इन मंत्रों के प्रयोग से आपके मन-मस्तिष्क को मिलेगी शांति और शक्ति

संस्कृत भाषा का शब्द ‘मंत्र’ दो अलग-अलग शब्दों ‘मन’ अर्थात् ‘चित्त’ और ‘त्र’ अर्थात् ‘तारना’ से मिलकर बना है। इस तरह ‘मंत्र’ शब्द का अर्थ हुआ अपने चित्त को नियंत्रण में कर चिंतन करना या एकाग्र करना। शास्त्रों में भी कहा गया है ‘मन: तारयति इति मंत्र:’ अर्थात् मन को तारने वाली ध्वनि को मंत्र कहा जाता है। मंत्र एक शब्द या शब्द समूह (वाक्य) होता है जिसे हम ध्यान के दौरान नियमित रूप से बार-बार दोहराते रहते हैं। मंत्रों के जप से हमारा अवचेतन मस्तिष्क (सबकॉन्शियस माइंड) तथा आत्मतत्व चेतन होते हैं। मंत्र जप के दौरान हमारे आसपास के वातावरण में पॉजीटिव एनर्जी बढ़ती है जिससे हमारी मानसिक शक्ति तीव्र होती है और मन को भी शांति मिलती है।

यदि मंत्रों का प्रतिदिन नियमित रूप से जप किया जाए तो हम इनके द्वारा बहुत से लाभ उठा सकते हैं। मंत्रों का जप तेज-तेज बोलकर, धीमी आवाज में या मन ही मन भी किया जा सकता है। नाद योग की साधना के दौरान हम मंत्रों की ध्वनि से उत्पन्न होने वाले वाइब्रेशन्स को अनुभव कर सकते हैं।

मन, मस्तिष्क को शांत करने तथा शरीर की विभिन्न बीमारियों को दूर करने के लिए नाद योग के दौरान बाइब्रेशन्स तथा इको साउंड्स का प्रयोग किया जाता है। इनके असर से हमारे शरीर में मौजूद विभिन्न चक्र भी जागृत होने लगते हैं।

भारतीय आध्यात्म में बहुत सी समस्याओं खास तौर पर विभिन्न मानसिक समस्याओं (स्ट्रेस, डिप्रेशन आदि) को दूर करने के लिए भी मंत्रों का प्रयोग किया जाता है। मंत्रों को उनके लिए निर्धारित किए गए क्रम से जप करने अथवा एक जगह पर शांत बैठकर मन ही मन दोहराने से हमारे चारों ओर सकारात्मक एनर्जी बढ़ने लगती है और उसका हमारे ऊपर ओवरऑल पॉजीटिव इफेक्ट पड़ता है।

वर्तमान में मंत्रों को विभिन्न मेडिकल कंडीशन्स को सही करने के लिए एक वैकल्पिक (अल्टरनेट) थैरेपी के रूप में भी प्रयोग किया जाने लगा है। चूंकि हमारा पूरा ब्रह्माण्ड ही एनर्जी के ही विभिन्न रूपों से मिलकर बना है। ऐसे में मंत्रों के जरिए हम ध्वनि के माध्यम से एनर्जी को जनरेट कर अपनी लाइफ को बेहतर बना सकते हैं। मंत्र के रूप में हम केवल एक अक्षर (बीजमंत्र), एक शब्द, कई शब्दों से मिलकर बना समूह या पूरे वाक्य को ही प्रयोग कर सकते हैं। मंत्रों का विधि-विधान से अनुष्ठान कर आप बहुत सी मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक शक्तियां भी प्राप्त कर सकते हैं।


आपके शरीर तथा मन को स्वस्थ रखने के लिए ज्योतिषीय उपाय (Astrological Remedies for Healing Your Body and Soul)

वैदिक ज्योतिष में बनाए गए मंत्रात्मक उपाय हमारे वातावरण में मौजूद नेगेटिव एनर्जी को पॉजीटिव एनर्जी में बदलते हैं। ज्योतिष विज्ञान के एक्सपर्ट्स के अनुसार जन्मकुंडली के अलग-अलग खानों में मौजूद ग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर भी असर पड़ता है। उनके ही प्रभाव से हमारे जीवन में अच्छी या बुरी घटनाएं होती हैं।

इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव को टालने तथा उनका अधिकाधिक बेनेफिट उठाने के लिए आप हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट्स से सलाह ले सकते हैं तथा उनसे सही मंत्रों का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। हम ऐसे ही कुछ मंत्रों के बारे में जानेंगे जो न केवल आध्यात्मिक वरन सांसारिक इच्छाओं को भी पूर्ण करने की सामर्थ्य रखते हैं।

मंत्र (Mantra)

मंत्रों के जप से बहुत ही प्रचंड ऊर्जा उत्पन्न होती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सृष्टि में मौजूद नौ ग्रह (सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, शनि, राहु तथा केतु) हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। इनमें से जो भी ग्रह आपके जीवन पर बुरा असर डाल रहा हो, उससे जुड़े मंत्र के जप से आप उसके नकारात्मक प्रभाव से मुक्ति पा सकते हैं।

नवग्रह मंत्र, गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, बगलामुखी मंत्र ऐसे ही कुछ मंत्र हैं जो अत्यन्त शक्तिशाली हैं और आवश्यकतानुसार प्रयोग करने पर तुरंत अपना प्रभाव दिखाते हैं। वैदिक ज्योतिष में भी इन मंत्रों का प्रयोग जन्मकुंडली में मौजूद विभिन्न ग्रह दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है।

यदि आप भी अपनी कुंडली में मौजूद ग्रहों के बुरे असर के बारे में जानना चाहते हैं तो आप अपनी फ्री जन्मपत्रिका बनवा सकते हैं।

यंत्र (Yantra)

किसी डिवाईस अथवा मशीन को संस्कृत भाषा में यंत्र कहा जाता है। भारतीय आध्यात्म से उपजी तंत्र की प्राचीन परंपरा में यंत्रों की उत्पत्ति हुई है। वर्तमान में हमारे घरों में भी पूजा-पाठ से जुड़े विभिन्न अनुष्ठान करने में यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार विभिन्न अद्भुत क्षमताएं (सुपरनेचुरल पॉवर्स) प्राप्त करने के लिए भी इन यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही विभिन्न मंदिरों के फर्श को भी इन यंत्रों के माध्यम से रंगोली बनाकर सजाया जाता है।

हिंदू समाज में बहुत से महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। इन यंत्रों का निर्माण लकड़ी, कागज, कपड़े अथवा तांबा, चांदी और स्वर्ण जैसी धातुओं पर भी किया जाता है। इन्हें घर के मन्दिर में रखा जा सकता है अथवा ताबीज के रूप में शरीर पर भी धारण किया जाता है। जन्मकुंडली में बुरे ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए भी इन यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। ऐसे ही कुछ यंत्रों में नवग्रह यंत्र, श्रीयंत्र, कुबेर यंत्र तथा श्रीमहालक्ष्मी यंत्र को अत्यधिक शक्तिशाली यंत्र मान कर बहुतायत से प्रयोग किया जाता है।

वैदिक रीति-रिवाज (Vedic Rituals)

जीवन से नकारात्मकता दूर कर पॉजीटिव वाइब्रेशन्स पाने के लिए भी विभिन्न प्रकार के वैदिक रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। इनमें यज्ञ (अथवा हवन) सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। यज्ञ के माध्यम से हमारी आत्मा और मन पर असर पड़ता है और विचारों में पवित्रता आती है। यज्ञ के दौरान उपजी ऊर्जा और गर्मी तथा इस दौरान किए जाने वाला मंत्रों का उच्चारण चित्त को शांत कर विभिन्न मानसिक एवं शारीरिक समस्याओं का निदान करता है। यज्ञ एवं मंत्र जप के अतिरिक्त अन्य वैदिक अनुष्ठानों में नवग्रह शांति, रुद्राभिषेक, महायज्ञ तथा शतचंडी पाठ को भी विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग किया जाता है।

रत्न (Gemstones)

