गुजराती नव वर्ष का महत्व, तिथि और पूजा विधि जानिए

गुजराती नव वर्ष का महत्व, तिथि और पूजा विधि जानिए

गुजराती नववर्ष तिथि

नए साल की शुरुआत पूजा पाठ से करना शुभ माना जाता है। इससे आपके घर में खुशियों का माहौल बना रहता है, साथ ही व्यवसायिक लाभ मिलता है। इस दिन आप माता लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। अगर आप वैदिक विधिविधान से पूजा कराना चाहते हैं, तो हमारे वैदिक पंडितों से संपर्क कर सकते हैं। पंडित जी से संपर्क करने के लिए यहां पर क्लिक करें..

गुजराती नव वर्ष 14 नवंबर 2023, सोमवार
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ13 नवंबर 2023 को दोपहर 02:56 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त14 नवंबर 2023 को दोपहर 02:36 बजे
सूर्योदय14 नवंबर 2023, सोमवार, 06:14 AM
सूर्य अस्त14 नवंबर 2023, सोमवार, 05:59 PM

गुजराती नववर्ष का महत्व

दीपावली पूरे देश में मनाई जाती है, इसके हर जगह अलग अलग महत्व है। लेकिन, गुजरात में दीपावली को नए साल का प्रतीक माना गया है। दीपवाली के दिन साल का आखिरी दिन होता है, इसके अगले दिन से गुजराती नववर्ष की शुरुआत हो जाती है। हिंदू कैलेडर के हिसाब से देखा जाए, तो यह कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पड़वा या प्रतिपदा को आता है। चंद्र चक्र पर आधारित भारतीय कैलेंडर के अनुसार गुजरात में कार्तिक महीना साल का पहला महीना होता है, और यही गुजराती नववर्ष का पहला दिन होता है। इसी कारण इस दिन को वित्तीय नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। आपको बता दें कि इसी दिन से  भी शुरु होता है। साल 2023 में कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को विक्रम संवत्‌ 2080 शुरु हो जाएगा।

कैसे मनाया जाता है नववर्ष

गुजराती नववर्ष गुजरातियों के लिए सबसे बड़े त्योहारों में से एक होता है। इस दिन यहां के लोग समारोहों का भी आयोजन करते हैं। नए कपड़े पहनकर, मंदर में पूजा पाठ करते हैं। इसके बाद अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर खुशियां बाटते हैं। अपनी खुशियों का इजहार करने के लिए गुजराती नव वर्ष पर शानदार आतिशबाजी की जाती है, घरों को सजाया जाता है। इस दिन महिलाएं घरों में स्वादिष्ट मिठाइयां तैयार करती है और सभी का मुंह मीठा कराया जाता है। साथ ही नए साल की बधाइयां प्रेषित करते हैं। वहीं आधुनिकता के चलते हर कोई मैसेज या किसी और माध्यम से अपने दूर बैठे रिश्तेदार या दोस्त को भी बधाइयां भेजते हैं।

गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा

गुजराती नववर्ष के दिन ही गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा की जाती है। इसे भारत के विभिन्न राज्यों में महत्वपूर्ण रूप से मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पूजा के तहत भगवान कृष्‍ण, गोवर्धन पर्वत और गाय माता की पूजा का विधान है। कई जगहों पर इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर भगवान श्रीकृष्‍ण को भोग लगाया जाता है। इन्हें ही ‘अन्‍नकूट’ कहा जाता है। अन्नकूट के दिन आप अपने जीवन से संकटों का हरण करने के लिए विष्णु पूजा जरूर करवाएं।

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