वास्तु मंत्र (Vastu Mantras): प्रभावकारी और आपके रक्षक

वास्तु मंत्र (Vastu Mantras): प्रभावकारी और आपके रक्षक

प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में मंत्रों का बहुत महत्व है। मंत्रों ने सात्विक ऊर्जाओं को संतुलित करने और सकारात्मक वाइब्रेशन प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कुछ लोगों को लग सकता है कि मंत्र संस्कृत के शब्द हैं जिन्हें एक विशिष्ट तरीके से जपने की आवश्यकता होती है। केवल ऐसा ही नहीं है, मंत्र जाप के अलावा भी बहुत कुछ हैं। मंत्र महज शब्दों को जपना भर नहीं है बल्कि इसका अत्यधिक महत्व होता है।

अगर हम बात करें मंत्रों को प्रभाव की तो अशुभ या नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा पाने और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए मंत्र बहुत शक्तिशाली माने जाते हैं। इसके साथ ही मंत्र हमारे आस पास मौजूद नकारात्मक या निराशावादी लोगों को लेकर भी हमारे लिए एक सुरक्षा चक्र का काम करते हैं। मंत्रों से संबंधित एक विशिष्ट विज्ञान होता है, इसलिए मंत्रों का उचित तरीके से पाठ करने से सकारात्मक ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो जीवन की प्रगति में सहायक सिद्ध होती हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि मंत्रों के जरिए किसी भी परेशानी या समस्या से जूझ रहे व्यक्ति की सहायता की जा सकती है।

अब इस बात में किसी तरह का कोई संदेह नहीं है कि विभिन्न मंत्रों का जाप करने से पैदा होने वाली ध्वनि तरंगों के पीछे एक बेहद विशाल और शक्तिशाली विज्ञान मौजूद है। हम उस शक्ति को अपने आस पास देख तो नहीं सकते हैं पर अपने चारों तरफ महसूस जरूर कर सकते हैं।
इसी तरह, अंतरिक्ष जो ऊर्जा उत्पन्न या उत्सर्जित करता है, उसे समझना भी आसान नहीं होता है। इसे समझने के लिए एक मानव को छठी इंद्री की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि नकारात्मक को दूर करने व सकारात्मक लोगों को अपने आस पास एकत्रित करने के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है, मंत्रों की शक्ति का सहारा लिया जाता है। मंत्रों का जाप एक स्थान की आभा को, उसके परिदृश्य को पूरी तरह बदलने की शक्ति रखता है। यही वजह है कि प्राचीन काल से माना जाता है कि जीवन में मंत्रों का बड़ा महत्व है, इनका उपयोग किया जाना बेहद जरूरी होता है।


वास्तु शास्त्र में मंत्र और उनके लाभ

वास्तु शास्त्र में मंत्र का बड़ा महत्व है। इस शास्त्र में मंत्रों का महत्व इसलिए होता है क्योंकि ये घर के एक खास हिस्से में मौजूद नकारात्मकता को खत्म करने के लक्ष्य से उच्चारित किए जाते हैं। यह नकारात्मकता से उत्पन्न होने वाली जटिलताओं को समाप्त करते हैं। यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि वास्तु में भी मंत्र अलग अलग तरह के होते हैँ। यह आपके घर में अलग-अलग स्थानों को प्रभावित करते हैं। इनमें अद्भुत शक्ति होती है। ऐसे में हमें इन्हें अपनाने में देर नहीं करनी चाहिए। वास्तु में मंत्रों को बहुत अधिक लाभ होता है, यह इनके जरिए हासिल किया जा सकता है।

वास्तु के मंत्रों का जाप करने के लिए तुलसी का माला का उपयोग किया जाता है। इसमें तुलसी के पीले पुष्प लगे हों, पीत वस्त्रों का उपयोग हो, और पीले आसन पर बैठकर यह जाप किया जाए। ऐसा करने से मंत्रों का अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इसके साथ ही मंत्रों या जपों की कुल संख्या 5.4 लाख से लेकर 12.5 लाख तक होती है। इसके अलावा, वास्तु मंत्रों का पाठ करने का सबसे अच्छा समय वास्तु शांति मुहूर्त माना जाता है। इस दौरान वास्तु मंत्रों का जाप करना चाहिए और अत्यधिक लाभ प्राप्त करना चाहिए।

वास्तु मंत्रों के कई फायदे हैं। इनका नियमित जाप करने से अशुभ ग्रहों के प्रभाव को दूर करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही यह शुभ ग्रहों की सकारात्मकता को बढ़ाने में मदद करता है। मंत्रों के जाप से मिलने वाली ऊर्जा काले जादू, बुरी आत्माओं और अन्य नकारात्मक शक्तियों से लडऩे में मदद करती है, इससे परेशानियों से निजात पाई जा सकती है।

अपनी प्रगति और विकास में बाधा डालने वाली सभी नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा पाएं। विशेषज्ञों से परामर्श लें और अपने जीवन को सकारात्मकता और सफल प्रयासों के साथ संजोएं। विशेषज्ञ से बात करें!

वास्तु गायत्री मंत्र:
ओम वास्तु पुरुषाय विद्महे
भूमि पुत्राया धीमहि
थन्नो वास्तु प्रचोदयात।

वास्तु पुरुष मंत्र:
नमस्ते वास्तु पुरुषाय भूशय्या भिरत प्रभो, मद्गृहं धन धान्यादि समृद्धिम् कुरु सर्वदा।

वास्तु दोष निवारण मंत्र:
ओम वास्तोष्पते प्रति जानीद्यस्मान
स्वावेशो अनमी वो भवान यत्वे महे
प्रतितन्नो जुषस्व सहनो भव द्विपद शाम तुष्पदे स्वाहा।

वास्तु दोष निवारण मंत्र – 2
ओम वास्तोष्पते प्रतारनो न एधि
गयासफानो गोभी रश्वे भीरिदो अजरास्ते
साख्ये श्याम पितेव पुत्रांप्रतिन्नो जुशश्य
शन्नो भव द्विपदे शाम चतुष्पदे स्वाहा।

वास्तु दोष निवारण मंत्र – 3
ओम वास्तोष्पते शगमाया सा ग्वाग सदाते
सक्षम हिरण्य गातु मांधा।
चाहीक्षेम उत्योगे वरन्नो योयाम
पातस्वास्तिभि: सदान: स्वाहा।

वास्तु दोष निवारण मंत्र – 4
ओम वास्तोष्पते ध्रुवास्थू नम् सनम
सौभ्या नाम द्प्र्सो भेट्टा पुरम
शाश्वते ना मिंक्षे मुनीनां सखा स्वाहा।

आप स्वर्ण निर्मित वास्तु यंत्र भी खरीद सकते हैं जो घर में दोष युक्त स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कर उसे दोष मुक्त स्थान में बदल देता है। यह घर में पॉजिटिव ब्राइब्रेशन का संचार करता है। इसके अतिरिक्त वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, आपके घर में रहने वाली नकारात्मक ऊर्जाओं का मुकाबला करने में भी आपकी मदद करता है।

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