घर में water tank vastu बनाते समय किन बातों का रखें ध्यान

घर में water tank vastu बनाते समय किन बातों का रखें ध्यान

वास्तु शास्त्र वास्तुकला का एक प्राचीन विज्ञान है। यह बहुत ही पुराने से समय से इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसका उपयोग अभी भी घर की वस्तुओं को सही स्थान पर रखने या घर की संरचना को तैयार करने के दौरान किया जाता है। वास्तु शास्त्र के पीछे के सिद्धांत या मूल भावना एक आदर्श और खुशहाल घर बनाने की होती है। घर में रखने जाने वाले फर्नीचर और सामान को सही स्थान पर रखे जाने की व्यवस्था वास्तु शास्त्र करता है।  

वास्तु शास्त्र के नियम, कायदे और निर्देश प्रमुखतया अंतरिक्ष और ऊर्जा दोनों से जुड़े हैं। यदि हम अपने घर को वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार बनाते और सजाते हैं, तो हम एक बहुत ही पूर्ण और सुखी जीवन जी सकते हैं। ऐसा घर अपने प्रत्येक रहवासी के लिए, अपने हर व्यक्ति के लिए जीवन में सुख और शांति लाता है। इन्हीं सिद्धान्तों में से एक प्रमुख नियम होता है घर में पानी की टंकी का। उसके स्थान के आधार पर सुख समृद्धि तय होती है। आइए पानी की टंकी लगाने के बारे में विस्तार से चर्चा करें।


पानी की टंकी लगाने के लिए वास्तु टिप्स

जब भी घर का निर्माण या हो या कोई सुधार कार्य हो तो वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार ही घर का निर्माण या नवीनीकरण करना चाहिए। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि घर में पानी की टंकियां भूमिगत बनाएं या फिर छत के ऊपर लगाएं, दोनों ही स्थितियों में वास्तु विज्ञान से जुड़ा परामर्श प्राप्त करने के बाद ही इसे लगाया जाना चाहिए।  

ऐसा इसलिए है क्योंकि भूमिगत और छत के ऊपर पानी की टंकी, दोनों ही स्थिति में इनमें भरा पानी लोगों के जीवन पर अत्यधिक प्रभाव डालता है। कई मामलों में गलत तरीके या गलत जगह पर बनाई गई पानी की टंकी घर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। पानी की टंकी एक बड़ा कारण हो सकती है जिसकी वजह से घर में रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य खराब रहता है। उनकी सेहत और फिटनेस बुरी तरह प्रभावित रहती है। ऐसे में वास्तु शास्त्र के नियमों की पालना करते हुए, वास्तु के सिद्धान्तों को मानते हुए पानी के अंडरवाटर या ओवरहेड टैंक की जगह तय की जानी चाहिए।  

दरअसल, भूमिगत या ओवरहेड पानी की टंकी बोरवेल या कुएं से आने वाले पानी की आपूर्ति करती हैं। इस पानी को टैंक में डाला जाता है और फिर पूरे घर में सप्लाई किया जाता है। आमतौर पर पानी के वितरण का यही तरीका उपयोग में लिया जाता है। वास्तु दिशा-निर्देशों के अनुसार पानी की टंकी के निर्माण या स्थान पर विचार करना महत्वपूर्ण हो जाता है।

इसके लिए नियमों का एक विशेष सेट बनाया जाता है। इसी सेट को समझकर हम पानी की टंकी से जुड़े वास्तु के नियमों को समझा जा सकता है। सही स्थान पर पानी की टंकी रखे जाने के बाद ऊर्जा का सकारात्मक प्रवाह घर में अंदर हम पा सकते हैं। इससे सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।


ओवरहेड टैंक: क्या करें और क्या न करें

वास्तु शास्त्र का उपयोग आजकल की आधुनिक दुनिया में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने के लिए किया जाता है। घर में प्रवेश करते समय नकारात्मक ऊर्जा न मिले, इसके लिए वास्तु के नियमों की पालना करना बहुत जरूरी होता है। सालों पहले विशेषज्ञों ने वास्तु शा के विज्ञान और उससे जुड़े विभिन्न नियमों की खोज की थी। उन्होंने ये नियम निर्धारित किए, जिससे लोगों के घर में सम्पन्नता का वास हो सके। नियमों में उन्होंने बताया कि वास्तु शास्त्र के अनुसार पानी की टंकी का सही स्थान घर के मालिकों के लिए धन, स्वास्थ्य और समृद्धि ला सकता है।

आइए वास्तु शास्त्र के कुछ सिद्धांतों के बारे में विस्तार से जांच करते हैंं। यह निश्चित रूप से आपको ओवरहेड और भूमिगत टैंकों को रखने को समझने में मदद कर सकता है।