भारतीय ज्योतिष में विभिन्न रत्नों को भी ग्रहों के नेगेटिव इफेक्ट्स दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इनका अधिकतम लाभ उठाने के लिए ज्योतिषी विभिन्न प्रकार के कीमती रत्नों (जेमस्टोन्स) को अलग-अलग धातुओं से बनी अंगूठी, पेंडेंट्स तथा ब्रेसलेट्स में पहनने की सलाह देते हैं। यदि आप भी किसी रत्न को पहनने की इच्छा रखते हैं तो आपको उससे जुड़ी सभी सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए।

यदि आपने किसी गलत जेमस्टोन का प्रयोग किया तो इसका आपकी लाइफ पर बुरा असर भी पड़ सकता है। प्रत्येक रत्न को पहनने के लिए हाथ की एक खास अंगुली, सप्ताह का दिन तथा एक शुभ समय निर्धारित किया गया है। इन नियमों को नहीं मानने पर आपको लाभ की जगह नुकसान हो सकता है। आप भी अपनी समस्याओं के समाधान के लिए हमारे एक्सपर्ट्स से सलाह ले सकते हैं।

दान एवं परोपकार (Donations and charity)

जन्मकुंडली में विभिन्न प्रकार के ग्रह दोषों को दूर करने के लिए दान एवं परोपकार का भी अत्यधिक महत्व बताया गया है। आप जरूरतमंद गरीबों को खाना, कपड़ा तथा जीवनयापन के लिए आवश्यक अन्य सामग्री उपलब्ध करवा कर अपने जीवन को सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त करवा सकते हैं।

वैदिक ज्योतिष में बताए गए मंत्रात्मक उपाय (Vedic Astrological Mantra Remedies)

वेदों में बताए गए मंत्रों का प्रयोग तभी करना चाहिए जब उन पर पूर्ण विश्वास तथा श्रद्धा हो, इसके साथ ही खुद पर भी पर्याप्त आत्मविश्वास होना चाहिए। एक विशेष स्थान, दिन तथा समय पर ही इनका प्रयोग किया जाता है। इनकी सहायता से आपका भाग्य तो नहीं बदल सकता परन्तु आपको दिव्य शक्तियों का आशीर्वाद मिलता है और उनके प्रभाव से आपके सभी कार्य पूरे होने लगते हैं।


नवग्रहों के लिए वैदिक मंत्र तथा उपाय (Vedic Mantras and Remedies for Nine Planets)

वैदिक एस्ट्रोलॉजी में ग्रहों से संबंधित दोषों को दूर करने के बहुत से वैदिक मंत्र तथा उपाय बताए गए हैं। यदि इनका सही तरह से उच्चारण करते हुए विधिवत प्रयोग किया जाए तो जीवन की बड़ी से बड़ी समस्या से निपटा जा सकता है। यहां पर विभिन्न ग्रह तथा उनसे जुड़े कुछ उपाय बताए जा रहे हैं।

सूर्य (Sun)

ग्रहों के अधिपति सूर्यदेव के विभिन्न दोषों का निवारण करने के लिए निम्न उपाय आजमाएं।

  • भगवान सूर्यदेव की पूजा करें।
  • प्रतिदिन “गायत्री मंत्र” अथवा “आदित्य ह्रदयस्रोत” का पाठ करें।
  • सूर्य के मंत्र “ॐ ह्रीं ह्रौं सह सूर्याय नम:” का 6000 बार जप करें। यह जप आपको 40 दिनों में पूरा करना है।
  • निम्न स्रोत का प्रतिदिन पाठ करें।

“जपा कुसुम संकाशं काशिपेयं महाद्युतिम तमोऽरिं सर्व पापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्”

  • जरूरतमंद तथा निर्धन लोगों को
  • रविवार के दिन गेंहू अथवा चीनी से बनी मिठाई बांटें।
  • रविवार का व्रत रखें।
  • बारह मुखी रूद्राक्ष धारण करें तथा महारूद्राभिषेक का अनुष्ठान करें।

चन्द्र (Moon)

