जानें शिक्षा (education) में सफलता पाने में ग्रहों का योगदान!

आज के समय में बच्चों की शिक्षा को लेकर माता-पिता परेशान रहते हैं। उनको हमेशा लगता है, की हमारा बच्चा पहले नंबर पर आना चाहिए। तभी जाकर वो कुछ बन पाएगा। बच्चे अपने माता-पिता के इस दबाव से परेशान रहते हैं। हालांकि इसमें दोष किसी का भी नहीं है। बच्चे अपनी जगह सही और माता-पिता अपनी जगह सही है। बस गलत होती है तो सिर्फ सोच। हर माता पिता को लगता है, की आज के इस प्रतिस्पर्धा भरे माहौल में अगर हमारा बच्चा पीछे रह गया, तो वो अपना भविष्य कैसे सम्हाल पायेगा। अभिभावक को यह भी पता होना चाहिए, की हर कोई फर्स्ट नहीं आ सकता। इसलिए बच्चों के ऊपर मानसिक दबाव न बनाये। बच्चों को समझना चाहिए माता-पिता को सिर्फ उनके भविष्य की चिंता है इसलिए वो थोड़ा कड़ाई से पेश आते है।

शिक्षा को रेस का मैदान न बनाए। तुम पहले आओ- पहले आओ की दौड़ में आपके बच्चे गिर सकते हैं। आज के समय का दुखद लेकिन कड़वा सच यह है, कि बिना पैसे के आप अच्छी शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते। बच्चों की पढ़ाई में आज के समय में बहुत पैसा खर्च होता है। आज हम यहां शिक्षा के स्तर और इसमें खर्च होने वाले पैसो की बात नहीं कर रहे हैं। आज हम यहां बात कर रहे हैं, वैदिक ज्योतिष की मदद से कुंडली द्वारा शिक्षा का स्तर कैसे पता करें।

यह बात बिल्कुल सही है कि ज्योतिष आपको निश्चित रूप से आपकी जन्म कुंडली के आधार पर आपकी शिक्षा किस स्तर तक जाएगी इसके बारे में विस्तृत जानकारी दे सकता है। आपकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति आपके बच्चों के लिए सर्वोत्तम शिक्षा के क्षेत्र के बारे में बता देती है। जैसे आगे जाकर आपका बच्चा क्या बनेगा – इंजीनियरिंग, डॉक्टर, एमबीए, लॉ, पीएचडी, और भी बहुत कुछ। आज के समय में तो कई नए पाठ्यक्रम आ गये है, और भविष्य में कई और पाठ्यक्रम आने वाले हैं। तो, ज्योतिष निश्चित रूप से अच्छी शिक्षा के आधार पर आपके बच्चे के मजबूत कॅरियर के निर्माण में मदद करेगा।


शिक्षा पर कुंडली के द्वितीय भाव का प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में कुंडली का दूसरा भाव प्रारंभिक शिक्षा और बचपन का प्रतिनिधित्व करता है। यह आपकी शिक्षा का आधार है, इसी के आधार पर आप अपने भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। कुंडली में दूसरे भाव में शुभ ग्रह का होना आवश्यक हो जाता है। दूसरे भाव में शुभ ग्रह हों या इसके स्वामी को कुंडली में अनुकूल होना चाहिए, साथ ही दूसरे भाव पर अशुभ प्रभाव नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही कुंडली में इस भाव में जो ग्रह है, वे कमजोर या दुर्बल नहीं होने चाहिए। दूसरे भाव की किसी भी तरह से अशुभता शिक्षा में रुकावट के बारे में बताती है।


शिक्षा पर कुंडली के चतुर्थ भाव का प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में चौथा भाव मन और मानसिक स्थिरता का प्रतिनिधित्व करता है। इस भाव से सीखने और समझने की क्षमता देखी जाती है। कुंडली के चतुर्थ भाव का स्वामी अनुकूल हो या चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह स्थित हों, तो जातक की पकड़ और सीखने की क्षमता बहुत मजबूत हो जाती है। यदि इस भाव में उच्च के ग्रह या फिर बलि ग्रह हो तो वे अपना सर्वोत्तम फल देते हैं। यदि विपरीत, इस भाव में ग्रह कमजोर या पीड़ित हुए, बच्चे की सीखने की क्षमता कम होती है। इसके अलावा बच्चों का पढ़ाई में मन भी नहीं लगता है। अशुभ ग्रह मन और एकाग्रता को प्रभावित करते हैं।

