कुंडली के पंचम भाव में बृहस्पति: जानिए इसके प्रभावों के बारे में

कुंडली के पंचम भाव में बृहस्पति: जानिए इसके प्रभावों के बारे में

परिचय (Introduction)

पांचवे घर का बृहस्पति आपसे पूछेगा, ‘इतने गंभीर क्यों?’ यहां बैठा गुरु आपके प्रेम संबंध की स्थिति, ज्ञान, सामान्य ज्ञान और जीवन के कई अन्य पहलुओं को बेहतर बनाने में आपकी सहायता करता है। आध्यात्मिक बृहस्पति ग्रह जन्मकुंडली के किसी भी घर में हो लेकिन यह आपको आशीर्वाद देने के लिए हमेशा अग्रसर रहता है। परन्तु यदि इस पर दुष्ट ग्रहों की दृष्टि पड़ जाए तो चीजें उलट हो सकती हैं। आइए देखते हैं कि किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली के पांचवे घर में आने पर बृहस्पति क्या प्रदान करता है। अधिक जानने के लिए हमें फॉलो करें और हमसे जुड़े रहें।


पांचवें घर में बृहस्पति का क्या अर्थ है? (What Does Jupiter In The 5th House Mean?)

जब भी बृहस्पति पांचवे घर से गुजर रहा हो तो इसका अर्थ है कि जातक के जीवन पर इसका सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ सकते हैं। पुरुष और महिला दोनों ही जातक अपने जीवन में एक या अधिक यौन संबंध स्थापित कर सकते हैं। यदि गुरु पंचम भाव में स्थित हो तो यह जातक को धनी और हंसमुख बनाता है और उन्हें संतुलन बनाने की कला सिखाता है।

कभी-कभी ऐसा बृहस्पति आपके कॅरियर में बाधा उत्पन्न कर सकता है, लेकिन बदले में, यह आपकी अपनी शिक्षा पूरी करने में भी मदद करता है। यदि गुरु किसी केंद्र भाव का स्वामी हो तो उस जातक के अपनी संतान के साथ संबंध खराब होने की संभावनाएं बनी रहती हैं।

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पंचम भाव में बृहस्पति द्वारा प्रभावित जीवन के क्षेत्र (Areas of Life Affected By Jupiter in the 5th house)

  • प्रेममय जीवन
  • पैसा
  • बच्चों के साथ संबंध

पंचम भाव में बृहस्पति का प्रभाव (Impacts Of Jupiter In The 5th House)

पंचम भाव के बृहस्पति के पॉजिटिव इफेक्ट्स (Positive Effects)

जिन जातकों के पंचम भाव में बृहस्पति होता है, वे दयालु, ऊर्जावान और बच्चों के साथ मजेदार गतिविधियों में शामिल होना पसंद करते हैं। वे अपनी सोचने की क्षमता में सुधार करते हैं और अपने दिमाग में रचनात्मकता विकसित करते हैं। साथ ही, वे अपने ज्ञान को दूसरों के साथ शेयर करने में रुचि लेते हैं, और अपने इसी एक गुण के बल पर वे शिक्षण संस्थाओं में अत्यधिक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व बन जाते हैं।

इसके अलावा, जातक अपने प्रियजनों के साथ मजबूत संबंध बनाते हैं और धर्म और दर्शन से जुड़े विषयों में अत्यधिक रुचि रखते हैं। ऐसे जातक अपने पहले किए गए इन्वेस्टमेंट्स से भविष्य में अच्छा लाभ अर्जित करने में सक्षम हो सकते हैं।

पंचम भाव को संतान भाव के रूप में भी जाना जाता है, इसलिए यह जातकों के लिए संतानोत्पत्ति के समय परेशानी पैदा कर सकता है। हालांकि, 5वें घर में गोचर बृहस्पति जातकों को अपनी युवा पीढ़ी के साथ नॉलेज शेयर करने के लिए प्रेरित करता है।

पंचम भाव में गुरु का होना यह भी दर्शाता है कि जातक की संतान अधिकतर पुत्र ही होगी। यदि यहां बैठा हुआ गुरु वक्री हो तो ऐसे जातक गलत जानकारी और अहंकार का शिकार होते हैं। हालांकि, उस परिस्थिति में जातक किसी भी विकट से विकट स्थिति को संभालने के लिए निडर भी बन जाते हैं और हर तरह की समस्या का डटकर सामना करते हैं। वे अपने करीबी लोगों के साथ क्वालिटी टाइम बिताते हैं।

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पंचम भाव के बृहस्पति के नेगेटिव इफेक्ट्स (Negative Effects)

जन्मकुडंली के पांचवें घर में बैठा बृहस्पति जातक को स्थितियों पर नियंत्रण करने के लिए प्रेरित कर सकता है। फलस्वरूप ऐसे लोग आगे बढ़ने के लिए के लिए दूसरों को नीचे दबाते चले जाते हैं और ऐसा करते हुए भी ये अन्य लोगों को प्रभावित करते हैं और उनका लाभ उठाते हैं। ऐसे जातक अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए दूसरों से सलाह भी नहीं ले पाते और कई बार उन्हें इसी कारण असफलता का भी सामना करना पड़ सकता है।

इसलिए, यह सुझाव दिया जाता है कि पंचम भाव में बृहस्पति वाले जातकों को दूसरों के विचारों और बातों को सुनना चाहिए। 5 वें घर में बृहस्पति की उपस्थिति जातकों को दूसरों के साथ अहंकारपूर्ण संघर्ष करने के लिए प्रेरित कर सकती है। इस प्रकार, उनके करीबी लोगों के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वे उन्हें अपनी सीमा को पार करने से रोकें। इसी तरह, वे अपने सहयोगियों या दोस्तों के साथ गलतफहमियों का शिकार हो सकते हैं, जिससे उनके संबंधों में स्थाई दरार आ सकती है।

बृहस्पति का मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु या कुंभ राशि के पंचम भाव में गोचर करना जातक को कॅरियर में सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से ऐसे जातकों को लीवर, पीलिया या अन्य संक्रामक रोगों से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचना चाहिए। नहीं तो भविष्य में उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी गुरु हो तो पंचम भाव में स्थित गुरु जातक के वैवाहिक जीवन को सफल बनाने में सहायक होता है। साथ ही बृहस्पति का प्रभाव मनचाहा जीवनसाथी पाने में मदद कर सकता है।


समापन

बृहस्पति का जातक की कुंडली और उसके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह आपने यहां पर जाना। हमने यह भी पाया कि पंचम भाव में बृहस्पति के जातक अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। स्वभाव से वे चंचल होते हैं, इसलिए यदि वे अपने साथी के साथ मिलकर काम करें तो उनके लिए लक्ष्यों को प्राप्त करना ज्यादा आसान होगा। वहीं दूसरी ओर ऐसे लोगों को यह सलाह भी दी जाती है कि उन्हें अपने अहंकार के प्रति सचेत रहना चाहिए। अन्यथा, उन्हें अपने आने वाले जीवन में गंभीर मुद्दों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। आशा है कि आपको यह पढ़कर अच्छा लगा होगा। इसी तरह की अन्य ज्ञानवर्द्धक जानकारी पाने के लिए आप हमसे जुड़े रहिए तथा ब्लॉग पर लगातार अपडेट पाते रहिए।



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