प्रथम भाव में मंगल के होने का प्रभाव
परिचय
लग्न भाव में मंगल हो तो क्या करें?
पहले भाव में मंगल ग्रह से प्रभावित जीवन के क्षेत्र
- पेशेवर जिंदगी
- रिश्ता
- सामाजिक छवि
- रवैया
प्रथम भाव में मंगल का प्रभाव
प्रथम भाव में मंगल का प्रभाव : सकारात्मक
लग्न भाव में विराजमान मंगल जीवन में कई चुनौतियां लेकर आ सकता है। फिर भी आप जो अंधेरे में काम कर रहे हैं, उसमें यह प्रकाश भर सकता है। अपने काम को करने में आपको जो भी कठिनाई हो रही है, उनसे निबटने के लिए यह आपको ऊर्जा प्रदान कर सकता है। साथ ही यह अपने काम के प्रति आपके समर्पण को भी बढ़ाता है। यही वजह है कि एक बार जब आप अपने काम पर पूरा ध्यान लगा लेते हैं, तो इसे आप तब तक नहीं रोक सकते, जब तक कि आप इसे पूरा नहीं कर लेते हैं। ऐसे जातकों के पास अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की पूरी क्षमता होती है। फिर भी उन्हें अपनी महत्वाकांक्षाओं के पीछे दौड़ते वक्त सावधान रहना चाहिए। अनजाने में हो सकता है कि आप दूसरों को चोट पहुंचा दें।
जो नौकरीपेशा लोग हैं, उन्हें नए प्रोजेक्ट को हैंडल करने के लिए और अधिक जिम्मेवारियां मिल सकती हैं। वे खुशी-खुशी इसे स्वीकार कर लेते हैं और इन्हें पूरा भी करने की कोशिश करते हैं। इस स्थिति से आपके जीवन में उत्साह का स्तर बढ़ता चला जाता है। मूल जातक अपने काम को अधिक सटीकता के साथ कर पाते हैं। साथ ही इसके लिए अपनी दक्षता को और बढ़ा सकते हैं। लग्न भाव में मंगल की मौजूदगी की वजह से ही जातकों के लिए अपने कार्यों में मिलने वाले अप्रत्याशित नतीजों से निबटना संभव हो पाता है।
मंगल ग्रह के इन सकारात्मक प्रभावों की वजह से समाज में आपको अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने में मदद मिलती है। साथ ही आप सकारात्मक मानसिकता के साथ काम कर पाते हैं। इसके अलावा आप तेजी से महत्वपूर्ण निर्णय भी ले पाते हैं।
पहले भाव में मंगल का प्रभाव : नकारात्मक
मंगल के प्रथम भाव में होने की वजह से आपको अधिक नकारात्मक नतीजे मिल सकते हैं। लग्न भाव में इसकी मौजूदगी यह संकेत देती है कि अपने भविष्य को लेकर जातक गंभीर नहीं हो सकते हैं। इन जातकों के मार्ग में जो बाधाएं आती हैं, उन्हें दूर करना ही इन्हें बहुत ही चुनौतीपूर्ण प्रतीत होने लगता है। अपने खराब निर्णय लेने की आदतों की वजह से टीम में ये एक अच्छे खिलाड़ी नहीं हो सकते हैं। इसलिए इन्हें यही सलाह दी जाती है कि इन्हें दूसरों को सुनना चाहिए और दूसरों को भी अपने विचार रखने देना चाहिए।
इन्हें शायद यह नहीं पता होता कि दूसरे लोगों से संपर्क किस तरह से स्थापित किया जाए। इसके अलावा पहले घर में मंगल की उपस्थिति का यह अर्थ होता है कि जातकों को किसी भी काम को बड़े ही संगठित और नियोजित तरीके से करने की जरूरत है। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो अपनी काम करने वाली जगह पर वे अपनी जगह खो सकते हैं। हो सकता है कि आपके पास जल्दबाजी में निर्णय लेने की एक अच्छी क्षमता मौजूद हो, मगर आपको इससे बचना चाहिए। नहीं तो आपको इसकी वजह से नकारात्मक नतीजे मिल सकते हैं।
जानकारों की यह राय है कि जातकों को बड़ों से सलाह लेकर ही कोई भी निर्णय लेना चाहिए। सामूहिक परियोजनाओं में यदि ये शामिल होते हैं, तो इनके लिए यह बहुत कठिन हो सकता है। वैदिक ज्योतिष में प्रथम भाव में मंगल वाले जातकों के साहसिक यात्राओं पर जाने की पूरी संभावना रहती है। हालांकि, इसकी वजह से ये परेशानी में भी पड़ सकते हैं। इसलिए इनके लिए सावधान रहना बेहतर होता है। ऐसा इस वजह से होता है कि पहला भाव पहली राशि मेष राशि से संबंध रखता है। साथ ही प्रथम भाव में मंगल के होने से महिला जातकों को सफल वैवाहिक जीवन का आनंद नहीं मिल पाता है।