  • कुंडली में खराब चन्द्रमा के बुरे असर को दूर करने के लिए आपको निम्न उपाय करने चाहिए।
  • चन्द्रमा की स्वामिनी मां पार्वती है। उनकी पूजा करें एवं अन्नपूर्णा स्रोत का प्रतिदिन पाठ करें।

चन्द्रमा के मंत्र “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमाय नम:” मंत्र का दस हजार बार जप करें। इस अनुष्ठान को 40 दिनों में पूरा करना है।

  • चन्द्रमा से निम्न मंत्र का जप करें।

“दधि शंख तुषारभाम क्षीरो दार्णावास संभावम नमामी शशिनाम सोमम शंभो मुकुट भूषणम”

  • सोमवार के दिन दूध अथवा चावल का दान करें।
  • सोमवार का व्रत रखें।
  • दो मुखी रूद्राक्ष धारण करें तथा देवी की पूजा करें।

मंगल (Mars)

  • मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए निम्न उपायों को आजमा सकते हैं
  • भगवान शिव तथा कार्तिकेय इस ग्रह के अधिपति हैं। अत: भगवान शिव के मंत्र “ॐ नम: शिवाय” तथा कार्तिकेय के मंत्र “ॐ सर्वनामभ्य नम:” का जप करें।

मंगल के मंत्र “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सह भौमाय नम:” का 40 दिनों में 7000 बार जप करें।

  • यदि मंगल अत्यधिक अशुभ असर दे रहा हों तो मंगल के निम्न स्रोत का पाठ करें।

“धरणी गर्भ संभूतम विद्युत: कांति सम्प्रभं कुमारम शक्ति हस्तं तम मंगलम प्रणाममयम्”

  • मंगलवार को मसूर की दाल दान करें।
  • मंगलवार को व्रत करें।
  • कार्तिकेय की पूजा करें।
  • मंगल की पूजा करने से जीवन में सम्पन्नता आती है। अत: आपको मंगल के मंत्र “अग्निर्मुर्धा दिवः ककुत्पतिः पृथिव्या अयम्। अपां रेतांसि जिन्वति” का पाठ करना चाहिए।

बुध (Mercury)

बुध ग्रह से संबंधित समस्याओं के लिए निम्नलिखित उपायों को आजमाया जा सकता है।

  • भगवान विष्णु की पूजा करें तथा विष्णु सहस्रनाम स्रोत का पाठ करें।

बुध के मंत्र “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नम:” का 40 दिनों में 17000 बार जप करें।

  • बुध स्रोत का पाठ करें।

“प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम।”

  • बुधवार के दिन उड़द की दाल दान करें।
  • भगवान विष्णु की पूजा करें एवं बुधवार का व्रत रखें।
  • दस मुखी रुद्राक्ष की माला पर निम्न मंत्र का जप करें।

उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृह त्वमिष्टापर्ते संसृजेथामयं च।
असिमन् सधस्थे अद्युतरस्मिन् विश्वे देवा यजमानश्च सीदत।।

गुरू (Jupiter)

गुरू ग्रह के समस्त दोषों का निवारण करने के लिए निम्न उपाय बताए गए हैं

  • गुरू ग्रह के स्वामी भगवान शिव की पूजा करें तथा श्री रूद्रम का पाठ करें।

गुरू के मंत्र “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:” का 40 दिनों में 16000 जप का अनुष्ठान करें।

  • गुरु स्रोत का पाठ करें।

“देवानां च ऋषीणां गुरुं कांचनसन्निभम। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।”

  • गुरुवार के दिन केसर, हल्दी तथा चीन का दान करें।
  • गुरुवार को व्रत रखें एवं रुद्राभिषेक का अनुष्ठान करवाएं।
  • पांच मुखी रूद्राक्ष धारण करें एवं निम्न मंत्र का जप करें।

बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद् विभाति क्रतुमज्जनेषु।
यद् दीदयच्चवस र्तप्रजात तदस्मसु द्रविणं धेहिचित्रम्।।

शुक्र (Venus)

शुक्र ग्रह से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए निम्न उपाय उपयुक्त रहेंगे।

  • देवी की पूजा करें तथा श्री सूक्त, देवी स्तुति एवं दुर्गा चालिसा का पाठ करें।

शुक्र ग्रह के मंत्र “ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:” का 40 दिनों में 20000 जप करें।

