तीसरे भाव में शनि और उनके प्रभाव
शनि (Saturn) ग्रह किसी भी भाव में हो, यह उस भाव से मिलने वाली चींजों के लिए कड़ी मेहनत करवा लेता है। अब आप इस बात को किस रूप में लेते हैं। यह आपके ऊपर निर्भर करता है। आप इसे पसंद करते हैं या नहीं, यह एक अलग बात है लेकिन, शनि (Saturn) ग्रह यह सुनिश्चित करेगा, कि आप अपने लक्ष्य तक पहुँचने से पहले अधिक पसीना बहाएँ। शनि (Saturn) ग्रह बिलकुल उस टीचर के जैसे होते है। जो बच्चों की जरा सी भी लापरवाही और कामचोरी पसंद नहीं करते हैं। उनकी ऐसी हरकतों के लिए उन्हें दंड भी देते हैं। यदि यह आपकी जन्म कुंडली के तीसरे भाव में मौजूद है, तो आपको निगेटिव की तुलना में पॉजिटिव रिजल्ट ज्यादा मिल सकते हैं।
यदि शनि (Saturn) और सूर्य (Sun) की युति कुंडली में हो तो, यह पिता के साथ संबंध खराब कर सकती है। यहाँ पर शनि (Saturn) देव की ब्राइटर साइड यह है की, यह नये काम के लिए स्ट्रेटेजीज को डवलप करने के लिए हमेशा प्रेरित करेंगे। अब आप यह जानने के लिए उत्सुक होंगे, कि जब शनि (Saturn) तीसरे भाव में होते हैं, तो इसका क्या प्रभाव जीवन पर पड़ता है।
तृतीय भाव में शनि (Saturn) का महत्व
तृतीय भाव में शनि (Saturn) का प्रभाव
- कम्युनिकेशन स्किल
- प्रोफेशनल लाइफ
- एटीट्यूड
- पर्सनालिटी
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