कुंडली के छठे भाव में बृहस्पति, क्या होगा असर


परिचय


गुरु छठे भाव में हो तो क्या होता है?

छठे भाव बृहस्पति प्रभावित करता है

  • प्रोफेशनल लाइफ
  • कॅरियर
  • वर्क एटीट्यूड

छठे भाव में बृहस्पति का प्रभाव

सकारात्मक बातें

बृहस्पति के छठे भाव में प्रवेश करने के व्यापार में उन्नति होगी। आपके ऐसे संकेत मिलने लगेंगे कि आपकी प्रगति अब संभव है। इसके साथ ही जातक को यह भी महसूस होगा कि दूसरों से सम्मान हासिल करने से पहले उनका भरोसा या विश्वास हासिल करना होगा। बृहस्पति की इस स्थिति का अर्थ है कि जातकों को नए अवसर मिल सकते हैं। अगर इन अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये हाथ से फिसल भी सकते हैं। लोगों से नए संबंध बनेंगे, नए संपर्क स्थापित होंगे, जो काम आ सकते हैं। इस दौरान ऐसे ग्राहक मिलेंगे जो लंबे समय तक आपसे जुड़े रहेंगे। बृहस्पति की यह स्थिति सौभाग्य भी लेकर आएगी। यह जीवन को और भी बेहतर बनाएगा, सुख सुविधाओं के लिहाज से भी स्थिति अच्छी होगी।

इसके अलावा प्रोफेशनल या नौकरी पेशा लोग अपने काम को लेकर नई चुनौतियां न केवल स्वीकार करेंगे, बल्कि अपनी प्रतिभा से अच्छे परिणाम भी हासिल कर सकेंगे। यह उनके लिए हर्ष का विषय होगा। ये हर काम पर फोकस्ड रहते हैं और दूसरों की भी मदद करना पसंद करते हैं। काम करते समय वे इस बात को लेकर सुनिश्चित रहना चाहते हैं कि उन्होंने जो किया वो सही किया है। किसी भी तरह की कोई गलती न हुई हो। ऐसे में वे जरूरी होने पर वे दूसरों की मदद लेने से भी हिचकिचाते। इसी तरह छठे भाव में बृहस्पति के जातक अपने पेशेवर जीवन में कुछ अनोखा काम कर देते हैं। जातकों के छठे भाव में बृहस्पति का होना यानी उनके विवाह होने की संभावना है।

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नकारात्मक बातें

छठे भाव में बृहस्पति का गोचर जातकों को अगर उनकी मेहनत का परिणाम नहीं मिलता है, उनके काम को पहचान नहीं मिलती है तो वे निराश हो जाते हैं। वे परेशान हो जाते हैं और कार्यस्थल पर अन्य लोगों के लिए उनका बर्ताव बहुत बुरा हो जाता हैं। फिर इन्हें अपने काम में किसी तरह की गड़बड़ी या गलती बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होती है। ये आलोचना कतई पसंद नहीं करते। उनके जीवन में ऐसी चीजें निजी जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें इन समस्याओं से निपटने की जरूरत होती है।

जातकों को अपने काम में सहयोगियों से बहुत अधिक उम्मीदें होती हैं, और यदि वह काम नहीं करता है, तो परेशान हो जाते हैं। ये जातक दूसरों का समर्थन करना पसंद करते हैं, लेकिन इस दौरान वे किसी दूसरे का निशाना बन जाते हैं। यदि वक्री बृहस्पति छठे भाव में हो तो जातक अनावश्यक ही लोगों को नीचा दिखाने का प्रयास करता है।


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