सूर्य-राहु ग्रहण दोष कॉपर यंत्र – जीवन के विभिन्न प्रकरणों में आपकी सहायता करता है

जब किसी व्यक्ति की कुंडली या कुंडली चार्ट में सूर्य और राहु एक साथ मौजूद होते हैं, तो इसे ग्रहण दोष कहा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार राहु की सूर्य से शत्रुता है, इसलिए जब वे दोनों एक साथ एक भाव में आते हैं, तो इस स्थिति को सूर्य ग्रहण या सूर्य “ग्रहण दोष” कहा जाता है। 

जैसे सूर्य ग्रहण में खाना नहीं खाना चाहिए, ग्रहण के बाद नया भोजन बनाना चाहिए पुराना भोजन उपयोग नहीं करना चाहिए, ग्रहण काल के समय फूल और पत्ती तोड़ना, किसी भी प्रकार के शुभ कार्य करना वर्जित हैं। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को बाहर नहीं जाना चाहिए, इस समय सोना नहीं चाहिए। इस तरह हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण के दौरान कई जरूरी चीजों की मनाही है। ठीक उसी प्रकार जब जातक की कुंडली में सूर्य-राहु ग्रहण दोष की बात आती है तो यह जातक के जीवन पर बहुत सारे प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसलिए उसके जीवन में भी ग्रहण के दौरान बहुत से कार्यों की मनाही होती है, अन्यथा जातक पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिससे उसे कई प्रकार के कष्ट उठाने पड़ते हैं।

ज्योतिषियों के अनुसार, ग्रहण दोष अन्य सभी दोषों में सबसे खतरनाक होता है। कुछ ज्योतिषी इसे पितृ दोष भी मानते हैं जो पितृ दोष का कारण बनता है। राहु जोकि आलस्य, बाधा, काम में देरी, अवसाद, भावनात्मक असंतुलन जैसे कई अन्य भ्रमों का प्रतीक है। यह लगभग 18 महीनों के लिए कुछ राशियों में अपनी छाया को प्रतिबिंबित करने के लिए जाना जाता है। यदि किसी भी भाव में राहु की दृष्टि सूर्य पर पड़ती है, तो इसे सूर्य ग्रहण योग कहा जाता है, जो व्यक्ति के लिए बहुत हानिकारक भी माना जाता है।


कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष के परिणाम क्या हैं?

कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष के निम्नलिखित परिणाम हो सकते हैं:

  • जातक की कुंडली में सूर्य ग्रहण योग या सूर्य राहु ग्रह दोष होने की स्थिति में, जातक का अपने पिता से मतभेद हो सकता है। इसके अलावा पिता के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है।
  • सूर्य राहु ग्रह दोष के कारण जातक के विवाह या संतान के जन्म में देरी हो सकती है।
  • परिवार के सदस्यों के बीच हर समय असहमति, विवाद और अनावश्यक बहस हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप घर में क्लेश बना रहेगा और शांति की कमी रहेगी। इस समय आपका अपने परिवार से किसी छोटी बात पर भी मतभेद विकराल रूप ले सकते हैं।
  • यदि जातक को कोई पुरानी बिमारी है तो वह और ज्यादा तकलीफ दे सकती है, साथ ही हृदय रोग, मस्तिष्क रोग, कैंसर आदि जैसे नए रोग से जातक पीड़ित हो सकता है। 
  • ग्रहण दोष के प्रभाव से व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी आएगी, क्रोध निरंतर बढ़ेगा। जिसके परिणामस्वरूप जातक बुराई के प्रति आकर्षित हो सकता है।
  • सूर्य ग्रहण व्यक्ति के करियर में सफलता की कमी का कारण बनता है।
  • यह दोष भारी वित्तीय ऋण और नुकसान को बढ़ाता है।
  • इस काल में जातक का रिश्तेदार उन्हें धोखा दे सकता है, और उन्हें कई विश्वासी लोगों के साथ अनावश्यक मुद्दों पर सामना करना पड़ सकता है। 
  • ग्रहण दोष के परिणामस्वरूप जीवन में अस्थिरता आ सकती है।

तांबे के सूर्य राहु ग्रहण दोष निवारण यंत्र के साथ आप कौन-कौन से अनुष्ठान कर सकते हैं?

