birth chart: इसके तत्व और महत्व के बारें में जानें विस्तार से

जन्मकुंडली चार्ट के तत्व और आपके जीवन में इसका महत्व

जन्मपत्रिका या जन्मकुंडली एक ऐसा शब्द है जो हम सभी ने अपने जीवन में कभी न कभी सुना है। इसके बारे में आम आदमी यही जानता है कि यह विभिन्न राशियों, सूर्य और चंद्रमा तथा विभिन्न ग्रहों से मिलकर बनाई जाती है। कुछ हद तक यह बात सही भी है परन्तु इसमें और भी बहुत कुछ होता है, आज हम आपको उसी बारे में विस्तार से बताएंगे।


जन्मपत्रिका या जन्मकुंडली चार्ट क्या हैं? (What are Kundli charts?)


कुंडली चार्ट के लाभ (Benefits of the Kundli charts)


कुंडली चार्ट के तत्व (Elements of the Kundli Chart)

राशि चक्र (राशि) (Zodiac signs (Rashis)

आइए सबसे पहले हम राशियों के बारे में जानने से ही शुरूआत करते हैं।

ज्योतिष में कुल बारह राशियां बताई गई हैं जो निम्न प्रकार हैं
1. मेष (Aries)
2. वृषभ (Taurus)
3. मिथुन (Gemini)
4. कर्क (Cancer)
5. सिंह (Leo)
6. कन्या (Virgo)
7. तुला (Libra)
8. वृश्चिक (Scorpio)
9. धनु (Sagittarius)
10. मकर (Capricorn)
11. कुंभ (Aquarius)
12. मीन (Pisces)

नक्षत्र (Nakshatras)

ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्रों को वर्णन किया गया है। वास्तव में नक्षत्र अपने आप में कुछ भी नहीं हैं वरन दृश्य अंतरिक्ष को 27 विभिन्न भागों में विभक्त कर उनकी पहचान की गई है। इनका उपयोग ग्रहों की सटीक स्थिति जानने के लिए किया जाता है।

1. अश्विनी
2. पुष्य
3. हस्त
4. मृगशिरा
5. चित्रा
6. अनुराधा
7. रेवती
8. रोहिणी
9. उत्तरफाल्गुनी
10. उत्तराषाढ़ा
11. उत्तराभाद्र
12. पुनर्वसु
13. स्वाति
14. श्रवण
15. धनिष्ठा
16. शतभिषा
17. आर्द्रा
18. अश्लेषा
19. ज्येष्ठा
20. मूल
21. भरणी
22. माघ
23. पूर्वाफाल्गुनी
24. पूर्वाषाढ़
25. पूर्वाभाद्र
26. कृतिका
27. विशाखा

दशा (Dashas)

जन्मकुंडली में दशा का अर्थ है ग्रहों की स्थिति और समय। जैसा कि हम जानते हैं, प्रत्येक ग्रह किसी व्यक्ति के जीवन को अच्छे या बुरे तरीके से प्रभावित करता है, जो किसी व्यक्ति की कुंडली में स्थान, प्रभुत्व और उनकी उपस्थिति की अवधि पर निर्भर करता है। कुंडली में किस ग्रह की दशा चल रही है, और गोचर में उसकी स्थिति क्या है, इसके आधार पर हम व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान का पूर्वानुमान लगा सकते हैं।

ग्रह (Graha Or Planets)

हिंदू ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रह हैं जिनके आधार पर जन्मकुंडली का निर्माण किया जाता है। इन्हें सामूहिक रूप से नवग्रह भी कहा जाता है। ये इस प्रकार हैं-

1. सूर्य (Sun)
2. चंद्रमा (Moon)
3. बुध (Mercury)
4. शुक्र (Venus)
5. मंगल (Mars)
6. बृहस्पति (Jupiter)
7. शनि (Saturn)
8. राहु (Rahu)
9. केतु (Ketu)

भाव (Bhavas)

भाव का अर्थ कुंडली चार्ट में 12 घरों से है। ये हैं लग्न भाव, धन भाव, भ्रात भाव, सुख भाव, पुत्र भाव, शत्रु भाव, काल भाव, आयु भाव, लाभ भाव और व्यय भाव। इन भावों में ग्रह की स्थिति व्यक्ति के जीवन पर उसके सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव को तय करती है।

गोचर (Gochar)

ज्योतिष में गोचर का अर्थ है कि वर्तमान में ग्रहों की स्थिति क्या है। जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति का गोचर से मिलान किया जाता है और उसके बाद दोनों के तुलनात्मक अध्ययन से भविष्यवाणी की जाती है।

दृष्टि (Drishti)

दृष्टि का अर्थ है “की ओर देखना”, ज्योतिष में इसका अर्थ है एक ग्रह की दृष्टि। यह केवल एक ग्रह की स्थिति ही मायने नहीं रखता है, बल्कि जीवन की अप्रत्याशित घटनाओं के सही परिणाम को जानने के लिए एक ग्रह की दृष्टि तथा उस ग्रह पर दूसरे ग्रहों की दृष्टि भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

ये वे तत्व थे जिन्हें किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली अथवा जन्मपत्रिका का विश्लेषण करते समय ध्यान में रखा जाता है। अब आगे हम कुंडली चार्ट के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सामान्य प्रश्नों के उत्तर जानेंगे।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions)



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