तीसरे भाव में बृहस्पति और इसके प्रभाव


परिचय

बृहस्पति तीसरे भाव में होने की वजह से व्यक्ति की हर इच्छा पूरी करता है। इस भाव में यह ग्रह अच्छा माना जाता है। इस भाव शुभ बृहस्पति अपने जातकों को विजडम, लर्निंग और इन्टलेक्चुअल प्रदान करने के लिए जाना जाता है। बृहस्पति ज्योतिष का सबसे अधिक बेनिफिशियरी वाला ग्रह माना जाता है। इस ग्रह का स्वभाव एक्सपेंसिव और मैजेस्टिक होता है। वैदिक ज्योतिष में, तीसरा घर भाई-बहनों और मेंटल एबिलिटी वाला होता है। यदि इस भाव में गुरु की उपस्थिति हो तो जातक दयालु, दूरदर्शी और अपने मन में पॉजिटिव सोच रखने वाला होता हैं।

तीसरे भाव में बृहस्पति का फल

  • क्यूरोसिटी और ऐड्वेन्चर
  • मेंटल कैपबिलिटी
  • फोकस
  • परिवर्तन की इच्छा

तीसरे भाव में बृहस्पति का प्रभाव

तीसरे घर में बृहस्पति होने से जातक खुले विचारों वाले और बौद्धिक होते है। इसके साथ ही यह लोग अपनों के साथ घूमने-फिरने वाले भी होते हैं। वे अक्सर सामाजिक गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं और दूसरों को भी मोटीवेट करते हैं।

इसके अलावा, तीसरे भाव में बृहस्पति आपके कम्युनिकेशन स्किल और जीवन के सर्टेन एरिया पर प्रभाव डालते हैं। बृहस्पति तीसरे भाव में होने से इन लोगों को यह समझ नहीं आता, कि कब क्या बोलना है, या फिर बातचीत को कब समाप्त करना है। इस भाव में गुरु की उपस्थिति जातकों को ऑप्टिमिस्टिक, हैप्पी और स्वतंत्र सलाहकार बनने में मदद कर सकती है, ऐसे लोग अच्छे या बुरे का अनुभव साझा करना पसंद करते है।

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पॉजिटिव प्रभाव

तीसरे भाव में बृहस्पति होने की वजह से यह लोग अच्छे प्लानर होते हैं। अच्छे प्लानर होने की वजह से लोग आपसे सलाह लेना पसंद करते हैं। ऐसे जातक अपने पर्सनल सीक्रेट्स को शेयर करके, दूसरों के साथ मजबूत और लंबे समय तक चलने वाले रिलेशन बनाते हैं।
यह लोग दूसरों के साथ बातचीत करना पसंद करते हैं, ताकि उनके बीच विचारों का आदान-प्रदान हो सके। यह लोग सोसाइटी में एक अच्छी इमेज विकसित कर सकते हैं, और सभी के साथ कनेक्ट रहना पसंद करते हैं। तीसरे घर में गोचर करने वाला बृहस्पति जातक को इंटूटिव और इंटेलिजेंट बना सकता है, ताकि वे लोग चीजों को जल्दी से पकड़ सके।

बृहस्पति ग्रह की इस भाव स्थिति जातकों को एजुकेशन में हायर ग्रेड लाने में भी मदद करती है। जातक को राइटिंग और लिटरेचर जैसे चीजों में भी रुचि हो सकती है। तीसरे भाव में बृहस्पति होने की वजह से व्यक्ति अपने साथ जुड़े सभी लोगों से फ्रेंडली रिलेशन बनाने की कोशिश करता।

यह लोग अपने काम के प्रति अधिक डेडिकेटेड होते है, जिसकी वजह से यह अपने काम से जुड़ें टार्गेट को पूरा आसानी से कर लेते हैं। इस भाव में गुरु व्यक्ति को बिज़नस से जुड़ी हुई यात्राएँ भी बहुत करवाते है। इस भाव में यदि बृहस्पति वक्री हो,, तो जातक बहुत कम बात करने वाला होता है। जिसकी वजह से यह लोग अपने जीवन में आगे बढ़ने में कठनाई का सामना करते हैं।

जिन जातकों का गुरु तीसरे भाव में होता है, वे अपने जीवनसाथी से अधिक प्यार और विश्वास करते हैं। वे अपने साथी के साथ स्पिरिचुअल लाइफ की ओर बढ़ते हैं। अपने पार्टनर पर प्यार और विश्वास की वजह से यह लोग इनके साथ अधिक बातचीत करना पसंद करते हैं। इन लोगों का आपस में सहज रवैया और पार्टनर का सपोर्ट रिश्ते में सामंजस्य बनाए रखने में मदद करता है।
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नेगेटिव प्रभाव

यदि इस भाव में गुरु पर किसी भी अशुभ ग्रह की दृष्टि हो या किसी पाप ग्रह के साथ उनकी युति हो तो, व्यक्ति के जीवन में कोई बड़ा झटका लग सकता है। यदि गुरु तीसरे भाव में वक्री हुआ तो जातक ध्यान केंद्रित करना और नॉलेज को बढ़ाने में रूचि रखने वाला होता है। इसके अलावा, इन लोगों को यह सलाह दी जाती है, कि यात्रा पर जातकों को अपने दोस्तों के साथ हाथ में हाथ मिलाकर चलना चाहिए, अन्यथा, वे अपने दोस्तों को पीछे छोड़ सकते हैं।

तृतीय भाव में नीच का बृहस्पति होने से जातक अपने जीवन में नए लोगों से मिलते ही ओवर्वेल्म्ड हो सकते हैं। नतीजतन, उनके लिए तब तक आगे बढ़ना मुश्किल होगा जब तक वे सब कुछ अब्सॉर्ब नहीं कर लेते। इस भाव का गुरु अपने व्यूज और आइडिया को दूसरों के साथ शेयर करने में भी मदद करता है। इन लोगों के पास इतने व्यूज और आईडिया होते हैं, की इनको समझ ही नही आता क्या करें और क्या नहीं। जिसकी वजह से सब गुड़-गोबर हो जाता है। यह लोग अपने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव का अनुभव भी कर सकते हैं।


निष्कर्ष

तीसरे घर में बृहस्पति होने से यह जातक के जीवन में कई चीजों को लेकर हलचल पैदा कर देता है। एक शुभ ग्रह होने के कारण, यह हमें कई अच्छी चीजें देता है, जैसे फ्रेश एनर्जी, नॉलेज और वर्किंग अबिलिटी। तीसरे घर में इसकी उपस्थिति जातक को अपने करीबी लोगों के साथ पहले से खराब हुए संबंधों को सुधारने का आशीर्वाद देती है। यदि गुरु पाप ग्रहों से किसी भी तरह का सम्बन्ध बनाता है, तो वह व्यक्ति जीवन में निगेटिव प्रभावों को भी बड़ा सकता हैं। इस प्रतिकूल समय के दौरान, जातकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहें। जब व्यक्ति अपने लक्ष्य पर केन्द्रित रहता है तो वो आसानी से सफलता पा सकते हैं। गुरु को शुभ ग्रह माना जाता है, जब यह ग्रह शुभ ग्रहों से युति बना लेता हाई तो इसके परिणाम बहुत भी अच्छे होते है। यदि आपको लगता है की कुंडली में गुरु की वजह से कोई समस्या आ रही है तो आप इनके उपायों को अपनाकर लाभ पा सकते हैं।



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