मंदिर की घंटी: जानें महत्व और इसे बजाने के पीछे के साइंटिफिक फैक्ट

मंदिर की घंटी बजाने की परंपरा के बारे में जानिए

अपने देश में जब पूजा की शुरुआत होती है, तो इस दौरान घंटी बजाने की परंपरा है। मंदिर की घंटी एक ऐसी चीज है, जो अलग-अलग धातुओं के मिश्रण से बनी होती है। इसमें जस्ता, कांस्य और तांबा आदि धातुएं शामिल होती हैं। यह अलग-अलग प्रतिशत में ध्वनि की आवृत्ति तो उत्पन्न करती ही है, साथ में कई तरह के लाभ भी पहुंचाती है।

पहले के जमाने में हाथों से ही घंटियां तैयार की जाती थीं। इन्हें बनाने के लिए एक खास तरीके की विधि का अनुसरण किया जाता था। इसमें घंटी के ऊपरी मुंह को तब तक चिपकाया जाता था, जब तक कि उसे बजाने पर उससे ध्वनि की एक निश्चित आवृत्ति उत्पन्न न हो। वहीं, वर्तमान समय में इलेक्ट्रॉनिक रूप से संचालित होने वाली मशीनें आ गई हैं, जो तय हर्ट्ज के आधार पर अलग-अलग तरह की घंटियां तैयार करती हैं। फिर भी इसका मतलब यह नहीं है कि ये बेहतर घंटियां बनाने में कारगर हो सकती हैं। घंटी बनाने में जो सामग्री का इस्तेमाल होता है, उसके द्वारा उत्पन्न की जाने वाली ध्वनि की गुणवत्ता को ये काफी हद तक प्रभावित करते हैं।


मंदिर की घंटी का महत्व


मंदिर की घंटी की आवाज की ताकत


मंदिर की घंटी की कहानी


मंदिर की घंटी का प्रभाव


चक्रों और मंदिर की घंटियों का संबंध


निष्कर्ष



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