सूर्य ग्रहण और उसके प्रभाव के बारे में आपने जान लिया है, अब जानते हैं कि इस दौरान आप कौन -कौन सा अनुष्ठान कर सकते हैं। जिसके परिणामस्वरूप आपके जीवन में इस दोष का प्रभाव कम हो जाये। इसके लिए आप सूर्य राहु ग्रहण दोष निवारण यंत्र की स्थापना कर सकते हैं। सूर्य राहु ग्रहण दोष निवारण यंत्र की स्थापना के बाद यदि जातक लगातार कुछ विशिष्ट उपचारात्मक क्रियाओं का पालन करता है, तो वे कुछ हद तक इस दोष के हानिकारक प्रभावों को कम कर सकता है, जैसे कि गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान करना, “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना और हनुमान चालीसा का भजन नियमित रूप से गाना, प्रतिदिन उगते सूर्य को जल अर्पित करते हुए “आदित्य हृदय स्त्रोत” का पाठ करना इसमें शामिल है।

सूर्य राहु ग्रह दोष वाले जातकों को इस दोष काल की अवधि में किसी से भी मुफ्त में कुछ भी नहीं लेना चाहिए, भले ही वह आपको हीरा, मोती ही क्यों न दे रहा हो। किसी से मुफ्त में चीजें लेने के बजाय जातक जरूरतमंदों को गेहूं और गुड़ का दान करता है तो उसे इसका लाभ मिलता है। सूर्य राहु ग्रहण दोष निवारण यंत्र की स्थापना के स्थान पर सूर्य राहु ग्रह दोष शांति पूजा नियमित रूप से करें या किसी विशेषज्ञ पंडित की मदद से करवा सकते हैं। सूर्य ग्रहण शांति पूजा सभी विधि-विधान से करें अन्यथा इसका लाभ आपको नहीं मिलेगा और सूर्य ग्रहण दोष का प्रतिकूल प्रभाव में कोई कमी नहीं आएगी।

जातक सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए परिवार के प्रत्येक सदस्य से सिक्के लेकर जरूरतमंदों को दान करें। कुछ अन्य उपाय भी हैं जो राहु के प्रभाव को समाप्त करते हैं, वे हैं चंदन की माला धारण करना, मंदिर में चार नारियल दान करना इत्यादि। ज्योतिषियों के अनुसार बृहस्पति वह ग्रह है जो राहु को बहुत अच्छी तरह से नियंत्रित करता है, इसलिए इस काल में आपको गुरु की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा, राहु मंत्र यानि “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:” का जाप करें। 

8 मुखी रुद्राक्ष पहनें, घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में पानी जमा करें। साथ ही काले और नीले कपड़े जरूरतमंदों को भोजन के साथ दान करें। इस तरह कर्म और पूजा करके सूर्य राहु ग्रहण दोष को कम करके अपने जीवन में अनुकूलता ला सकते हैं। आप पूजा करें, किसी पंडित से पूजा करवाए या इसके लिए आप प्रमुख विशिष्ट सेवा प्रदाताओं से लाइव ऑनलाइन पूजा भी करवा सकते हैं ग्रहण दोष हटाने के लिए। यदि आप भी ऑनलाइन पूजा करवाने के इच्छुक हैं तो अभी हमसे संपर्क करें।


श्री सूर्य राहु ग्रहण दोष निवारण यंत्र किसे खरीदना चाहिए?

जैसा कि आप इस लेख में जान गए हैं कि, किसी की कुंडली में सूर्य और राहु की युति हो तो जातक के कुंडली में सूर्य राहु ग्रहण दोष होता है। जातक की कुंडली में इस दोष के कारण कई हानिकारक प्रभाव होते हैं। कुछ संभावित जटिलताओं को इस लेख में समझाया गया है। यदि आप भी अपने जीवन में लेख में बताये गए इनमें से किसी भी समस्या का अनुभव करते हैं, तो आपको सूर्य राहु ग्रहण दोष निवारण यंत्र की सहायता लेने की आवश्यकता है। यह ऊर्जावान और अनुशासित यंत्र आपके कुंडली चार्ट में सूर्य और राहु के हानिकारक प्रभावों को दूर करता है। यह जल्द ही अपना प्रभाव दिखाता है, जिसके वजह से जातक अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव को जल्द ही देखने लगता है।


सूर्य राहु ग्रहण यंत्र कैसे स्थापित करें?