क्या करना चाहिए

  • वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार, ओवरहेड टैंक को दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाया जाना चाहिए क्योंकि ऊर्जा क्षेत्र की उच्च संभावनाएं हैं।
  • पानी की टंकी की यह स्थिति घर और उसके आसपास सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा को संतुलित कर सकती है।
  • यदि दक्षिण-पश्चिम दिशा में जगह उपलब्ध नहीं है, तो पानी की टंकी को दक्षिण दिशा में रखने की सलाह दी जाती है।
  • यह दूसरा सबसे अच्छा विकल्प होता है। इस बीच यह तय कर लें कि घर की छत और टैंक के बीच बहुत अच्छी दूरी हो।
  • सिद्धान्तों के अनुसार कम से कम एक या दो फीट की दूरी बनाकर रखें।
  • पानी की टंकी के लिए कुछ विशिष्ट रंगों का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इसके लिए नीले या काले पानी की टंकी के सुझाए गए रंग हैं।
  • आपको यह भी विचार करना चाहिए कि टैंक के अंदर किसी तरह की गंदगी या अशुद्धता न आए, इसे रोकने के लिए टैंक पर ढक्कन लगाया जाना भी जरूरी होता है। पानी की टंकी को पूरी तरह से बंद और पैक किया जाना चाहिए।
  • पानी की टंकी की स्वच्छता बनाए रखने की सलाह दी जाती है। पानी की टंकी के बाहर और अंदर की सफाई नियमित रूप से करनी चाहिए।
  • वास्तु शास्त्र में दो अलग-अलग पानी की टंकियों की कोशिश करने का सुझाव दिया गया है, एक वॉशरूम के लिए और दूसरी किचन के लिए।

क्या नहीं करना चाहिए

  • पानी की टंकी का निर्माण या स्थापना करते समय उत्तर-पूर्व दिशा से बचने की सलाह दी जाती है।
  • यह घर के निवासियों के लिए अप्रत्याशित नुकसान भी ला सकता है।
  • जब आप अपने घर के लिए ओवरहेड वॉटर टैंक बनाने का फैसला करते हैं तो ध्यान रखें कि इसके लिए प्लास्टिक सामग्री के लिए न जाएं।
  • जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक हमारे मानव शरीर के समग्र स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है।
  • वास्तु के नियमों में यह सलाह दी जाती है कि पानी की टंकी में किसी भी दरार का तो ध्यान रखें ही साथ ही ध्यान रखे कि आस पास नमी न हो।
  • सुनिश्चित करें कि जब इसे दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखा जाए। पानी की टंकी को घर के वास्तु के बीच में रखने से बचना चाहिए।
  • यह भवन के मालिकों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

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भूमिगत वाटर टैंक: क्या करें, क्या न करें

हमने अभी जाना कि ओवलहेड वाटर टैंक बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन का नहीं। अब हम आपको भूमिगत वाटर टैंक के  बारे में बताने जा रहे हैं। इन दोनों के बीच कुछ अंतर हैं। सबसे पहला अंतर इन दोनों की जगह को लेकर आ सकता है। ओवरहेड पानी की टंकी को भवन के शीर्ष पर रखा या बनाया गया है, वनहीं दूसरी ओर, भूमिगत वाटर टैंक में जमीन खोदकर नीचे एक भूमिगत पानी की टंकी रखी या बनाई जाती है।

क्या करना चाहिए

  • पानी की टंकी को घर के उत्तर पूर्व दिशा में रखने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक भूमिगत टैंक इस दिशा में बहुत सकारात्मक प्रभाव डालता है और यह प्रभाव घर के भीतर बहता है।
  • यह भी सुझाव दिया जाता है कि भूमिगत पानी की टंकी घर के पूर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए।
  • प्राचीन प्रथाओं और मान्यताओं के अनुसार, पानी की टंकी का निर्माण शुरू करने से पहले पूजा करने की जानी चाहिए। यह प्रक्रिया शुरू से ही सकारात्मकता की शुरुआत कर सकती है।
  • भूमिगत पानी की टंकी का निर्माण या प्लेसमेंट बहुत मुश्किल हो सकता है।
  • इसके अलावा, आपको टैंक लगाने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

क्या नहीं करना चाहिए

  • सबसे पहले यह सलाह दी जाती है कि उत्तर पश्चिम और दक्षिण-पूर्व दिशा में पानी की टंकी का निर्माण न करें। ऐसा इसलिए है क्योंकि पानी के मामले में यह हानिकारक माना जाता है और मालिकों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  • वास्तु की ओर से यह सलाह दी जाती है कि गंदे पानी की टंकियों को हटा देना चाहिए या उनका उपयोग बंद कर दें। यह जल स्वच्छता के पहलू से भी महत्वपूर्ण है।
  • हमारा सुझाव है कि आप पानी की टंकी की जांच करते रहें। सुनिश्चित करें कि भूमिगत पानी की टंकी में कोई लीकेज या रिसाव नहीं है।
  • पानी की टंकी लगाने के लिए भूमिगत को जमीन में एक गड्ढ़ा बनाना होता है, मंगलवार को खुदाई का काम शुरू न करने की सलाह दी जाती है।
  • ज्योतिष के अनुसार मंगलवार को अशुभ माना जाता है और यह घर में अपशकुन ला सकता है।
  • इसके साथ ही सलाह दी जाती है कि आप स्वयं किसी भी गलत टैंक की मरम्मत न करें।
  • हमारा सुझाव है कि आप इस संबंध में कोई कार्रवाई या कदम उठाने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लें।

समापन

वास्तु शास्त्र के सिद्धान्त घर के मालिकों या घर में रहने वालों की समग्र भलाई को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब पानी की टंकी के लिए वास्तु युक्तियों का पालन करने की बात आती है तो हमें अधिक सावधानीपूर्वक और सटीक होने की आवश्यकता होती है। हमें नियमों को पूरा ध्यान रखते हुए उनकी पालना करनी चाहिए। वास्तु के नियम का पालन न करके हम घर में नकारात्मक या सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। यह आपके मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को आश्चर्यजनक रूप से प्रभावित कर सकता है।

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