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शिक्षा पर कुंडली के पंचम भाव का प्रभाव

कुंडली का पंचम भाव जातक की स्मरण शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। इस भाव में विराजमान ग्रह आपकी स्मरण शक्ति के बारे में बताते हैं। यह भाव चीजों को ध्यान में रखने की क्षमता दिखाता है। पंचम भाव अनुकूल हुआ तो शीघ्र सीखने की उत्कृष्ट क्षमता प्रदान करता है। पंचम भाव में शुभ ग्रह होने पर इनकी पकड़ इतनी तेज होती है, कि इन्हें सीखने के लिए ज्यादा संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती है। वे स्वाभाविक रूप से अध्ययन करते हैं। अच्छे विद्वानों में शामिल होते है। इन लोगों को कम प्रयास में परीक्षा में सफलता मिल जाती है।


शिक्षा पर कुंडली के नौवें भाव का प्रभाव

कुंडली का नौवां भाव उच्च शिक्षा और स्नातकोत्तर शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है। इस भाव को मास्टर्स और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री का घर कहा जाता है। स्नातक के बाद उच्च शिक्षा को इसी भाव से देखा जाता है। वैदिक ज्योतिष में, नौवां घर एक बहुत शक्तिशाली लक्ष्मी योग भी बनाता है, और यह जातक को सारे सुख का आशीर्वाद देता है। 9वें घर या 9वें भाव के स्वामी की मजबूत स्थिति विश्वविद्यालय की शिक्षा के स्तर के लिए सफलता तय करती है।


ज्योतिष अनुसार शिक्षा के सफल योग

  • वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति शिक्षा और ज्ञान का कारक है, इसलिए इसकी स्थिति सबसे ज्यादा मायने रखती है। बृहस्पति जब पहले, पांचवें या नौवें भाव में स्थित होता है, तो यह पढ़ाई में वांछित परिणाम दिलाता है।
  • बुध ग्रह आपकी बुद्धि को दर्शाता है, और इसका मजबूत स्थान एक अच्छा विश्लेषणात्मक और तार्किक दिमाग देता है। उच्च का बुध अच्छा संचार कौशल देता है, जो जातक के व्यक्तित्व को बहुत उज्ज्वल बनाता है।
  • मजबूत शनि पेट्रोलियम, तेल, चमड़ा और खनिजों में अच्छी शिक्षा देता है।
  • मजबूत मंगल इंजीनियरिंग, डॉक्टर, सर्जरी, सेना और रक्षा में सफलता देता है।
  • वैदिक ज्योतिष में दो योग शिक्षा के लिए सबसे अच्छे माने जाते हैं। पहला बुध-आदित्य योग दूसरा सरस्वती योग है। यह दोनों योग जातक को मजबूत स्मृति और शानदार क्षमता के साथ ग्रहण करने की शक्ति का आशीर्वाद देते हैं। कुंडली में इन योगों की वजह से जातक का संगीत, चित्रकला, नृत्य और किसी अन्य कलात्मक क्षेत्र की ओर झुकाव होता है।

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शिक्षा के लिए जिम्मेदार ग्रह

बृहस्पति और बुध शिक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण ग्रह हैं। इसका स्थान और आधिपत्य आपकी शैक्षिक सफलता को तय करता है। ग्रह जितने बलवान होंगे, परिणाम उतने ही अच्छे होंगे।

यदि दूसरा या पांचवां घर बुरी तरह पीड़ित है, तो आप अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाएंगे और जीवन में कई प्रकार की अशांति पैदा हो सकती है।

जैसा की हम सब जानते है, कि ग्रहों का प्रभाव जातक के जीवन पर पड़ता है। इनका प्रभाव शैक्षिक स्तर पर सफलता भी तय करता है। आप सटीक ज्योतिष विश्लेषण के आधार पर अपनी वास्तविक रुचि का चयन कर सकते हैं। ज्योतिष के अलावा, आपको वह भी करना चाहिए। जिससे आप प्यार करते हैं। इस दुनिया में जब जुनून और कॅरियर एक साथ आ जाते है तब इससे खूबसूरत आपके लिए और कुछ नहीं होगा।