छठे भाव में चंद्रमा के होने का प्रभाव
खगोल विज्ञान में जिन ग्रहों को लाभ देने वाला माना गया है, चंद्रमा भी उनमें से एक है। सूर्य के बगल में यह दूसरा खगोलीय पिंड है, जो कि मूल जातकों के जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। चंद्रमा की यह खासियत है कि मानसिक रूप से यह मजबूत बनाता है। यह मन को शांति प्रदान करता है। साथ ही भावनात्मक रूप से भी यह मजबूत बनाने वाला होता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति उसकी प्रकृति के बारे में बताती है। उसके संवाद कौशल की ओर इशारा करती है। साथ ही उसके व्यक्तित्व से जुड़ी विशेषताओं पर भी प्रकाश डालती है। यदि चंद्रमा छठे भाव में है तो आप पर इसका प्रभाव न्यूनतम पड़ सकता है। अच्छी बात यह है कि दूसरों की मदद करना आपको बहुत पसंद है। आप हमेशा दूसरों के लिए एक सहायक के तौर पर उपलब्ध रहते हैं। मानवता की सेवा करना भी आपको बहुत पसंद है।
चंद्रमा का छठे भाव में होना दूसरे लोगों के प्रति आपकी भावनाओं का निर्धारण करता है। यदि यह बीमारियों के घर में चला गया है तो ऐसी स्थिति में आपकी सेहत पर इसका मिलाजुला असर हो सकता है। आपकी सेहत कभी बिगड़ सकती है, तो कभी यह ठीक रह सकती है। इस तरीके से उतार-चढ़ाव चलता रहता है। आप मूडी भी बन जाते हैं। ज्यादा भावनात्मक होने लगते हैं। आपके दयालु होने की भी संभावना रहती है। इस संयोजन की वजह से आपकी रोजाना की जिंदगी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। छठे भाव का चंद्रमा आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर बना सकता है।
आपकी सेहत के हिसाब से देखा जाए तो यह संयोजन बहुत ही नकारात्मक परिणाम देने वाला साबित हो सकता है। संभव है कि पेट दर्द, बदन दर्द और सिर दर्द जैसी समस्याओं की चपेट में आप आ जाएं। वैसे, छठे भाव में चंद्रमा की उपस्थिति अन्य ग्रहों, नक्षत्रों एवं राशियों के साथ उसके संबंध पर भी काफी हद तक निर्भर करती है। तो चलिए अब बिना एक भी मिनट बर्बाद किए छठे भाव में चंद्रमा के प्रभावों की जांच करने के लिए हम आगे बढ़ते हैं।
छठे भाव में चंद्रमा के होने का अर्थ क्या है?
छठे भाव में चंद्रमा का प्रभाव
- पेशेवर जिंदगी
- भावनात्मक लगाव
- स्वास्थ्य
- रवैया
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