जातक किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी की सलाह से, किसी अधिकृत और वास्तविक स्रोत से तांबे के सूर्य राहु ग्रहण दोष यंत्र को खरीद सकता है। यंत्र खरीदने के बाद, जातक को सलाह दी जाती है कि वह यंत्र को घर के उत्तर-पूर्व कोने में या घर के मंदिर में रखे। उत्तर-पूर्व कोण को ईशान कोण भी कहा जाता है। समझ ना आने की स्थिति में अपने घर के कलेंडर में चित्र देख कर समझ सकते हैं कि कहाँ पर स्थापित करना है।

 

यंत्र को स्थापित करने के बाद स्थापना के स्थान पर सूर्य-राहु ग्रहन दोष निवारण पूजा करने के लिए पानी, गंगाजल, दूध, फूल, मिठाई, धूप और दीया लें। इसके बाद यंत्र को पानी, गंगाजल और दूध से साफ करें और फिर हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों की सलाह के अनुसार फूल, मिठाई, धूप और दीया से यंत्र का अनुष्ठान करें। पूजा के दौरान “आदित्य हृदय मंत्र” और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र और राहु बीज मंत्र का जाप करें। जब आप हमारी वेबसाइट से यंत्र खरीदते हैं, तो हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों द्वारा आपको स्थापना विधियों और आवश्यक मंत्रों के साथ-साथ आवश्यक सभी मार्गदर्शन भी मिलते हैं। फिर देर किस बात की, अभी संपर्क करें।


श्री सूर्य राहु दोष निवारण यंत्र के क्या लाभ हैं?

तांबे के सूर्य राहु दोष निवारण यंत्र के निम्नलिखित लाभ हैं:

 

  • यह यंत्र अपने प्रभाव से जातक और पिता के बीच चल रहे मतभेद को सुलझाता है। 
  • जातक के विवाह में आ रही रुकावटों को दूर करता है और संतान से जुड़ी जटिलताओं को सरल करता है।
  • परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रेम और स्नेह में वृद्धि के साथ-साथ घर में शांति आती है।
  • पिता के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, और पूजा करने वाले जातक को बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • यदि जातक का कोई कानूनी मामला या कोर्ट केस चल रहा है तो उसका परिणाम जातक के पक्ष में आ सकता है।
  • इसके प्रभाव से सरकारी अधिकारियों से जुड़ा कोई मामला सुलझ सकता है।
  • सूर्य ग्रहण दोष निवारण यंत्र की नियमित पूजा से व्यक्ति को अपने करियर में अच्छे अवसर प्राप्त होंगे।
  • यदि आप व्यवसाय में हैं, तो नए प्रस्ताव आ सकते हैं और कंपनी फल-फूल सकती है।
  • जातक का जीवन स्थिर होता है और भटकाव में कमी आती है।
  • जातक नौकरीपेशा है तो उसे अपने कार्यस्थल में कई अवसर प्रदान होंगे और सहकर्मियों के साथ अच्छे संबंध का अनुभव होगा।
  • साथ ही इसके प्रभाव से जातक को सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है और उसे समाज में मान, नाम और प्रसिद्धि मिल सकती है।

श्री सूर्य राहु दोष निवारण यंत्र कैसे काम करता है?

तांबे का सूर्य राहु ग्रहण दोष निवारण यंत्र संख्यात्मक पैटर्न का एक संयोजन है जो सूर्य और राहु का प्रतिनिधित्व करता है। ये पैटर्न सोने की परत के साथ तांबे के आधार पर उकेरे गए हैं। इस पर व्याप्त संख्याओं का संयोजन हमारे चारों ओर सकारात्मक शक्ति और ऊर्जा को आकर्षित करता है। यंत्र को हम लयबद्ध और ऊर्जावान बनाते हैं ताकि वह आपके जीवन में आये जटिलताओं को दूर कर आपके जीवन को सरल बनाये, इसलिए इसे “सिद्ध” यंत्र भी कहा जाता है। सिद्ध यंत्र की पूजा करने वाले जातक के लिए यह चमत्कार कर सकता है। यंत्र उपासक को ग्रहण दोष के कारण होने वाली समस्याओं को हल करने में मदद करता है।


समापन

सूर्य राहु ग्रहण दोष सभी जातकों में एक दुर्लभ दोष है। ऐसा दोष कम ही देखने को मिलता है, लेकिन जब इसकी छाया किसी जातक पर आती है तो यह सबसे हानिकारक ग्रहण दोष हो जाता है। इसलिए अपने जीवन से बाधाओं को दूर करने के लिए वास्तविक और प्रामाणिक यंत्र का चयन करते समय सावधान रहें। सही जानकारी के लिए आप हमें संपर्क कर सकते हैं। हम आपकी पूरी तरह मदद और सहायता करते हैं इस यंत्र को सिद्ध करके स्थापित करने में। हम आशा करते हैं कि यह लेख आपके लिए कारगर होगा, और आपको जीवन के शांतिपूर्ण और सुंदर उपहार का आनंद मिलेगा।