गणपती पूजा करें अपनी राशि के अनुसार


कौन हैं भगवान गणेश?

भगवान गणेश जिंदगी को सुख और ज्ञान से भर देने वाले हैं। वे धन और ख्याति के भगवान हैं, क्योंकि उनके पास रिद्धि (धन) और सिद्धि (ज्ञान) हैं। भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गणेश चतुर्थी का उत्सव पूरे भारत में और विशेष तौर पर महाराष्ट्र में सबसे लोकप्रिय त्योहार के रूप में मनाया जाता है। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इस त्योहार को मनाने की परंपरा ब्रिटिश शासन के दौरान ही शुरू कर दी थी। गणेश चतुर्थी मनाने का उद्देश्य पूरे देश में लोगों के बीच एकता और अखंडता की भावना को कायम करना था। भगवान गणेश की पूजा करने से बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं। भगवान गणेश भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। इसलिए गणेश के विभिन्न रूपों की पूजा करने से निश्चित रूप से आपको अंदरूनी शांति और आनंद की प्राप्ति होती है।


भगवान गणेश का अद्भुत स्वरूप

भगवान गणेश की महिमा और इनके अद्भुत स्वरूप के बारे में जानना बहुत ही महत्वपूर्ण बन जाता है। भगवान गणेश के पास एक करोड़ सूर्य की आभा मौजूद है। इस तरह से आपके जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने में ये पूरी तरह से समर्थ हैं। भगवान गणेश की पूजा विघ्नहर्ता के रूप में होती है। जिंदगी की समस्त बाधाओं को दूर करने के लिए किसी भी शुभ अवसर से पहले भगवान गणेश को पूजा जाता है। भगवान गणेश के पास एक विशाल हाथी का सिर है। यही वजह है कि भगवान गणेश को गजानन (गज मतलब हाथी) के रूप में भी जाना जाता है। इनका विशाल पेट होने की वजह से इन्हें लंबोदर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान गणेश के चारों हाथों में अलग-अलग चीजें त्रिशूल, अंकुश, कमल और मोदक मौजूद हैं। त्रिशूल और अंकुश हथियार हैं। मोदक का अर्थ लड्डू है।


भगवान गणेश की पूजा करने के लिए गणेश चतुर्थी ही सबसे उपयुक्त दिन क्यों?

गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्रपद महीने में मनाया जाता है भाद्रपद के शुक्ल पक्ष के चौथे दिन भगवान गणेश का जन्मदिन है उसी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है गणेश चतुर्थी मुख्य रूप से महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश तमिलनाडु कर्नाटक और गुजरात में मनाई जाती है।

दस दिनों तक लोग इस त्योहार को मनाते हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-आराधना की जाती है। हर घर में भगवान गणेश की नई प्रतिमा स्थापित की जाती है। बड़ी ही खूबसूरती से इसे सजाया जाता है। पूजा के 10 दिन पूरे होने के बाद समुद्र, नदी या किसी जलाशय में मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है। इसका सबसे अधिक महत्व यह है कि भगवान गणेश को अगले साल फिर से अपने आशीर्वाद के साथ वापस आना होता है। पूरे शहर में इस दौरान मनोरंजक कार्यक्रम होते रहते हैं। गांव से लेकर कस्बे और शहर इस त्योहार के दौरान जगमगा जाते हैं।

अपने गणेश स्वरूप को कैसे चुनें? ज्योतिषी से बात करें


अपनी राशि के अनुसार करें भगवान गणेश के विभिन्न रूपों की पूजा

जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा। भगवान गणेश के अलग-अलग रूप अलग-अलग आशीर्वाद देते हैं। यह जानना बड़ा ही महत्वपूर्ण हो जाता है कि अलग-अलग राशि के जातकों को भगवान गणेश या विनायक की अलग-अलग पूजा किस तरीके से करनी चाहिए। यदि अपनी राशि को लेकर आपके मन में कोई भी संदेह है या अपनी जन्म कुंडली के बारे में आप अधिक जानना चाहते हैं, तो आपको तुरंत किसी ज्योतिषी से बात करनी चाहिए।

आइए अब जानते हैं कि गणेश चतुर्थी के दौरान और हमेशा भी भगवान गणेश के कौन-कौन से रूपों की पूजा की जाती है।

राशियां और गणेश के रूप

  • मेष राशि – वक्रतुंड गणेश
  • वृषभ राशि – एकदंत गणेश
  • मिथुन राशि – कृष्ण पिगक्ष गणेश
  • कर्क राशि – गजवक्त्र गणेश
  • सिंह राशि – लम्बोदर गणेश
  • कन्या राशि – विकट गणेश
  • तुला राशि – विघ्न राजेंद्र गणेश
  • वृषिक राशि – धूम्रवर्ण गणेश
  • धन राशि – भाल चंद्र गणेश
  • मकर राशि – विनायक
  • कुंभ राशि – गणपति
  • मीन राशि – गजानन

भगवान गणेश वे हैं, जो आपके मांगने पर आपको हर चीज प्रदान करते हैं। अपनी जिंदगी में अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको अपनी राशि के मुताबिक भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। यदि आप अपने जीवन में समस्याओं से एकदम थक चुके हैं, तो आपके ज्योतिष चार्ट के मुताबिक आपका अपने लिए उचित सलाह लेना महत्वपूर्ण हो जाता है।