तमिल नव वर्ष पुथांडु 2023

तमिल वर्ष का पहला दिन पुंथाडु के नाम से जाना जाता है। इसे चिथिरई भी कहते हैं। इस दिन से तमिल नववर्ष की शुरुआत होती है। इसका दूसरा नाम वरुशा पिरप्पू भी होता है। तमिलनाडु में संक्रांति सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले मनाई जाती है। इसी के साथ नए साल की शुरुआत होती है। यदि संक्रांति सूर्यास्त के बाद होती है तो नया साल अगले दिन से शुरू होता है। पुत्ताण्डु इस साल 2023 में 14 अप्रैल यानी शुक्रवार को होगा। पुत्ताण्डु संक्रांति 03:12 अपराह्न से होगी। यह सब सौर कैलेंडर के मुताबिक तय होता है। यही कारण है कि यह हर साल एक ही दिन रहता है, एक ही दिन शुरू होता है।

तमिल नव वर्ष चिथिरई महीने के पहले दिन होता है, इसे तमिल पुत्ताण्डु के रूप में मनाया जाता है। तमिल सौर कैलेंडर का पहला महीना चिथिराई है, नया कैलेंडर वर्ष चिथियाई के पहले दिन यानी पुत्ताण्डु से शुरू होता है।

यह पूरा दिन परिवार के लिए रखा जाता है। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं। फल, फूल समेत दूसरी शुभ चीजों को लेकर एक सुंदर सी टे्र तैयार करते हैं। पूजा के लिए वेदी तैयार करते हैं और प्रज्वलित करते हैं। अपने घर के आस पास के मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं। नए साल के पहले दिन लोग अपने शुद्धिकरण के लिए औषधीय युक्त पानी से हर्बल स्नान करते हैँ। यहां महिलाओं के लिए हल्दी का स्नान बहुत ही आम माना जाता है। लोग नए कपड़े पहनते हैं। बच्चे बड़ों के प्रति सम्मान जाहिर करते हैं। उन्हें खाने के लिए बैठने का आग्रह करते हैं। शाकाहारी भोजन उन्हें परोसा जाता है। बच्चे अपने बड़ों से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

लोग पारंपरिक वेशभूषा में तैयार होते हैं। एक दूसरे का अभिवादन करते हैं। एक दूसरे को नववर्ष की बधाई देते हैं। मंदिरों में प्रार्थना करते हैं। इस उत्सव के समारोह में आरती की परम्परा भी शामिल होते है। इसके साथ ही साम्ब्रानी की रोशनी की जाती है। घरों में इस विशेष दिन के लिए खास व पारम्परिक वाद्ययंत्र बजाए जाते हैं। ये बताते हैं कि यह दिन लोगों के लिए कितना खास है।


पुत्ताण्डु उत्सव का महत्व


तमिल नव वर्ष के लिए अनुष्ठान और समारोह


पुत्ताण्डु महोत्सव के बारे में कुछ तथ्य



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