मासिक शिवरात्रि 2025
देवाधिदेव महादेव की उपासना का पर्व है, शिवरात्रि। हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। वहीं साल में एक बार महाशिवरात्रि मनाई जाती है, जो माघ माह की मासिक शिवरात्रि होती है। हालांकि, परन्तु पूर्णिमान्त पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। आपको बता दें कि दोनों पंचांगों में यह चन्द्र मास की नामाकरण प्रथा है, जो इसे अलग करती है। हालांकि पूर्णिमान्त और अमान्त दोनो पञ्चाङ्ग एक ही दिन महा शिवरात्रि के अलावा भी सभी शिवरात्रियों को भी मानते हैं।
मासिक शिवरात्रि की तिथि और समय
तिथि | तिथि प्रारंभ व समाप्ति समय | हिंदू माह |
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27 जनवरी 2025 | सोमवार | आरंभ - 20:34, 27 जनवरी समाप्त - 19:35, जनवरी 28 |
26 फ़रवरी 2025 | बुधवार | आरंभ - 11:08, 26 फरवरी समाप्त - 08:54, फरवरी 27 |
27 मार्च 2025 | गुरुवार | आरंभ - 23:03, 27 मार्च समाप्त - 19:55, मार्च 28 |
26 अप्रैल 2025 | शनिवार | आरंभ - 08:27, 26 अप्रैल समाप्त - 04:49, अप्रैल 27 |
25 मई 2025 | रविवार | आरंभ - 15:51, 25 मई समाप्त - 12:11, 26 मई |
23 जून 2025 | सोमवार | आरंभ - 22:09, 23 जून समाप्त - 18:59, 24 जून |
23 जुलाई 2025 | बुधवार | आरंभ - 04:39, 23 जुलाई समाप्त - 02:28, जुलाई 24 |
21 अगस्त 2025 | गुरुवार | आरंभ - 12:44, 21 अगस्त समाप्त - 11:55, 22 अगस्त |
20 सितम्बर 2025 | शनिवार | प्रारम्भ - 23:36, सितम्बर 19 समाप्त - 00:16, सितम्बर 21 |
19 अक्टूबर 2025 | रविवार | आरंभ - 13:51, 19 अक्टूबर समाप्त - 15:44, अक्टूबर 20 |
18 नवंबर 2025 | मंगलवार | आरंभ - 07:12, 18 नवंबर समाप्त - 09:43, नवम्बर 19 |
18 दिसंबर 2025 | गुरुवार | आरंभ - 02:32, दिसंबर 18 समाप्त - 04:59, दिसम्बर 19 |
मासिक शिवरात्रि का महत्व
भारतीय पौराणिक कथाओं में उल्लेखित कथा के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन आधी रात को देवाधिदेव महादेव प्रकट हुए थे। इस शिव लिङ्ग की पूजा पहली बार श्रीहरि विष्णु और ब्रह्मा जी ने की थी। माघ माह के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन ही भगवान शिव लिङ्ग रूप में प्रकट हुए थे, इसीलिए उनके महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है, जबकि हर महीने मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। हालांकि कई जगह पर महाशिवरात्रि का उल्लेख पार्वती और शिव के विवाह से भी है। इस पवित्र दिम माता पार्वती और पिता शिव का विवाह संपन्न हुआ है। शिवरात्रि का व्रत प्राचीन काल से प्रचलित है। पुराणों में उल्लेखित किया गया है कि देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इन्द्राणी, पार्वती, गायत्री, सावित्री, सीता और रति ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था।
अगर कोई शिवरात्रि के व्रत को शुरू करना चाहते हैं, तो वह महाशिवरात्रि से शुरु कर सकते हैं। महाशिवरात्रि के पर्व के बाद से ही हर शिवरात्रि पर उपवास करना बहुत शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस उपवास को करने से भक्तों पर भगवान शिव की कृपा बरसती है, और हर मुश्किल काम आसान हो जाता है। अविवाहित और विवाहित दोनों ही इस व्रत को कर सकती है। इसे करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, और अपने भक्तों पर आशीर्वाद की बरसात करते हैं। आपको बता दें कि अगर मासिक शिवरात्रि मंगलवार के दिन पड़ती है, इसे शास्त्रों में बहुत ही शुभ बताया गया है। आइए सबसे पहले हम साल 2021 की सभी शिवरात्रियों की तिथियों को जानते हैं:
शिवरात्रि पूजा विधि
शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। अगर गंगास्नान करते हैं, तो यह सोने पर सुहागा होगा। स्नान के बाद उपासक उपवास का संकल्प लें। व्रत के दौरान भक्तों को किसी भी तरह का भोजन नहीं करना चाहिए। हालांकि, अगर आप फलाहार और दूध को संकल्प मुक्त रखते हैं, तो फलाहार और दूध का सेवन कर सकते हैं। इसके बाद शाम के समय एक बार फिर स्नान करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग की पूजा के लिए मंदिर में जाना चाहिए। अगर आप मंदिर जाने में असमर्थ हैं, तो घर पर ही एक अस्थायी शिवलिंग स्थापित कर सकते हैं। इसके बाद रात्रि को पूजा करना चाहिए। वहीं महाशिवात्रि के दिन मंदिरों में अर्ध रात्रि के समय भगवान की पूजा होती है, उपासक को उस पूजा में शामिल होना चाहिए। मासिक शिवरात्रि पर पूजा रात में एक या चार बार की जा सकती है। रात के चारों पहर में आप भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। अगर आप रात भर भगवान शिव की पूजा करते हैं, तो आपको रातभर सोने की इजाजत नहीं है। जो भक्त एकल पूजा करना चाहते हैं, उन्हें पूजा मध्यरात्रि के दौरान करना चाहिए। इस दिन भगवान शिव का रूद्राभिषेक करना सबसे शुभ माना गया है। अगर आप शिवरात्रि के दिन रूद्राभिषेक पूजा कराते हैं, तो आपकी सारी मनोकामनाएं भगवान शिव पूरी करते हैं।
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शिव पूजन सामग्री
भगवान शिव की पूजा वैदिक रिति रिवाजों से ही होना चाहिए। अगर आप पूजा में किसी तरह की त्रुटि करते हैं, तो इसका विपरित असर देखने को मिल सकता है। पूजा के दौरान आप शुद्ध देसी घी, पांच प्रकार के फल, पंचमेवा, पुष्प, पवित्र जल, पंचरस, रोली, मौली, गंध, जनेऊ, पंचमेवा, चांदी, शहद, सोना, पांच प्रकार की मिठाई, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, आम्र मंजरी, गाय का दूध, धूप, कपूर, चंदन, मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री, दीपक, पवित्र जल, बेर, इत्र, दक्षिणा, रुई, जौ की बाले, तुलसीदल आदि चीजों की जरूरत पड़ेगी।
भगवान शिव के मंत्र
- ॐ नमः शिवाय॥
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
निष्कर्ष
शिवरात्रि का त्योहार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। हरेक माह आने वाले मुख्य त्योहारों में मासिक शिवरात्रि का मुख्य स्थान होता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत बहुत आसान और प्रभावशाली होता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी इस दिन भगवान शिव का पूजन करते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
हम उम्मीद करते हैं, कि आप मासिक शिवरात्रि के बारे में पूरी तरह समझ गए होंगे। और आशा करते हैं कि अगली शिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न कर आशीर्वाद पाने के लिए वैदिक रिवाजों से ही पूजा संपन्न करवाएंगे।
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