती: छोटी उंगली में, चंद्र ग्रह के लिए, सोमवार के दिन पहनें।

निष्कर्ष

एक अनुभवी और पेशेवर ज्योतिषी आपकी कुंडली, स्वभाव, वर्तमान समस्या और जीवन की स्थिति के आधार देखता है। उसके बाद ही संपूर्ण विश्लेषण करने के बाद सबसे उपयुक्त रत्न का चयन आपके लिए करेंगे।

जैसा कि कहा जाता है कि रत्नों से हीलिंग थेरेपी होती है, जो कि रंग चिकित्सा के समान ही होती है। रत्नों का उपयोग विशिष्ट बीमारियों को ठीक करने या विशिष्ट जीवन स्थितियों को हल करने के लिए भी किया जा सकता है। यही मुख्य वजह है कि आपके लिए एक विशिष्ट रत्न का सुझाव दिया जाता है।

ज्योतिष में रत्नों का प्रयोग किस तरह किया जाता है। यह तो आप समझ ही गए होंगे। आपको यह बात भी अच्छे से समझ आ गई होगी। किसी योग्य ज्योतिषी द्वारा ही हमें अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। तभी हमें इसका लाभ मिलेगा।