  • आप सूक्त स्रोत का भी पाठ कर सकते हैं।

“हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्, सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।”

  • शुक्रवार को किसी स्त्री को कपड़े, दूध अथवा दही का दान करें।
  • देवी की पूजा करें एवं शुक्रवार को व्रत रखें।
  • अधिक उत्तम लाभ पाने के लिए निम्न मंत्र का पाठ करें।

अन्नात् परिस्त्रु रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पयः सोमं प्रजापतिः।
ऋतेन सत्यमिनिद्रयं विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोमृतं मधु।।

शनि (Saturn)

शनि ग्रह के दोषों को दूर करने के लिए निम्न उपाय बताए गए हैं।

  • हनुमानजी की पूजा करें तथा प्रतिदिन हनुमान चालिसा अथवा बजरंग बली के किसी अन्य स्रोत का पाठ करें।

शनि के मंत्र “ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:” का 40 दिनों में 19000 बार जप करें।

  • शनि स्रोत का भी पाठ कर सकते हैं।

ॐ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।

  • शनिवार के दिन काले तिल तथा भैंस का दान करें।
  • शनिवार को व्रत रखें तथा हनुमानजी की पूजा करें।
  • चौदह मुखी रूद्राक्ष धारण करें एवं निम्न मंत्र का जप करें।

शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्त्रवन्तु न:।

राहु (Rahu)

राहु ग्रह से जु़ड़े दोषों को दूर करने के लिए इन उपायों को काम में लिया जा सकता है।

  • भगवान शिव अथवा भैरूंजी की पूजा करें तथा कालभैरव अष्टकम का पाठ करें।

राहु के मंत्र “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:” का 40 दिनों में 18000 बार जप करें।

  • आप राहु स्रोत का भी पाठ कर सकते हैं।

“अर्धकायम महावीर्यम चन्द्रादित्य विमार्धनम सिंहिका गर्भ संभूतम तं राहु प्रणमाम्यहम।”

  • शनिवार को उड़द की दाल या नारियल दान करें।
  • भगवान शिव या भैरव की पूजा करें एवं शनिवार का व्रत करें।
  • आठ मुखी रूद्राक्ष धारण करें एवं दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय का पाठ करें। निम्न मंत्र का भी जप किया जा सकता है।

कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृधः सखा। कया शचिष्ठया वृता।।

केतु (Ketu)

केतु ग्रह से संबंधित दोषों को दूर करने के लिए निम्न उपाय बहुत ही लाभप्रद हैं।

  • गजानन गणपति की पूजा करें तथा गणेश द्वादशनाम स्रोत का पाठ करें।

केतु के मंत्र “ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: केतवे नम:” का 40 दिनों में 7000 बार जप करें।

  • इसके अतिरिक्त केतु स्रोत का भी पाठ किया जा सकता है।

“पलाश पुष्प संकाशम् तारका ग्रह मस्तकं। रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तम केतुम प्रणमाम्य्हम।”

  • गुरूवार के दिन काली गाय अथवा सरसों के दानों का दान करें।
  • गुरूवार का व्रत रखें तथा गणेशजी की पूजा करें।
  • शिव पंचाक्षरी स्रोत का पाठ करें। इसके अतिरिक्त निम्न मंत्र का भी जप कर सकते हैं।

केतुं कृवन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे समुषद्भिरजायथा:।


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मंत्र जप को हमारे देश में अत्यन्त महत्वपूर्ण माना गया है। इसे ध्यान लगाने के लिए, आध्यात्मिक साधना, यज्ञ अथवा अन्य विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रयोग किया जाता है। कुछ मंत्रों का अनुष्ठान समझने में बहुत ही आसान और करने में सरल है।

मंत्रों के जप को दुनिया भर में आत्मतत्व को चेतन बनाने तथा एक अल्टरनेट थैरेपी के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। यदि मंत्रों का जप माला के ऊपर किया जाए तो इससे एकाग्रता बढ़ती है और कई प्रकार की मानसिक शक्तियां प्राप्त होती हैं।



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